"लाल क़िला आगरा": अवतरणों में अंतर
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[[आगरा]] में [[ताजमहल]] से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ है्। यह 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस | [[आगरा]] में [[ताजमहल]] से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ है्। यह 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मजबूत दीवारें अपने अंदर एक स्वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्ट भवन हैं। | ||
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*शीश महल। | *शीश महल। | ||
*आगरा का क़िला मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में 'यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों' में से एक है। | *आगरा का क़िला मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में 'यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों' में से एक है। | ||
==क़िले का निर्माण== | ==क़िले का निर्माण== | ||
आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरु हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते [[शाहजहाँ]] ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह | आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरु हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते [[शाहजहाँ]] ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा [[यमुना नदी]] की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्य अक्ष नदी के समानान्तर है और दीवारें शहर की ओर हैं। | ||
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इस | इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को अमरसिंह दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। '''जहाँगीर महल''' पहला उल्लेखनीय भवन है जो अमरसिंह नामक प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। [[जहाँगीर]] अक़बर का बेटा था और वह मु्ग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी भी था। जहाँगीर महल का निर्माण अक़बर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्थरों से बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट बहुत ही सादगी वाली है। पत्थरों के बड़े कटोरे पर सजावटी पर्शियन पच्चीकारी की गई है, जो संभवत: सुगंधित गुलाबजल को रखने के लिए बनाया गया था। अक़बर ने जहाँगीर महल के पास अपनी प्रिय रानी जोधाबाई के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था। | ||
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शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ ''' | शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ '''ख़ासमहल''' विशिष्ट इस्लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में सफेद संगमरमर की सतह पर चित्रकला का सबसे उत्कृष्ट चित्रांकन किया गया है। ख़ासमहल की बाईं ओर 'मुसम्मन बुर्ज' है कहा जाता है कि इसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। यह सुंदर अष्टभुजी स्तंभ एक खुले मंडप के साथ बना है। इसका खुलापन, ऊंचाइयाँ और शाम की ठण्डी हवाएं इसकी कहानी खुद कहती हैं। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहाँ शाहजहाँ ने ताजमहल को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी। | ||
==शीशमहल== | ==शीशमहल== | ||
शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो [[भारत]] में कांच की सजावट का सबसे अच्छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहां बने संगमरमर के खम्भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था। | शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो [[भारत]] में कांच की सजावट का सबसे अच्छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहां बने संगमरमर के खम्भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था। | ||
==दीवान-ए-आम== | ==दीवान-ए-आम== | ||
'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्ली से ला कर | 'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्ली से ला कर लालक़िले में रक्खा गया था। यह सिंहासन सफेद संगमरमर से बना हुआ उत्कृष्ट कला का नमूना है। | ||
==नगीना मस्जिद== | ==नगीना मस्जिद== | ||
नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्ज़िद थी। | नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्ज़िद थी। | ||
==मोती मस्ज़िद== | ==मोती मस्ज़िद== | ||
मोती मस्ज़िद आगरा | मोती मस्ज़िद आगरा क़िले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन आजकल दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास 'मीना मस्ज़िद' है, जिसे शाहजहाँ ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए बनवाया था। | ||
11:44, 8 मई 2010 का अवतरण
आगरा का क़िला / Agra Fort
आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्दी में बना महत्वपूर्ण मुग़ल स्मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्टोन से बना हुआ है्। यह 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मजबूत दीवारें अपने अंदर एक स्वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्ट भवन हैं।
विशिष्ट भवन
- 'मोती मस्जिद' सफेद संगमरमर से बनी है, जो एक त्रुटि रहित मोती जैसी है।
- दीवान ए आम,
- दीवान ए ख़ास,
- मुसम्मन बुर्ज - जहाँ मुग़ल शासक शाहजहाँ की मौत 1666 ए. डी. में हुई।
- जहाँगीर का महल
- ख़ास महल और
- शीश महल।
- आगरा का क़िला मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में 'यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों' में से एक है।
क़िले का निर्माण
आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरु हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह अकबर ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते शाहजहाँ ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा यमुना नदी की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्य अक्ष नदी के समानान्तर है और दीवारें शहर की ओर हैं।
क़िले की संरचना
इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को अमरसिंह दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। जहाँगीर महल पहला उल्लेखनीय भवन है जो अमरसिंह नामक प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। जहाँगीर अक़बर का बेटा था और वह मु्ग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी भी था। जहाँगीर महल का निर्माण अक़बर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्थरों से बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट बहुत ही सादगी वाली है। पत्थरों के बड़े कटोरे पर सजावटी पर्शियन पच्चीकारी की गई है, जो संभवत: सुगंधित गुलाबजल को रखने के लिए बनाया गया था। अक़बर ने जहाँगीर महल के पास अपनी प्रिय रानी जोधाबाई के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था।
ख़ासमहल
शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ ख़ासमहल विशिष्ट इस्लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में सफेद संगमरमर की सतह पर चित्रकला का सबसे उत्कृष्ट चित्रांकन किया गया है। ख़ासमहल की बाईं ओर 'मुसम्मन बुर्ज' है कहा जाता है कि इसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। यह सुंदर अष्टभुजी स्तंभ एक खुले मंडप के साथ बना है। इसका खुलापन, ऊंचाइयाँ और शाम की ठण्डी हवाएं इसकी कहानी खुद कहती हैं। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहाँ शाहजहाँ ने ताजमहल को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी।
शीशमहल
शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो भारत में कांच की सजावट का सबसे अच्छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहां बने संगमरमर के खम्भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था।
दीवान-ए-आम
'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्ली से ला कर लालक़िले में रक्खा गया था। यह सिंहासन सफेद संगमरमर से बना हुआ उत्कृष्ट कला का नमूना है।
नगीना मस्जिद
नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्ज़िद थी।
मोती मस्ज़िद
मोती मस्ज़िद आगरा क़िले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन आजकल दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास 'मीना मस्ज़िद' है, जिसे शाहजहाँ ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए बनवाया था।