"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/अभ्यास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ किस भारतीय ने सर्वप्रथम अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिए सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था? | {किस भारतीय ने सर्वप्रथम अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिए सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मदन मोहन मालवीय]] | -[[मदन मोहन मालवीय]] | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
+[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | +[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | ||
-[[जवाहर लाल नेहरू]] | -[[जवाहर लाल नेहरू]] | ||
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|120px|गोपाल कृष्ण गोखले]]महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य [[गोपाल कृष्ण गोखले]] को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें [[भारत]] का '''ग्लेडस्टोन''' कहा जाता है। 1905 ई. में गोखले ने 'भारत सेवक समाज' (सरवेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी) की स्थापना की, ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि, वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसीलिए इन्होंने सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिये सदन में विधेयक भी प्रस्तुत किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | |||
{[[लॉर्ड लिनलिथगो]] के शासनकाल में ‘चेटफ़ील्ड कमेटी’ की नियुक्ति हुई। इसका सम्बन्ध किस विषय से था? | {[[लॉर्ड लिनलिथगो]] के शासनकाल में ‘चेटफ़ील्ड कमेटी’ की नियुक्ति हुई। इसका सम्बन्ध किस विषय से था? | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 27: | ||
+[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | +[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
-[[दादाभाई नौरोजी]] | -[[दादाभाई नौरोजी]] | ||
||'देवेन्द्रनाथ ठाकुर' [[कलकत्ता]] निवासी श्री [[द्वारकानाथ ठाकुर]] के पुत्र थे, जो प्रख्यात विद्वान और धार्मिक नेता थे। देवेन्द्रनाथ ठाकुर को अपनी दानशीलता के कारण 'प्रिंस' की उपाधि प्राप्त हुई थी। [[पिता]] से उन्होंने ऊँची सामाजिक प्रतिष्ठा तथा ऋण उत्तराधिकार में प्राप्त किया था। [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]], देवेन्द्रनाथ ठाकुर के पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
{निम्न में से किस व्यक्ति को ‘बिना ताज का बादशाह’ कहा जाता है? | {निम्न में से किस व्यक्ति को ‘बिना ताज का बादशाह’ कहा जाता है? | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 35: | ||
-[[राजा राममोहन राय]] | -[[राजा राममोहन राय]] | ||
-[[महात्मा गाँधी]] | -[[महात्मा गाँधी]] | ||
||[[चित्र:Surendranath-Banerjee.jpg|right|120px|सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने [[बंगाल]] के विभाजन का घोर विरोध किया और उसके विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया, जिससे वे बंगाल के निर्विवाद रूप से नेता मान लिये गये। वे बंगाल के '''बिना ताज़ के बादशाह''' कहलाने लगे थे। बंगाल का विभाजन 1911 ई. में रद्द कर दिया गया, जो [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] की एक बहुत बड़ी जीत थी। लेकिन इस समय तक देशवासियों में एक नया वर्ग पैदा हो गया था, जिसका विचार था कि [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वैधानिक आंदोलन विफल सिद्ध हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] | |||
{‘[[मुस्लिम लीग]]’ ने अपने किस अधिवेशन में ‘डिवाइड एण्ड क्विट’ का नारा दिया था? | {‘[[मुस्लिम लीग]]’ ने अपने किस अधिवेशन में ‘डिवाइड एण्ड क्विट’ का नारा दिया था? |
07:46, 9 अगस्त 2011 का अवतरण
|