"बाँध दिए क्यों प्राण -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से | बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से! | ||
तुमने चिर अनजान प्राणों से | तुमने चिर अनजान प्राणों से! | ||
गोपन रह न सकेगी | गोपन रह न सकेगी, | ||
अब यह मर्म कथा | अब यह मर्म कथा, | ||
प्राणों की न रुकेगी | प्राणों की न रुकेगी, | ||
बढ़ती विरह व्यथा | बढ़ती विरह व्यथा, | ||
विवश फूटते गान प्राणों से | विवश फूटते गान प्राणों से! | ||
यह विदेह प्राणों का बंधन | यह विदेह प्राणों का बंधन, | ||
अंतर्ज्वाला में तपता तन | अंतर्ज्वाला में तपता तन, | ||
मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को | मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को, | ||
दग्ध कामना करता अर्पण | दग्ध कामना करता अर्पण, | ||
नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से | नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से! | ||
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12:53, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से! |
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