"विक्रमादित्य": अवतरणों में अंतर
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*विक्रमादित्य एक उपाधि जिसे भारतीय इतिहास में अनेक राजाओं ने धारण की थी, जिनमें [[गुप्त]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] और सम्राट [[हेमू|हेम चन्द्र विक्रमादित्य]] | *विक्रमादित्य एक उपाधि जिसे भारतीय इतिहास में अनेक राजाओं ने धारण की थी, जिनमें [[गुप्त]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] और सम्राट [[हेमू|हेम चन्द्र विक्रमादित्य]] उल्लेखनीय हैं। देवकथाओं के अनुसार विक्रमादित्य [[भारत]] की प्राचीन नगरी [[उज्जयिनी]] के राजा थे, जो अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे। इनमें [[कालिदास]] भी थे। कहा जाता है कि विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी थे और उन्होंने शकों को परास्त किया था। ईसा पूर्व 58 - 57 में प्रारंभ [[विक्रम संवत]] राजा विक्रमादित्य का चलाया हुआ माना जाता है। परंतु इतिहास में ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पश्चिमी भारत में शासन करने वाले ऐसे किसी पराक्रमी राजा का उल्लेख नहीं प्राप्त होता जिसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की हो।<ref>{{cite book | last =भट्टाचार्य | first =सच्चिदानन्द | title =भारतीय इतिहास कोश | edition = | publisher =उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =431 | chapter =}} </ref> | ||
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15:20, 30 जुलाई 2011 का अवतरण
- विक्रमादित्य एक उपाधि जिसे भारतीय इतिहास में अनेक राजाओं ने धारण की थी, जिनमें गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य और सम्राट हेम चन्द्र विक्रमादित्य उल्लेखनीय हैं। देवकथाओं के अनुसार विक्रमादित्य भारत की प्राचीन नगरी उज्जयिनी के राजा थे, जो अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे। इनमें कालिदास भी थे। कहा जाता है कि विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी थे और उन्होंने शकों को परास्त किया था। ईसा पूर्व 58 - 57 में प्रारंभ विक्रम संवत राजा विक्रमादित्य का चलाया हुआ माना जाता है। परंतु इतिहास में ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पश्चिमी भारत में शासन करने वाले ऐसे किसी पराक्रमी राजा का उल्लेख नहीं प्राप्त होता जिसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की हो।[1]
- राजा विक्रमादित्य नाम, विक्रम यानी "शौर्य" और आदित्य, यानी अदिति के पुत्र के अर्थ सहित संस्कृत का तत्पुरुष है। अदिति अथवा आदित्या के सबसे प्रसिद्ध पुत्रों में से एक हैं देवता सूर्य, अतः विक्रमादित्य का अर्थ है सूर्य, यानी "सूर्य के बराबर वीरता (वाला)". उन्हें विक्रम या विक्रमार्क भी कहा जाता है (संस्कृत में अर्क का अर्थ सूर्य है)।
इन्हें भी देखें: विक्रम संवत एवं कालिदास
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 431।