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[[ओडिशा]] में स्थित चिलका झील [[भारत]] की सबसे बड़ी और विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। | [[ओडिशा]] में स्थित चिलका झील [[भारत]] की सबसे बड़ी और विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। क़रीब एक हज़ार वर्ग किमी क्षेत्र में फैली चिल्का झील में [[मछली|मछलियों]] की क़रीब 225 प्रजातियाँ मौजूद है। सर्दियों के मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। यह झील बाहरी पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के बीच भी काफ़ी प्रसिद्ध है। झील में अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं जो बेहद ख़ूबसूरत प्रतीत होते हैं। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो [[महानदी]] द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग हो गई। | ||
[[ब्रह्मपुर]] से 80 किलोमीटर दूर देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है जो 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है। अनेक द्वीपों के साथ, यहाँ अनेक प्रकार के जलीय वनस्पतियाँ और जीवजन्तु हैं तथा पक्षी-विहार दृश्यों के लिए स्वर्ग है, जब सर्दियों के मौसम में यहाँ देश विदेश के प्रवासी पक्षी आ जाते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुभव यहाँ की यादगार बन जाते हैं। नौकाविहार और मछली पकड़ने की सुविधा इस झील में उपलब्ध है, जहाँ मछलियाँ प्रचुर मात्रा में हैं। इसी रास्ते में पड़ती है चिल्का। चिल्का झील का विस्तार अद्भुत है। प्रकृति की अनूठी रचना। हजारों लोगों को जीवन देने वाली चिल्का के बारे में एक उडि़या कवि (जो आजादी आंदोलन में भाग के कारण गिरफ्तार हो गया था ) ने लिखा है कि ‘मुझे थोड़ी देर चिल्का के चित्रपट को निहार लेने दो, फिर तो अंधेरी कोठरी में रहना ही है’ वाकई चिल्का में यह ताकत है कि वह कष्टकारी राह को भी आसान बना दे।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=632 |title=गंजाम - बेरहामपुर |accessmonthday=16 अगस्त |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }} </ref> | [[ब्रह्मपुर]] से 80 किलोमीटर दूर देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है जो 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है। अनेक द्वीपों के साथ, यहाँ अनेक प्रकार के जलीय वनस्पतियाँ और जीवजन्तु हैं तथा पक्षी-विहार दृश्यों के लिए स्वर्ग है, जब सर्दियों के मौसम में यहाँ देश विदेश के प्रवासी पक्षी आ जाते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुभव यहाँ की यादगार बन जाते हैं। नौकाविहार और मछली पकड़ने की सुविधा इस झील में उपलब्ध है, जहाँ मछलियाँ प्रचुर मात्रा में हैं। इसी रास्ते में पड़ती है चिल्का। चिल्का झील का विस्तार अद्भुत है। प्रकृति की अनूठी रचना। हजारों लोगों को जीवन देने वाली चिल्का के बारे में एक उडि़या कवि (जो आजादी आंदोलन में भाग के कारण गिरफ्तार हो गया था ) ने लिखा है कि ‘मुझे थोड़ी देर चिल्का के चित्रपट को निहार लेने दो, फिर तो अंधेरी कोठरी में रहना ही है’ वाकई चिल्का में यह ताकत है कि वह कष्टकारी राह को भी आसान बना दे।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=632 |title=गंजाम - बेरहामपुर |accessmonthday=16 अगस्त |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }} </ref> |
14:01, 4 सितम्बर 2011 का अवतरण
ओडिशा में स्थित चिलका झील भारत की सबसे बड़ी और विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। क़रीब एक हज़ार वर्ग किमी क्षेत्र में फैली चिल्का झील में मछलियों की क़रीब 225 प्रजातियाँ मौजूद है। सर्दियों के मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। यह झील बाहरी पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के बीच भी काफ़ी प्रसिद्ध है। झील में अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं जो बेहद ख़ूबसूरत प्रतीत होते हैं। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग हो गई।
ब्रह्मपुर से 80 किलोमीटर दूर देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है जो 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है। अनेक द्वीपों के साथ, यहाँ अनेक प्रकार के जलीय वनस्पतियाँ और जीवजन्तु हैं तथा पक्षी-विहार दृश्यों के लिए स्वर्ग है, जब सर्दियों के मौसम में यहाँ देश विदेश के प्रवासी पक्षी आ जाते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुभव यहाँ की यादगार बन जाते हैं। नौकाविहार और मछली पकड़ने की सुविधा इस झील में उपलब्ध है, जहाँ मछलियाँ प्रचुर मात्रा में हैं। इसी रास्ते में पड़ती है चिल्का। चिल्का झील का विस्तार अद्भुत है। प्रकृति की अनूठी रचना। हजारों लोगों को जीवन देने वाली चिल्का के बारे में एक उडि़या कवि (जो आजादी आंदोलन में भाग के कारण गिरफ्तार हो गया था ) ने लिखा है कि ‘मुझे थोड़ी देर चिल्का के चित्रपट को निहार लेने दो, फिर तो अंधेरी कोठरी में रहना ही है’ वाकई चिल्का में यह ताकत है कि वह कष्टकारी राह को भी आसान बना दे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गंजाम - बेरहामपुर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 16 अगस्त, 2011।