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पटोला गुजरात मूल की एक प्रकार की रेशमी साड़ी है जिसे बुनाई के पहले पूर्व निर्धारित नमूने के अनुसार ताने और बाने को गांठकर रंग दिया जाता है। यह वधु के मामा द्वारा उपहार में दी जाने वाली दुल्हन की साज-सज्जा सामग्री का एक भाग है। यद्यपि गुजरात में मिलने वाली पुरानी पटोला 18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से पहले की नहीं है, पर इसका इतिहास निश्चित रूप से 12वीं शताब्दी तक का है।

बुनाई की तकनीक

पटोला में नर्तकी, हाथी, तोता, पीपल की पत्ती, पुष्पीय रचना, जलीय पौधे, टोकरी सज्जा की आकृतियाँ, दुहरी बाहरी रेखाओं के साथ जालीदार चित्र (पूरी साड़ी पर सितारे की आकृतियां) तथा पुष्प गहरे लाल रंग की पृष्ठभूमि पर बनाए जाते हैं। इस कार्य में लगने वाली अत्यधिक मेहनत तथा उत्पादन की ऊंची लागत से इसकी मांग में कमी आई तथा इस महत्तपूर्ण कला का हास हुआ। पटोला बुनाई की तकनीक इंडोनेशिया में भी जानी जाती थी, जहां इसे इकत कहा जाता था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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