"ताज -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन? | हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन? | ||
जब | जब निषण्ण, निर्जीव पड़ा हो जग का जीवन! | ||
संग-सौध में हो श्रृंगार मरण का शोभन, | संग-सौध में हो श्रृंगार मरण का शोभन, | ||
नग्न, क्षुधातुर, वास-विहीन रहें जीवित जन? | नग्न, क्षुधातुर, वास-विहीन रहें जीवित जन? | ||
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प्रेम-अर्चना यही, करें हम मरण को वरण? | प्रेम-अर्चना यही, करें हम मरण को वरण? | ||
स्थापित कर कंकाल, भरें जीवन का प्रांगण? | स्थापित कर कंकाल, भरें जीवन का प्रांगण? | ||
शव को दें हम रूप, रंग, आदर | शव को दें हम रूप, रंग, आदर मानव का | ||
मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का? | मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का? | ||
12:55, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन? |
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