"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5": अवतरणों में अंतर

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'''इस अध्याय में पन्द्रह ब्राह्मणों की चर्चा है।'''
'''इस अध्याय में पन्द्रह ब्राह्मणों की चर्चा है।'''
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*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के इस अध्याय में 'ब्रह्म' की विविध रूपों में उपासना की गयी है।  
*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के इस अध्याय में 'ब्रह्म' की विविध रूपों में उपासना की गयी है।  
*साथ ही मनोमय 'पुरुष' और 'वाणी' की उपासना भी की गयी है।  
*साथ ही मनोमय 'पुरुष' और 'वाणी' की उपासना भी की गयी है।  

11:03, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण

इस अध्याय में पन्द्रह ब्राह्मणों की चर्चा है।

  • बृहदारण्यकोपनिषद के इस अध्याय में 'ब्रह्म' की विविध रूपों में उपासना की गयी है।
  • साथ ही मनोमय 'पुरुष' और 'वाणी' की उपासना भी की गयी है।
  • मृत्यु के उपरान्त ऊर्ध्वगति तथा 'अन्न' और 'प्राण' के विविध रूपों की उपासना-विधि समझाई गयी है।
  • इसके अतिरिक्त 'गायत्री उपासना' में जप करने योग्य तीन चरणों के साथ चौथे 'दर्शन' पद का भी उल्लेख किया गया है।
  • जो इस प्रकार है:-


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