"अभिज्ञान शाकुन्तलम्": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
|||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{संस्कृत साहित्य2}} | {{कालिदास}}{{संस्कृत साहित्य2}} | ||
[[Category:कालिदास]][[Category:संस्कृत साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | |||
12:20, 25 जुलाई 2011 का अवतरण
- अभिज्ञानशाकुन्तलम़् न केवल संस्कृत - साहित्य का, अपितु विश्वसाहित्य का सर्वोत्कृष्ट नाटक है।
- यह कालिदास की अन्तिम रचना है।
- इसके सात अंकों में राजा दुष्यन्त और शकुन्तला की प्रणय-कथा का वर्णन है।
- इसका कथानक महाभारत के आदि पर्व के शकुन्तलोपाख्यान से लिया गया है।
- कण्व के माध्यम से एक पिता का पुत्री को दिया गया उपदेश आज 2,000 वर्षों के बाद भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उस समय में था।
- भारतीय आलोचकों ने ’काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला’ कहकर इस नाटक की प्रशंसा की है।
- भारतीय आलोचकों के समान ही विदेशी आलोचकों ने भी इस नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
- जब सन 1791 में जार्जफ़ोस्टर ने इसका जर्मनी में अनुवाद किया, तो उसे देखकर जर्मन विद्वान गेटे इतने गद्गद हुए कि उन्होंने उसकी प्रशंसा में एक कविता लिख डाली थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख