"सिपाही -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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मसि की तो क्या बात? गली की ठिकरी मुझे भुलाती है, | मसि की तो क्या बात? गली की ठिकरी मुझे भुलाती है, | ||
जीते जी लड़ मरूं, मरे पर याद किसे फिर आती है? | जीते जी लड़ मरूं, मरे पर याद किसे फिर आती है? | ||
इतिहासों में अमर रहूँ, है | इतिहासों में अमर रहूँ, है ऐसी मृत्यु नहीं मेरी, | ||
विश्व छोड़ जब चला, भुलाते लगती फिर किसको देरी? | विश्व छोड़ जब चला, भुलाते लगती फिर किसको देरी? | ||
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फूलों में शोणित की लाली कभी समझ क्या पाओगे? | फूलों में शोणित की लाली कभी समझ क्या पाओगे? | ||
वह लाली हर प्रात क्षितिज पर आ कर तुम्हे जगायेगी, | वह लाली हर प्रात: क्षितिज पर आ कर तुम्हे जगायेगी, | ||
सायंकाल नमन कर माँ को तिमिर बीच खो जायेगी। | सायंकाल नमन कर माँ को तिमिर बीच खो जायेगी। | ||
देव करेंगे विनय किंतु, क्या स्वर्ग बीच रुक पाऊंगा? | देव करेंगे विनय किंतु, क्या स्वर्ग बीच रुक पाऊंगा? | ||
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कभी चरण तल की मिट्टी में छिप कर जय जय बोलूंगा। | कभी चरण तल की मिट्टी में छिप कर जय जय बोलूंगा। | ||
अगले युग की अनी कपिध्वज जिस दिन प्रलय मचाएगी, | अगले युग की अनी कपिध्वज जिस दिन प्रलय मचाएगी, | ||
मैं गरजूंगा ध्वजा- | मैं गरजूंगा ध्वजा-श्रृंग पर, वह पहचान न पायेगी। | ||
'न्यौछावर मैं एक फूल पर', जग की ऎसी रीत कहाँ? | 'न्यौछावर मैं एक फूल पर', जग की ऎसी रीत कहाँ? | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
10:58, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
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वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ, |
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