"आंग्ल-सिक्ख युद्ध": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('भारतीय इतिहास में दो सिक्ख युद्ध हु...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में दो सिक्ख युद्ध हुए हैं। इन दोनों ही युद्धों में [[सिक्ख]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से पराजित हुए और उन्हें अंग्रेज़ों से उनकी मनमानी शर्तों के अनुसार सन्धि करनी पड़ी। प्रथम युद्ध में पराजय के कारण सिक्खों को अंग्रेज़ों के साथ [[9 मार्च]], 1846 ई. को 'लाहौर की सन्धि' और इसके उपरान्त एक और सन्धि, 'भैरोवाल की सन्धि' [[22 दिसम्बर]], 1846 ई. को करनी पड़ी। इन सन्धियों के द्वारा 'लाल सिंह' को वज़ीर के रूप में अंग्रेज़ों ने मान्यता प्रदान कर दी और अपनी एक रेजीडेन्ट को [[लाहौर]] में रख दिया। महारानी [[ज़िन्दाँ रानी|जिन्दा कौर]] को [[दलीप सिंह]] से अलग कर दिया गया, जो की दिलीप सिंह की संरक्षिका थीं। उन्हें 'शेखपुरा' भेज दिया गया। द्वितीय युद्ध में सिक्खों ने अंग्रेज़ों के आगे आत्म समर्पण कर दिया। दिलीप सिंह को पेन्शन प्रदान कर दी गई। उसे व रानी जिन्दा कौर को 5 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन पर [[इंग्लैण्ड]] भेज दिया गया। जहाँ पर कुछ समय बाद ही रानी जिन्दा कौर की मृत्यु हो गई।
[[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में दो सिक्ख युद्ध हुए हैं। इन दोनों ही युद्धों में [[सिक्ख]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से पराजित हुए और उन्हें अंग्रेज़ों से उनकी मनमानी शर्तों के अनुसार सन्धि करनी पड़ी। प्रथम युद्ध में पराजय के कारण सिक्खों को अंग्रेज़ों के साथ [[9 मार्च]], 1846 ई. को 'लाहौर की सन्धि' और इसके उपरान्त एक और सन्धि, 'भैरोवाल की सन्धि' [[22 दिसम्बर]], 1846 ई. को करनी पड़ी। इन सन्धियों के द्वारा 'लाल सिंह' को वज़ीर के रूप में अंग्रेज़ों ने मान्यता प्रदान कर दी और अपनी एक रेजीडेन्ट को [[लाहौर]] में रख दिया। महारानी [[ज़िन्दाँ रानी|जिन्दा कौर]] को [[दलीप सिंह]] से अलग कर दिया गया, जो की दिलीप सिंह की संरक्षिका थीं। उन्हें 'शेखपुरा' भेज दिया गया। द्वितीय युद्ध में सिक्खों ने अंग्रेज़ों के आगे आत्म समर्पण कर दिया। दिलीप सिंह को पेन्शन प्रदान कर दी गई। उसे व रानी जिन्दा कौर को 5 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन पर [[इंग्लैण्ड]] भेज दिया गया। जहाँ पर कुछ समय बाद ही रानी जिन्दा कौर की मृत्यु हो गई।
==युद्ध==
==युद्ध==
इतिहास में जो दो प्रसिद्ध सिक्ख युद्ध लड़े गये, उनका विवरण इस प्रकार से है-
इतिहास में जो दो प्रसिद्ध सिक्ख युद्ध लड़े गये, उनका विवरण इस प्रकार से है-
#प्रथम युद्ध (1845 - 1846 ई.)
#प्रथम युद्ध (1845 - 1846 ई.)
#द्वितीय युद्ध (1848 - 1849 ई.)
#द्वितीय युद्ध (1848 - 1849 ई.)
====प्रथम युद्ध====
====प्रथम युद्ध====
[[आंग्ल-सिक्ख युद्ध प्रथम]]
[[आंग्ल-सिक्ख युद्ध प्रथम]]
====द्वितीय युद्ध====
====द्वितीय युद्ध====
[[आंग्ल-सिक्ख युद्ध द्वितीय]]
[[आंग्ल-सिक्ख युद्ध द्वितीय]]


पंक्ति 19: पंक्ति 16:
{{आधुनिक काल}}
{{आधुनिक काल}}
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:सिक्ख]]
[[Category:सिक्ख धर्म]]
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]]
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]]
[[Category:आधुनिक काल]]
[[Category:आधुनिक काल]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

07:59, 22 जुलाई 2011 का अवतरण

भारतीय इतिहास में दो सिक्ख युद्ध हुए हैं। इन दोनों ही युद्धों में सिक्ख अंग्रेज़ों से पराजित हुए और उन्हें अंग्रेज़ों से उनकी मनमानी शर्तों के अनुसार सन्धि करनी पड़ी। प्रथम युद्ध में पराजय के कारण सिक्खों को अंग्रेज़ों के साथ 9 मार्च, 1846 ई. को 'लाहौर की सन्धि' और इसके उपरान्त एक और सन्धि, 'भैरोवाल की सन्धि' 22 दिसम्बर, 1846 ई. को करनी पड़ी। इन सन्धियों के द्वारा 'लाल सिंह' को वज़ीर के रूप में अंग्रेज़ों ने मान्यता प्रदान कर दी और अपनी एक रेजीडेन्ट को लाहौर में रख दिया। महारानी जिन्दा कौर को दलीप सिंह से अलग कर दिया गया, जो की दिलीप सिंह की संरक्षिका थीं। उन्हें 'शेखपुरा' भेज दिया गया। द्वितीय युद्ध में सिक्खों ने अंग्रेज़ों के आगे आत्म समर्पण कर दिया। दिलीप सिंह को पेन्शन प्रदान कर दी गई। उसे व रानी जिन्दा कौर को 5 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन पर इंग्लैण्ड भेज दिया गया। जहाँ पर कुछ समय बाद ही रानी जिन्दा कौर की मृत्यु हो गई।

युद्ध

इतिहास में जो दो प्रसिद्ध सिक्ख युद्ध लड़े गये, उनका विवरण इस प्रकार से है-

  1. प्रथम युद्ध (1845 - 1846 ई.)
  2. द्वितीय युद्ध (1848 - 1849 ई.)

प्रथम युद्ध

आंग्ल-सिक्ख युद्ध प्रथम

द्वितीय युद्ध

आंग्ल-सिक्ख युद्ध द्वितीय


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख