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'''कमल, राष्ट्रीय पुष्प / Lotus'''
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भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है। यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन [[भारत|भारतीय]] कला और पुराणों में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति का शुभ प्रतीक माना जाता है।
भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है। यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन [[भारत|भारतीय]] कला और पुराणों में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति में शुभ प्रतीक माना जाता है।


कमल एक जलीय फसल है जो भारत भर में बढ़ती है। यह एक दुनिया की सबसे मनाया फूलों की है। फूलों एशिया में पवित्र और मध्य पूर्व के 5000 से अधिक वर्षों के लिए किया गया है और अक्सर हिंदू और बौद्ध कला और साहित्य में होते हैं।
कमल एक जलीय फसल है जो भारत भर में बढ़ती है। यह एक दुनिया की सबसे मनाया फूलों की है। फूलों एशिया में पवित्र और मध्य पूर्व के 5000 से अधिक वर्षों के लिए किया गया है और अक्सर हिंदू और बौद्ध कला और साहित्य में होते हैं।
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करगली (बोकारो) : भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म व दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय, सुंदरता, सद्भावना, शांति, स्मृति व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। मां देवी [[दुर्गा]] की कमल पुष्प से पूजा की जाती है। संभवत: यही वजह है कि इसे पुष्पराज भी कहा जाता है। यह जानकारी पंडित शास्त्री पंकज ने दी।
करगली (बोकारो) : भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म व दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय, सुंदरता, सद्भावना, शांति, स्मृति व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। मां देवी [[दुर्गा]] की कमल पुष्प से पूजा की जाती है। संभवत: यही वजह है कि इसे पुष्पराज भी कहा जाता है। यह जानकारी पंडित शास्त्री पंकज ने दी।


उन्होंने बताया कि कमल पुष्प को [[महालक्ष्मी]], [[ब्रह्मा]], [[सरस्वती]] आदि देवी-देवताओं ने अपना आसन बनाया है, साथ ही यह लक्ष्मी का प्रतीक भी है। इस फूल से कई देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें खुश किया जा सकता है। यज्ञ व अनुष्ठानों में कमल पुष्प को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। पंडित ने बताया कि कमल फूल की उत्पत्ति कीचड़ और जल में होता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि कमल का खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है। मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाए जाते है। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बताई गई है। कंडलिनी जागरण के लिए योगी जिन आठ चक्रों को भेदते है उन्हे विभिन्न दलों के कमल कहते है, क्योंकि उन्हें भेद कर ही ब्रह्मा का ज्ञान व उनकी प्राप्ति का होना संभव है। मां देवी दुर्गा को लाल फूल पसंद है। इधर फुसरो के मालाकार लक्ष्मण ने बताया कि कमल फूल की महत्ता का ही परिणाम है कि पूजा के दौरान उसकी बिक्री ज्यादा होती है।  
उन्होंने बताया कि कमल पुष्प को [[लक्ष्मी|महालक्ष्मी]], [[ब्रह्मा]], [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] आदि देवी-देवताओं ने अपना आसन बनाया है, साथ ही यह लक्ष्मी का प्रतीक भी है। इस फूल से कई देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें खुश किया जा सकता है। यज्ञ व अनुष्ठानों में कमल पुष्प को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। पंडित ने बताया कि कमल फूल की उत्पत्ति कीचड़ और जल में होता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि कमल का खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है। मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाए जाते है। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बताई गई है। कंडलिनी जागरण के लिए योगी जिन आठ चक्रों को भेदते है उन्हे विभिन्न दलों के कमल कहते है, क्योंकि उन्हें भेद कर ही ब्रह्मा का ज्ञान व उनकी प्राप्ति का होना संभव है। मां देवी दुर्गा को लाल फूल पसंद है। इधर फुसरो के मालाकार लक्ष्मण ने बताया कि कमल फूल की महत्ता का ही परिणाम है कि पूजा के दौरान उसकी बिक्री ज्यादा होती है।  


==भारतीय संस्कृति में कमल==
==भारतीय संस्कृति में कमल==
भारत का राष्ट्री पुष्प है कमल का फूल बहुत दिन नहीं बीतें हैं, भारत के झील तालाब विविध रूप वर्णी कमल दल से आच्छादित रहते थे। सत्यम -शिवम् -सुन्दरम का रूपक रचता है, कमल पुष्प। कमल हस्त, चरण कमल, कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुन धर्म है। कहा गया : चरण कमल वृन्दों हरिराई , जाकी कृपा पंगु, गिरी लंघे, अंधे को सब कुछ दर्शाइन। वेदों पुराण में कमल का गायन है, प्रशंशा है। विविध कला रूपों में, आर्किटेक्चर में कमल मुखरित है, [[दिल्ली]] और [[पोंडिचेरी]] (ओर्लेविले विलिज )में [[लोटस टेम्पल]] भवन निर्माण को नए आयाम देता है। पद्मा पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी आदि नाम सबने सुने हैं। लक्ष्मी कमल पुष्प में विराजमान है, उनके हाथ में भी कमल शोभता है। सूरज के उगने के संग खिलता है कमल दल और अस्त होने पर पंखुडियां बंद हो जातीं हैं। ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति पर ठीक ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है, गांठे (हीन भावना )खुल जातीं हैं, मन मन्दिर की तभी तो कहा गया : शीशाए दिल में छिपी तस्वीरे यार जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली (यार यानि परमात्मा)। सूफी वाद में तो परमात्मा को बहुरिया ही कह दिया गया है। आशिक माशूक संवाद ही ग़ज़ल है हुजुर कीचड़ में, दलदली प्रदेश में भी पुष्पित होता है कमल, पंक उसका स्पर्श नहीं करता (आत्मा भी कमल के समान सांसारिक वासनाओं से निर्लिप्त रहे ऐसा है कमल का आवाहन है) ज्ञान की प्राप्ति पर मन का मेल मिट जाता है, कमल की पंखुडियां (कलियाँ )कब पंक का स्पर्श करती हैं ? अंतस की पवित्रता का प्रतीक है कमल। ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी इश को समर्पित होतें हैं इसीलियें वह सुख दुःख में समान भावः बनाए रहता है, सदेव ही प्रसन्न रहता है। यही संदेश है कमल का की पाप से घृणा कराओ, पापी से नहीं। जो ज्ञानी के लिए सही है उसी का अनुकरण तमाम साधक फ़कीर आम जन करें। योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं, सभी का सम्बन्ध लोटस से है, कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं। सहस्र चक्र में 1000 पितल्स हैं, यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, इश्वरत्व से संपन्न हो जाता है, वह पद्माशन की मुद्रा में बैठने का विधान है, साधकों को विष्णु की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है। यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध, संपर्क, कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की हॉटलाइन है दोनों के बीच जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है।
भारत का राष्ट्री पुष्प है कमल का फूल बहुत दिन नहीं बीतें हैं, भारत के झील तालाब विविध रूप वर्णी कमल दल से आच्छादित रहते थे। सत्यम -शिवम् -सुन्दरम का रूपक रचता है, कमल पुष्प। कमल हस्त, चरण कमल, कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुन धर्म है। कहा गया : चरण कमल वृन्दों हरिराई , जाकी कृपा पंगु, गिरी लंघे, अंधे को सब कुछ दर्शाइन। वेदों पुराण में कमल का गायन है, प्रशंशा है। विविध कला रूपों में, आर्किटेक्चर में कमल मुखरित है, [[दिल्ली]] और [[पोंडिचेरी]] (ओर्लेविले विलिज )में [[लोटस टेम्पल]] भवन निर्माण को नए आयाम देता है। पद्मा पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी आदि नाम सबने सुने हैं। लक्ष्मी कमल पुष्प में विराजमान है, उनके हाथ में भी कमल शोभता है। सूरज के उगने के संग खिलता है कमल दल और अस्त होने पर पंखुडियां बंद हो जातीं हैं। ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति पर ठीक ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है, गांठे (हीन भावना )खुल जातीं हैं, मन मन्दिर की तभी तो कहा गया : शीशाए दिल में छिपी तस्वीरे यार जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली (यार यानि परमात्मा)। सूफी वाद में तो परमात्मा को बहुरिया ही कह दिया गया है। आशिक माशूक संवाद ही ग़ज़ल है हुजुर कीचड़ में, दलदली प्रदेश में भी पुष्पित होता है कमल, पंक उसका स्पर्श नहीं करता (आत्मा भी कमल के समान सांसारिक वासनाओं से निर्लिप्त रहे ऐसा है कमल का आवाहन है) ज्ञान की प्राप्ति पर मन का मेल मिट जाता है, कमल की पंखुडियां (कलियाँ )कब पंक का स्पर्श करती हैं ? अंतस की पवित्रता का प्रतीक है कमल। ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी इश को समर्पित होतें हैं इसीलियें वह सुख दुःख में समान भावः बनाए रहता है, सदेव ही प्रसन्न रहता है। यही संदेश है कमल का की पाप से घृणा कराओ, पापी से नहीं। जो ज्ञानी के लिए सही है उसी का अनुकरण तमाम साधक फ़कीर आम जन करें। योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं, सभी का सम्बन्ध लोटस से है, कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं। सहस्र चक्र में 1000 पितल्स हैं, यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ईश्वरत्व से संपन्न हो जाता है, वह पद्मासन की मुद्रा में बैठने का विधान है, साधकों को [[विष्णु]] की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है, यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध, संपर्क, कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की हॉटलाइन है दोनों के बीच जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है।


==पुराणों में कमल==
==पुराणों में कमल==
भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्‍यताएं भी हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[जैन]] धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है।
भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्‍यताएं भी हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[जैन]] धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है।

10:36, 11 मई 2010 का अवतरण

कमल, राष्ट्रीय पुष्प / Lotus

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है। यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन भारतीय कला और पुराणों में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति में शुभ प्रतीक माना जाता है।

कमल एक जलीय फसल है जो भारत भर में बढ़ती है। यह एक दुनिया की सबसे मनाया फूलों की है। फूलों एशिया में पवित्र और मध्य पूर्व के 5000 से अधिक वर्षों के लिए किया गया है और अक्सर हिंदू और बौद्ध कला और साहित्य में होते हैं।

कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और ख़ूबसूरत फूल खिलते हैं। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। ये दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती, और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग हमेशा गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल "कमल" असल में जल-पद्म होते हैं जिन्हें कमलिनी कहा गया हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्‍स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं। कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्‍योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं।

भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता में इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्‍पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्‍पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है।

कुमुद / वाटर लिलि

कमल के समान ही दूसरी प्रजाति का पुष्प है कुमुद। इसके पत्ते भी आकार में 15 से 30 सेमी तक हो सकते हैं। इसके पुष्प नीले, गुलाबी और सफेद होते हैं। नीले रंग के पुष्प मन मोह लेते हैं।

रात में खिलना

कुमुद की कुछ प्रजातियां रात में खिलती हैं। काले रंग के फूल सुबह तक आपका स्वागत करते हैं। नीला रंग दिन में खिलकर शाम तक बगीचे की शान बढ़ाता है।

वाटर लिलि की प्रजातियां जैसे-निम्पफिया, नौचाली, निम्मफिया स्टेलालाटा जयपुर की अच्छी नर्सरियों में उपलब्ध है।

कमल का महत्व

जलीय पौधों में पहला नाम कमल का आता है। इसे राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है। सुंदर पंखुडियों को कमल नेत्र कहा जाता है। लक्ष्मी का वास कहे जाने वाले इस पुष्प का पूजा अर्चना में विशेष महत्व है।

ऎसी विशेषता वाले फू ल को हमारे घर आंगन में स्थान मिलना ही चाहिए। अनेक रंगों वाला कमल सूर्य के प्रकाश में खिलता है। वसंत, गर्मी, वर्षा ऋतु व सर्दी के आगमन तक इसमें फूल आते हैं।

राजसी पौधा

कमल सबसे राजसी पौधों के लिए एक बगीचे में से एक है। कटोरे हालांकि कमल एक आमतौर पर तालाबों में बढ़ संयंत्र है, यह संभव है करने के लिए उन्हें छोटे कंटेनर में पानी बढ़ने या कमल खिल पौधों कई बार अपने बगीचे की खूबसूरती बढ़ाना होगा। वे बहुत आसानी से एक बार आप उन्हें विकसित की बुनियादी समझ देखभाल कर रहे हैं। कमल मुख्य तालाब, एक अलग छोटे तालाब, सजावटी बर्तन या कंटेनर में या में उगाए जा सकते हैं।

मुक्ति का प्रतीक

करगली (बोकारो) : भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म व दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय, सुंदरता, सद्भावना, शांति, स्मृति व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। मां देवी दुर्गा की कमल पुष्प से पूजा की जाती है। संभवत: यही वजह है कि इसे पुष्पराज भी कहा जाता है। यह जानकारी पंडित शास्त्री पंकज ने दी।

उन्होंने बताया कि कमल पुष्प को महालक्ष्मी, ब्रह्मा, सरस्वती आदि देवी-देवताओं ने अपना आसन बनाया है, साथ ही यह लक्ष्मी का प्रतीक भी है। इस फूल से कई देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें खुश किया जा सकता है। यज्ञ व अनुष्ठानों में कमल पुष्प को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। पंडित ने बताया कि कमल फूल की उत्पत्ति कीचड़ और जल में होता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि कमल का खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है। मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाए जाते है। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बताई गई है। कंडलिनी जागरण के लिए योगी जिन आठ चक्रों को भेदते है उन्हे विभिन्न दलों के कमल कहते है, क्योंकि उन्हें भेद कर ही ब्रह्मा का ज्ञान व उनकी प्राप्ति का होना संभव है। मां देवी दुर्गा को लाल फूल पसंद है। इधर फुसरो के मालाकार लक्ष्मण ने बताया कि कमल फूल की महत्ता का ही परिणाम है कि पूजा के दौरान उसकी बिक्री ज्यादा होती है।

भारतीय संस्कृति में कमल

भारत का राष्ट्री पुष्प है कमल का फूल बहुत दिन नहीं बीतें हैं, भारत के झील तालाब विविध रूप वर्णी कमल दल से आच्छादित रहते थे। सत्यम -शिवम् -सुन्दरम का रूपक रचता है, कमल पुष्प। कमल हस्त, चरण कमल, कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुन धर्म है। कहा गया : चरण कमल वृन्दों हरिराई , जाकी कृपा पंगु, गिरी लंघे, अंधे को सब कुछ दर्शाइन। वेदों पुराण में कमल का गायन है, प्रशंशा है। विविध कला रूपों में, आर्किटेक्चर में कमल मुखरित है, दिल्ली और पोंडिचेरी (ओर्लेविले विलिज )में लोटस टेम्पल भवन निर्माण को नए आयाम देता है। पद्मा पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी आदि नाम सबने सुने हैं। लक्ष्मी कमल पुष्प में विराजमान है, उनके हाथ में भी कमल शोभता है। सूरज के उगने के संग खिलता है कमल दल और अस्त होने पर पंखुडियां बंद हो जातीं हैं। ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति पर ठीक ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है, गांठे (हीन भावना )खुल जातीं हैं, मन मन्दिर की तभी तो कहा गया : शीशाए दिल में छिपी तस्वीरे यार जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली (यार यानि परमात्मा)। सूफी वाद में तो परमात्मा को बहुरिया ही कह दिया गया है। आशिक माशूक संवाद ही ग़ज़ल है हुजुर कीचड़ में, दलदली प्रदेश में भी पुष्पित होता है कमल, पंक उसका स्पर्श नहीं करता (आत्मा भी कमल के समान सांसारिक वासनाओं से निर्लिप्त रहे ऐसा है कमल का आवाहन है) ज्ञान की प्राप्ति पर मन का मेल मिट जाता है, कमल की पंखुडियां (कलियाँ )कब पंक का स्पर्श करती हैं ? अंतस की पवित्रता का प्रतीक है कमल। ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी इश को समर्पित होतें हैं इसीलियें वह सुख दुःख में समान भावः बनाए रहता है, सदेव ही प्रसन्न रहता है। यही संदेश है कमल का की पाप से घृणा कराओ, पापी से नहीं। जो ज्ञानी के लिए सही है उसी का अनुकरण तमाम साधक फ़कीर आम जन करें। योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं, सभी का सम्बन्ध लोटस से है, कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं। सहस्र चक्र में 1000 पितल्स हैं, यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ईश्वरत्व से संपन्न हो जाता है, वह पद्मासन की मुद्रा में बैठने का विधान है, साधकों को विष्णु की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है, यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध, संपर्क, कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की हॉटलाइन है दोनों के बीच जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है।

पुराणों में कमल

भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्‍यताएं भी हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है।