"जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 38: | पंक्ति 38: | ||
गांधी को उल्टा घिसो और जो धूल झरे, | गांधी को उल्टा घिसो और जो धूल झरे, | ||
उसके प्रलेप से अपनी कुण्ठा के मुख पर, | उसके प्रलेप से अपनी कुण्ठा के मुख पर, | ||
ऐसी नक्काशी | ऐसी नक्काशी गढ़ो कि जो देखे, बोले, | ||
आखिर, बापू भी और बात क्या कहते थे? | आखिर, बापू भी और बात क्या कहते थे? | ||
12:31, 25 दिसम्बर 2011 का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
सीखो नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं, |
संबंधित लेख