"चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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उठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला | |||
सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला | सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला | ||
सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ | सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ |
10:12, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
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उठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला |
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