"अदरक": अवतरणों में अंतर

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# शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफी मददगार है।
# शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफी मददगार है।
# यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया करीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
# यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया करीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
# ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।
# अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
# काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।
# चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है।
# लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।
# ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है।
# लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।
# अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।
# रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।


===हानिकारक प्रभाव===
===हानिकारक प्रभाव===

09:34, 27 जुलाई 2011 का अवतरण

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अदरक (Ginger) गुणों की खान है। आप इसे फल-सब्जी मानें या फिर विलक्षण दवा कहें, अधिकतर घरों में अदरक का उपयोग तरह-तरह से किया जाता है। अदरक भोजन में मसाले के रूप में और ताजा अदरक अचार और चटनी सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे जिंजिबर अफिसिनेल नाम दिया गया है। शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है। अदरक के फायदे अचूक हैं। अदरक के चिकित्सीय गुणों की जानकारी पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आसानी से देखी जा सकती है। अदरक न केवल मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है बल्कि इसे हजारों वर्षों से भारतीय, अरबी व चीनी चिकित्सकों ने एक औषधि के रूप में स्वीकार किया है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक गुरु, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, अग्नि प्रदीपक, कटु रसयुक्त, मल भेदक, भारी, गरम, उदराग्नि बढ़ाने वाला, विपाक में मधुर रसयुक्त, रूक्ष, वात-कफ नाशक होता है। बुजुर्गों की बात माने तो अदरक, हल्दी आदि औषधियों के सेवन से ठंड का समय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। कमजोर जीवन शक्ति वाले लोग जुकाम, गले और फेफड़े से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अदरक एक बेहतर दवा सिद्ध होती है।

इसके टुकड़ों पर सेंधा नमक डाल कर खाने से जीभ और गला साफ होता है और भोजन के प्रति अरूचि मिटती है। अदरक की चाय जुकाम, खांसी, कफ, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और यह स्वादिष्ट होती है। अदरक में जीवाणुओं के मारने के ठोस और कफ अवरोधी गुण पाए गए हैं। बड़ी आँत में पाए जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है। अदरक द्वारा यह प्रकिया रोकने से एशकेरिया कोलाई, स्तेफाईलोकाकस, स्ट्रेप्टो काकस और साल्मोनेला जीवाणुओं के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। अदरक में किसी भी चीज को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। नाइजीरिया में हुए एक शोध के मुताबिक अदरक का सत्व सल्मोनेला नामक जीवाणुओं को खत्म करने में काफी असरकारक है।

कच्चे अदरक के अलावा इसके सूखे हुए रूप ‘सोंठ’ को भी उपयोग में लिया जाता है। इसे शहद में मिला कर लेना श्रेष्ठतम है। भोजन के एक महत्वपूर्ण अंग और औषधि, दोनों रूपों में अदरक या सोंठ का प्रयोग किया जाता है। सोंठ का उपयोग अदरक के अभाव में किया जाता है। वैसे तो स्वास्थ्य की दृष्टि से दोनों ही लाभदायक होते हैं, लेकिन सुखाने पर अदरक में मौजूद कई तैलीय तत्व नष्ट हो जाते हैं।

अदरक में अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे 100 ग्राम अदरक में कार्बोहाइड्रेट 12.3 ग्राम, प्रोटीम 24 ग्राम, वसा 0.8 ग्राम रेशा 2.50 ग्राम, कैल्शियम 20 मिलीग्राम, फास्फोरस 60 मि.ग्रा., आयरन 26 मि.ग्रा., विटामिन ए 40 आई.यू., नमी 80.9 ग्राम आदि तत्व पाए जाते हैं।

अदरक के स्वास्थ्य लाभ

यह एक पौधे की जड़ है। यह भारत में एक मसाला के रूप में प्रमुख है। यह रसोई घर या हर्बल दवाओं में भी पाया जाता है। विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ी-छोटी बीमारियों में भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। औषधि के रूप में इसका प्रयोग गठिया, र्‌यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात, जोड़ों की बीमारियों) साइटिका और गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर, भूख न लगना, मरोड़, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना, एंटी-फंगल। इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अदरक एक दर्द रिलीवर के रूप में पाया गया है। इस का प्रयोग दर्दनाक माहवारी, माइग्रेन, अपच और संक्रमण के लिए और अस्थमा के रूप में राहत प्रदान और जीवन शक्ति और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रूमेटिक रोगों में जहाँ कर्टिकोस्टेराईड तथा नान स्टेराइड दर्द नाशक दवाएं दी जाती हैं वहां अदरक का रस बहुत ही लाभ दायक है। अदरक कुष्ठ, पांडूरोग, रक्त पित्त, ज्वर दाह रोग आदि में उपयोगी औषधि है।

कैंसर प्रतिरोधी

इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है, इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजायम सक्रीय हो जाते है। इस गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है।

त्वचा को निखारे

अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवां दिखेंगे।

मार्निग सिकनेस से निजात

अदरक गर्भवती महिलाओं को होने वाली मार्निग सिकनेस [चक्कर आना, उल्टियां होना आदि] निजात दिलाता है।

दर्दनिवारक दवा

अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है।

पेट की समस्याओं में लाभकारी

बदहजमी, पेट का दर्द, ऐंठन, दस्त, पेट फूलना और अन्य पेट और आंत्र समस्याओं से संबंधित की है। अदरक या अदरक का तेल अदरक की चाय भी पेट की समस्याओं में लाभकारी है। अदरक अपच के लिए और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। इस का उपयोग भोजन की विषाक्तता के लिए आंत्र जीवाणु संक्रमण और पेचिश के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। अदरक की जड़ और इसका तेल मतली दस्त और उल्टी के खिलाफ भी प्रभावी होता है। अदरक का तेल चिंता अवसाद, मानसिक तनाव, थकान, चक्कर आना और बेचैनी को भी नियंत्रित करता है।

अदरक का तेल

दिल की बीमारियों का इलाज में अदरक के तेल का उपयोग करें। अदरक में प्रोस्टाग्लैंडिन एव थ्रोंबाक्सेन के निर्माण को कम करने की क्षमता है जिससे रक्त का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है। अत: कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करने में अदरक बहुत ही उपयोगी है। अदरक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी और रक्त थक्के में अवरोध दिल स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में सहायक हो सकता है। गरिष्ठ भोजन करने से प्लेटलेट रक्त-कणों की चिपचिपाहट बढ़ जाती है। भोजन में रोज 10 ग्राम अदरक लेने से प्लेटलेट कणों के चिपचिपेपन पर रोक लगी रहती है। अदरक के उपयोग से उच्च रक्तचाप में सुधार और शरीर में रक्त के प्रवाह के संचालन को संतुलित करता है।

सांस की समस्याओं में लाभकारी अदरक

यह सांस और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, में कारगर है। सांस की समस्याओं जैसे बलगम दूर करने में सर्दी, खांसी, फ्लू. गले और फेफड़ों अदरक बहुत प्रभावी है। इसलिए भारत में चाय के साथ अदरक डाला जाता है। शहद और अदरक का सांस की समस्याओं के उपचार में स्वास्थ्य लाभ को अच्छी तरह से जाना जाता है।

सूजन और दर्द कम कर देता है अदरक

अदरक का अर्क मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम कर देता है। और मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन, आदि अदरक का तेल की मालिश या अदरक का पेस्ट दर्द को कम कर के मांसपेशियों के दर्द और तनाव को कम करने में सहायक होता है। एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक पाउडर महिलाओं के गर्भाशय के डिम्बग्रंथि के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर कोशिका की मृत्यु कर देता हैपौ बालों के लिए भी उपयोगी है। अदरक का रस रूसी को भी नियंत्रित करता है।

अदरक के औषधीय प्रयोग

  1. भोजन से पूर्व अदरक की कतरन में नमक डालकर खाने से खुलकर भूख लगती है, रुचि पैदा होती है, कफ व वायु के रोग नहीं होते एवं कंठ व जीभ की शुध्दि होती है।
  2. अदरक और प्याज का रस समान मात्रा में पीने से उल्टी (वमन) होना बंद हो जाता है।
  3. सर्दियों में अदरक को गुड़ में मिलाकर खाने से सर्दी कम लगती है तथा शरीर में गर्मी पैदा होती है। सर्दी लगकर होने वाली खांसी का कफ वाली खांसी की यह अचूक दवा है।
  4. अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े मुंह में रखकर चूसने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।
  5. सर्दी के कारण होने वाले दांत व दाढ़ के दर्द में अदरक के टुकड़े दबाकर रस चूसने से लाभ होता है।
  6. एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह से दुर्गंध आनी बंद हो जाती है।
  7. सर्दी के कारण सिरदर्द हो तो सोंठ को घी या पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।
  8. पेट दर्द में एक ग्राम पिसी हुई सोंठ, थोड़ी सी हींग और सेंधा नमक की फंकी गरम पानी के साथ लेने से फायदा होता है।
  9. आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर एक-एक घंटे के अंतराल पर पीने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
  10. अदरक का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से हृदय रोग में लाभ होता है।
  11. सोंठ का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) मस्से में लाभ होता है।
  12. पाचन की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं। ऐसा करने से आपको बदहजमी नहीं होगी। इसके अलावा सीने की जलन दूर करने में भी अदरक मददगार साबित होता है।
  13. शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफी मददगार है।
  14. यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया करीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
  15. ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।
  16. अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
  17. काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।
  18. चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है।
  19. लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।
  20. ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है।
  21. लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।
  22. अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।
  23. रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।

हानिकारक प्रभाव

जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो कुष्ठ, रक्तपित्त, पीलिया, ज्वर, घाव, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर गर्मी के मौसम में और खून की उल्टी होने पर अदरक का सेवन नहीं करना चाहिएपौ और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। अदरक एक दिन में पांच से दस ग्राम, सोंठ का चूर्ण एक से तीन ग्राम, रस पांच से दस से मिलीलीटर, रस और शर्बत दस से तीस मिलीलीटर तक ही सेवन करना चाहिए।


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