"लक्षद्वीप": अवतरणों में अंतर

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लक्षदीप की अगले 15 वर्षों की जहाजरानी आवश्‍यकताओं के लिए केंद्र सरकार के जहाजरानी मंत्रालय ने एक वृहद योजना को मंजूरी दी है। भारत सरकार ने 3x150 का उच्‍चगति यात्री जहाज, 2x250 यात्री व 100 मीट्रिक टन मालवाहक जलपोत, 100/150 मीट्रिक टन तेल का बजरा, एल पी जी सिलेंडर जहाज, आठ जमीनी बजरे, एक 400 यात्रियों का जलपोत, और दो माल ढोने वाली गाड़ियों के अधिग्रहण की संस्‍तुति की है। इसके अलावा भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सुरक्षा योजना के तहत 3x50 यात्री जलपोत और 15 यात्रियों की क्षमता वाली एक नौका अंतरद्वीपीय सेवा हेतु भी स्‍वीकृत की है। प्रशासन ने इसमें से 3x150 यात्री जलपोत, एक 15 यात्री वाले जलयान और एक 10 टन माल ढोने वाले जहाज के निर्माण का ऑर्डर दिया है। ढोने वाली गाड़ी 9 मई, 2006 को सौंप दी गई और यह शीघ्र ही काम करना शुरू कर देगी। 15 यात्री और 150 यात्री वाले जलयान जून 2007 में दे दिए जाएंगे, जैसी कि वृहद योजना में सिफारिश की गई है। 2006-07 में 2x250 यात्री जलयान, छह जमीनी बजरे, एक 150 मी. टन तेल बजरा, एक ढोने वाली गाड़ी तथा एक एल पी जी सिलेंडर जलपोत और 2007-08 में एक 400 यात्री जलयान तथा दो जमीनी बजरे अधिग्रहीत करने का प्रस्‍ताव है। 2x250 यात्री जलयान व 100 मी.टन मालवाहक जलपोत के लिए निर्माण अनुबंध के अनुसार क्रमश: दिसंबर 2009 तथा जून 2010 में दिए जाएंगे।
लक्षदीप की अगले 15 वर्षों की जहाजरानी आवश्‍यकताओं के लिए केंद्र सरकार के जहाजरानी मंत्रालय ने एक वृहद योजना को मंजूरी दी है। भारत सरकार ने 3x150 का उच्‍चगति यात्री जहाज, 2x250 यात्री व 100 मीट्रिक टन मालवाहक जलपोत, 100/150 मीट्रिक टन तेल का बजरा, एल पी जी सिलेंडर जहाज, आठ जमीनी बजरे, एक 400 यात्रियों का जलपोत, और दो माल ढोने वाली गाड़ियों के अधिग्रहण की संस्‍तुति की है। इसके अलावा भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सुरक्षा योजना के तहत 3x50 यात्री जलपोत और 15 यात्रियों की क्षमता वाली एक नौका अंतरद्वीपीय सेवा हेतु भी स्‍वीकृत की है। प्रशासन ने इसमें से 3x150 यात्री जलपोत, एक 15 यात्री वाले जलयान और एक 10 टन माल ढोने वाले जहाज के निर्माण का ऑर्डर दिया है। ढोने वाली गाड़ी 9 मई, 2006 को सौंप दी गई और यह शीघ्र ही काम करना शुरू कर देगी। 15 यात्री और 150 यात्री वाले जलयान जून 2007 में दे दिए जाएंगे, जैसी कि वृहद योजना में सिफारिश की गई है। 2006-07 में 2x250 यात्री जलयान, छह जमीनी बजरे, एक 150 मी. टन तेल बजरा, एक ढोने वाली गाड़ी तथा एक एल पी जी सिलेंडर जलपोत और 2007-08 में एक 400 यात्री जलयान तथा दो जमीनी बजरे अधिग्रहीत करने का प्रस्‍ताव है। 2x250 यात्री जलयान व 100 मी.टन मालवाहक जलपोत के लिए निर्माण अनुबंध के अनुसार क्रमश: दिसंबर 2009 तथा जून 2010 में दिए जाएंगे।
==पर्यटन स्‍थल==
==पर्यटन स्‍थल==
ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन हैं। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है।
ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन हैं। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। प्रदेश में पर्यटन महत्‍वपूर्ण उद्योग बनता जा रहा है। महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं : अगात्ती, बंगारम, कलपेनी, कदमत, कवरत्ती और मिनीकॉय आदि। वर्ष 2006 में यहां 23,303 पर्यटक घूमने आए। इनमें से 2,622 विदेशी थे। पानी के खेल में रुचि रखने वाले जैसे स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के आकर्षण में पर्यटक यहां आते हैं। यह भारत का सबसे छोटा केन्द्र शासित प्रदेश होने के बावजूद पर्यटन के लिहाज से सबसे लोकप्रिय है। लक्षद्वीप के मुख्य द्वीप इस प्रकार हैं-
==बंगारम==
#[[बंगारम]]
आँसू के आकार के इस द्वीप में चारों ओर क्रीम रंग की रेत बिखरी हुई है। लक्षद्वीप के हर द्वीप की तरह यहाँ भी नारियल के वृक्ष सघन हैं जो दिन की तीखी गर्मी में भी ठंडक देते हैं। बंगारम एक निर्जन टापू है। यह सिर्फ पर्यटकों के लिए ही खुला रहता है। यहां के नारियल के पेड़ गर्मियों के दिनों में भी वातावरण को शीतल रखते हैं। इस टापू पर शार्क मछली और समुद्री कछुए को देखा जा सकता हैं। यहां विंडसर्फिग, स्कूबा डाइविंग, पेरासेलिंग, स्नोर्कलिंग का आनंद लिया जा सकता है।
#[[कवरत्ती]]
==कवरत्ती==
#[[कलपेनी]]
कवरत्ती यहाँ की प्रशासनिक राजधानी है। यहां पर इस प्रदेश का प्रशासनिक मुख्यालय है।  यह सबसे अधिक विकसित भी है, साथ ही यहाँ द्वीपवासियों के अलावा अन्य लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं। पूरे द्वीप में 52 मस्जिद हैं, सबसे खूबसूरत मस्जिद है उज्र मस्जिद। कवरत्ती में नौकायन का मजा लिया जा सकता है। समुद्र के किनारे रेत पर लेटकर धूप सेंकना पर्यटकों को यहां बहुत भाता है। आप जामनाथ मस्जिद जाकर लकड़ी पर की गई बेहतरीन नक्काशी का नमूना देख सकते है। समुद्र में सैर का लुत्फ उठाने के लिए यहां डोंगी और पॉल नाव किराए पर उपलब्ध रहते हैं। कहा जाता है कि यहाँ के पानी में चमत्कारी शक्ति है।
#[[मिनीकॉय]]
==कलपेनी==
#[[कदमत]]
कलपेनी अपनी सुंदरता और तिलक्कम व पिट्टी नामक छोटे टापुओं के लिए जाना जाता है। कलपेनी के उत्तर में चेरियम नाम का सुनसान टापू भी बहुत लोकप्रिय है। 2.79 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैले कलपेनी को विशाल और उथले लैगून ने चारों ओर से घेर रखा है। यहां तैराकी, कायक, सेल बोट, पेडल बोट आदि का आनंद लिया जा सकता है। यहां किराए पर वाटर स्पोर्टस क्राफ्ट की व्यवस्था है।
#[[अगत्ती]]
==मिनीकॉय==
#[[अनद्रोथ]]
मिनीकॉय एक चन्द्राकार टापू है। यह मालदीव के सबसे निकट स्थित है। 10.6 कि॰मी॰ लम्बा मिनीकॉय लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा टापू है। 'मालदीपिन संस्कृति' मिनीकॉय को एक विशिष्ट पहचान देती हैं। यहां का लाइट हाउस सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। इस लाइट हाउस को अंग्रेजों ने बनवाया था। वर्तमान समय में यहां हर समय तिरंगा लहराता रहता है। मिनीकॉय की 'टूना कैनिंग फैक्टरी', 'टूना फिशिंग' का प्रमुख केन्द्र है। इसके अलावा यहां का 'लावा नृत्य' भी काफी प्रसिद्ध है। लावा पुरूषों का नृत्य है। इसमें ड्रम की धुनों पर नृत्य किया जाता है। मिनीकॉय 10 गांवों का समूह है जिन्हें अथिरिस कहा जाता है।
#[[बित्रा]]
==कदमत==
 
कदमत  द्वीप 8 कि॰मी॰ लम्बा और 550 मीटर चौड़ा है। इसके पश्चिम के खूबसूरत उथले लैगून वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनों को बहुत प्रिय हैं। कदमत के पूर्व में एक संकरा लैगून है। यहां दूर-दूर फैले लम्बे रेतीले बीच पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पर्यटकों के लिए यहां टूरिस्ट हट की व्यवस्था है। यह हट लैगून के सामने नारियल के बगीचों में बनीं हैं। शहर के शोर से दूर यह स्थान पर्यटकों में प्रसिद्व है। कदमत चूने के पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है। हाल ही में कदमत में स्कूबा डाइविंग केन्द्र स्थापित किया गया है। कदमत की सुंदरता पर्यटकों को स्वर्ग की अनुभूति कराती है।
==अगत्ती==
अगत्ती लक्षद्वीप का सबसे सुन्दर लैगून हैं। लक्षद्वीप में प्रवेश करने के लिए एकमात्र एयरपोर्ट यहीं पर है। साथ ही 20 बेड वाला टूरिस्ट कॉम्पलेक्स यहां बनाया गया है। यह टापू 3.84 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र में फैला हुआ है। विदेशी पर्यटकों को यहां रुकने की अनुमति नही है।
==अनद्रोथ==
अनद्रोथ द्वीप लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है। यहाँ घने नारियल के पेड़ हैं। लक्षद्वीप में इस द्वीप के लोगों ने सबसे पहले इस्लाम को अपनाया था। मौलवी अबैदुल्लाह ने यहां के लोगों का धर्म परिवर्तित किया। जूमा की मस्जिद में इस संत का मक़बरा स्थित है। मछली पालन यहां प्रमुख व्यवसाय है। भारत सरकार ने अनद्रोथ के पूर्व में आधुनिक लाइट हाउस टॉवर बनवाया है। टॉवर का निर्माण 1966 में पूरा हुआ था।
==बित्रा==
बित्रा द्वीप लक्षद्वीप के सबसे छोटे द्वीपों में एक है। कभी इस द्वीप पर केवल जंगल ही था। समुद्री पक्षियों के प्रजनन स्थल के रूप में इस स्थान को जाना जाता था। उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में मछुआरों ने यहां स्थायी रूप से रहना प्रारंभ कर दिया। लक्षद्वीप के खूबसूरत द्वीपों में से बित्रा बहुत ही सुन्दर है।


प्रदेश में पर्यटन महत्‍वपूर्ण उद्योग बनता जा रहा है। महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं : अगात्ती, बनगारम, कलापेनी, कादमत, कवारत्ती और मिनीकाय आदि। वर्ष 2006 में यहां 23,303 पर्यटक घूमने आए। इनमें से 2,622 विदेशी थे। पानी के खेल में रुचि रखने वाले जैसे स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के आकर्षण में पर्यटक यहां आते हैं। यह भारत का सबसे छोटा केन्द्र शासित प्रदेश होने के बावजूद पर्यटन के लिहाज से सबसे लोकप्रिय है।


==अन्य लिंक==
==अन्य लिंक==

11:31, 4 मई 2010 का अवतरण

लक्षद्वीप / Lakshadweep

स्थिति

अरब सागर में स्थित छोटे द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं। ये भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित हैं। मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसकी पारदर्शी सतह पर्यटकों को सम्मोहित कर लेता है। समुद्री जल में तैरती मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। हर द्वीप पर नारियल व पाम के झूमते हरे-भरे वृक्ष, और समुद्र जिसका नीला पानी अनोखी पवित्रता का अहसास कराता है।

लक्षद्वीप भारत के एकमात्र मूँगा द्वीप हैं। इन द्वीपों की श्रृंखला मूँगा एटोल हैं। एटोल मूँगे के द्वारा बनाया गई ऐसी रचना है जो समुद्र की सतह पर पानी और हवा मिलने पर बनती है। सिर्फ इन्हीं परिस्थतियों में मूँगा जीवित रह सकता है। यहाँ के निवासी केरल के निवासियों से बहुत मिलते-जुलते हैं। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। अब केंद्र सरकार इन द्वीपों का पर्यटन की दृष्टि से तेजी से विकास कर रही है।

लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती है। समस्त केन्द्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप सब से छोटा है। लक्षद्वीप द्वीप-समूह की उत्पत्ति प्राचीन काल में एक ज्वालामुखी से हुई मानी जाती है। लक्षद्वीप भारत की मुख्यभूमि से लगभग 400 कि.मी. दूर पश्चिम दिशा में अरब सागर में है। लक्षद्वीप में कुल 36 द्वीप है, किन्तु सिर्फ 7 द्वीपों पर ही जनजीवन है्। भारतीय पयर्टक 6 द्वीपों पर जा सकते है जबकि विदेशी पयर्टकों को केवक 2 द्वीप, अगाती व बंगाराम पर ही जाने की अनुमति मिलती है।

इतिहास और भूगोल

इन द्वीपों के बारे में, इनके पूर्व इतिहास के बारे में अधिक जानकारी उपलब्‍ध नहीं है। समझा जाता है कि पहले-पहल लोग आकर अमीनी, अनद्रौत, कवारत्ती और अगात्ती द्वीपों पर बस गये। पहले यह विश्‍वास किया जाता था कि द्वीप में आकर बसने वाले मूल लोग हिंदू थे और लगभग 14वीं शताब्‍दी में किसी समय अरब व्‍यापारियों के प्रभाव में आकर मुसलमान बन बए। परंतु हाल ही में पुरातत्‍वीय खोजों से पता चलता है कि लगभग छठी या सातवीं शताब्‍दी के आसपास यहां बौद्ध रहते थे। सर्वप्रथम इस्लाम धर्म को अपनाने वाले जिन लोगों और निवासियों का पता चलता है वे हिजरी वर्ष 139 (आठवीं शताब्‍दी) के समय के मालूम होते हैं। इस तारीख का पता अगात्ती में हाल में खोजे गए मकबरों के पत्‍थरों पर खुदी तारीखों से लगता है। स्‍थानीय पंरपरागत मान्‍यताओं के अनुसार, इस द्वीप में अरब सूफी अबैदुल्‍ला हिजरी सन 41 में इस्‍लाम को लेकर आए।

सम्भवत: 16वीं शताब्‍दी तक स्‍वतंत्र इन द्वीपों में बसने वाले लोगों को पुर्तगालियों के उपनिवेशों के आधिपत्‍य से मुक्ति पाने के लिए चिरक्कल के राजा की सहायता लेनी पडी। इससे वह यहां अपनी प्रभुत्‍व जमा सका और बाद में इन द्वीपों को कन्नानूर में मोपला समुदाय के प्रमुख अली राजा को जागीर के रूप में सौंप दिया, वह बाद में स्‍वतंत्र शासक बन बैठा। अरक्‍कल शासन लोकप्रिय नहीं हुआ और 1787 में टीपू सुल्तान ने इन द्वीपों पर कब्‍जा करने की उत्तर के द्वीपवासियो की याचिका को स्‍वीकार कर लिया। टीपू सुल्तान के पतन के बाद ये द्वीप ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार में दे दिए गए, परंतु इन पर कन्‍नानूर के शासक वस्‍तुत: तब तक शासन करते रहे जब तक कि अंतत: 20वीं शताब्‍दी के आरंभ में अंग्रेजों ने इन पर कब्‍जा नहीं कर लिया। 1956 में इन द्वीपों को मिलाकर 'केंद्रशासित प्रदेश' बना दिया गया और त‍ब इसका शासन केंद्र सरकार के प्रशासक के माध्‍यम से चल रहा है। 'सन 1973 में लक्‍का दीव, मिनीकाय और अमीनदीवी द्वीपसमूहों का नाम लक्षद्वीप कर दिया।' लक्षद्वीप प्रवाल द्वीपों का एक समूह है जिसमें 12 प्रवाल द्वीप, तीन प्रवाल भित्ति और जलमग्‍न बालू के तट शामिल हैं। यहां के कुल 27 द्वीपों में से 11 में आबादी है। ये द्वीप उत्तर में 8 डिग्री और 12 डिग्री, 3, अक्षांश पर तथा पूर्व में 71 डिग्री और 74 डिग्री देशांतर पर केरल तट से लगभग 280 से 480 कि.मी. दूर अरब सागर में फैले हुए हैं।

खाद्य व्यवस्था

लक्षद्वीप में पीने के पानी के स्रोत बिल्कुल नहीं हैं। वर्षा के पानी को ही इकट्ठा करके इस्तेमाल किया जाता है। कुछ द्वीपों में कुएं बनाए गए हैं, जिसमें वर्षा का पानी जमा किया जाता है और फिर काम में किया जता है। नारियल, केला, पपीता और कुछ जंगली पेड़ पौधों के अलावा लक्षद्वीप में कुछ भी नहीं पैदा होता। मिट्टी न होने की वजह से सब्जियां नहीं उगाई जा सकतीनहैं। खाद्य सामग्री, सब्जियां और जरूरत की दूसरी चीजें कोच्चि से ही मंगाई जाती हैं।

आवश्यक वस्तुओं का आयात

अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएँ, पेट्रोलियम उत्पाद, सामान्य वस्तुएँ, स्टील, सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री मालवाहक यान के द्वारा द्वीप पर मंगायी जाती हैं। विशेष चिकित्सा सुविधा और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए लोगों को मुख्य भूमि पर ही जाना पड़ता है।

कृषि

यहां की प्रमुख फसल नारियल है और प्रतिवर्ष 580 लाख नारियल का उत्‍पादन होता है। यहां 2,598 हेक्‍टेयर भूमि में खेती की जाती है। यहां के नारियल को जैव उत्‍पाद (आर्गेनिक प्रोडक्‍ट) के रूप में जाना गया हैं। भारत में सार्वाधिक नारियल उत्‍पादन लक्षद्वीप में होता है तथा प्रति हेक्‍टेयर उपज 22,310 नारियल है और प्रत्‍येक पेड़ से प्रतिवर्ष औसतन 97 खजूरों का उत्‍पादन होता है। लक्षद्वीप के नारियलों में विश्‍व के अन्‍य नारियलों के मुकाबले सर्वाधिक तेल (72 प्रतिशत) पाया जाता है।

मछली पालन

मछली पकड़ना यहां का एक अन्‍य प्रमुख व्यवसाय है। इसके चारों ओर के समुद्र में मछलियां बहुत अधिक पायी जाती हैं। लक्षद्वीप में प्रति व्‍यक्ति मछली की उपलब्‍धता देश में सर्वाधिक है। सन 2006 में इस प्रदेश में 11,751 टन मछलियां पकड़ी गईं।

हस्तशिल्प उद्योग

नारियल के रेशे और उससे बनने वाली वस्‍तुओं का उत्‍पादन यहां का मुख्‍य उद्योग हैं। सरकारी क्षेत्र के अधीन नारियल के रेशों की सात फैक्ट्रियां, सात रेशा उत्‍पादन एवं प्रदर्शन केंद्र और चार रेशा बंटने वाली इकाई हैं। इन इकाइयों में नारियल के रेशों और सुतली के उत्‍पादन के अतिरिक्‍त नारियल के रेशों से बनी रस्सियां, कॉरीडोर मैट, चटाइयों और दरियों आदि का भी उत्‍पादन किया जाता है। विभिन्‍न द्वीपों में निजी क्षेत्र में भी कई नारियल रेशा इकाइयां काम कर रही हैं।

परिवहन

  • अगत्ती में लक्षद्वीप का एकमात्र एयरपोर्ट है। अगत्ती नियमित उड़ानों से कोच्चि से जुड़ा हुआ है। कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। हेलिकॉप्टर के माध्यम से भी लक्षद्वीप पहुंचा जा सकता है।
  • लक्षद्वीप पहुंचने के लिए पानी का जहाज अच्छा विकल्प है। कोच्चि से कुछ यात्री जहाज संचालित होते हैं। जहाज के माध्यम से लक्षद्वीप पहुंचने में लगभग 18-20 घन्टे का समय लगता है। मॉनसून के दौरान पानी के जहाज की सेवाएं बंद रहती हैं।

मुख्‍य भूमि से कोचीन और बेपोर बंदरगाह तक यात्रियों को लाने, ले जाने के लिए एम.वी.टीपू सुल्‍ताल, एम.वी. भारत सीमा, एम.वी. आमीनदीनी, एम.वी. मिनीकाय और एम.वी. द्वीपसेतु नामक यात्री जलपोत माल ढोने के लिए एम.वी. उबेदुल्‍ला, एम.वी. थिन्‍नाकारा और एम.वी. लक्षदीव और एम.वी. चेरियम नामक चार मालवाही जहाज हैं। 60 मीट्रिक टन का तेलवाहक एम.वी. सुहेली का उपयोग यहां के छोटे जहाजों (फेरी) और मोटर नौकाओं आदि को ईंधन की आपूर्ति के लिए किया जाता है। कादीजा बीवी और हुमीदात बी हुमीदात बी जहाज मिनीकाय के अलावा अन्‍य द्वीपों को आपस में जोडता है। इसके अलावा एक द्वीप से दूसरे द्वीप और मुख्‍य भूमि से जोडने के लिए हेलीकाप्‍टर ऐंबुलेंस सेवा भी उपलब्‍ध है। इंडियन एयरलाइंस अगाती और कोच्चि के बीच दैनिक (रविवार छोडकर) हवाई सेवा है।

लक्षदीप की अगले 15 वर्षों की जहाजरानी आवश्‍यकताओं के लिए केंद्र सरकार के जहाजरानी मंत्रालय ने एक वृहद योजना को मंजूरी दी है। भारत सरकार ने 3x150 का उच्‍चगति यात्री जहाज, 2x250 यात्री व 100 मीट्रिक टन मालवाहक जलपोत, 100/150 मीट्रिक टन तेल का बजरा, एल पी जी सिलेंडर जहाज, आठ जमीनी बजरे, एक 400 यात्रियों का जलपोत, और दो माल ढोने वाली गाड़ियों के अधिग्रहण की संस्‍तुति की है। इसके अलावा भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सुरक्षा योजना के तहत 3x50 यात्री जलपोत और 15 यात्रियों की क्षमता वाली एक नौका अंतरद्वीपीय सेवा हेतु भी स्‍वीकृत की है। प्रशासन ने इसमें से 3x150 यात्री जलपोत, एक 15 यात्री वाले जलयान और एक 10 टन माल ढोने वाले जहाज के निर्माण का ऑर्डर दिया है। ढोने वाली गाड़ी 9 मई, 2006 को सौंप दी गई और यह शीघ्र ही काम करना शुरू कर देगी। 15 यात्री और 150 यात्री वाले जलयान जून 2007 में दे दिए जाएंगे, जैसी कि वृहद योजना में सिफारिश की गई है। 2006-07 में 2x250 यात्री जलयान, छह जमीनी बजरे, एक 150 मी. टन तेल बजरा, एक ढोने वाली गाड़ी तथा एक एल पी जी सिलेंडर जलपोत और 2007-08 में एक 400 यात्री जलयान तथा दो जमीनी बजरे अधिग्रहीत करने का प्रस्‍ताव है। 2x250 यात्री जलयान व 100 मी.टन मालवाहक जलपोत के लिए निर्माण अनुबंध के अनुसार क्रमश: दिसंबर 2009 तथा जून 2010 में दिए जाएंगे।

पर्यटन स्‍थल

ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन हैं। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। प्रदेश में पर्यटन महत्‍वपूर्ण उद्योग बनता जा रहा है। महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं : अगात्ती, बंगारम, कलपेनी, कदमत, कवरत्ती और मिनीकॉय आदि। वर्ष 2006 में यहां 23,303 पर्यटक घूमने आए। इनमें से 2,622 विदेशी थे। पानी के खेल में रुचि रखने वाले जैसे स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के आकर्षण में पर्यटक यहां आते हैं। यह भारत का सबसे छोटा केन्द्र शासित प्रदेश होने के बावजूद पर्यटन के लिहाज से सबसे लोकप्रिय है। लक्षद्वीप के मुख्य द्वीप इस प्रकार हैं-

  1. बंगारम
  2. कवरत्ती
  3. कलपेनी
  4. मिनीकॉय
  5. कदमत
  6. अगत्ती
  7. अनद्रोथ
  8. बित्रा


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