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'''सद्र-उस-सुदूर''' पद दीवान-ए-रसालत विभाग के अंतर्गत आता था।  
'''सद्र-उस-सुदूर''' पद दीवान-ए-रसालत विभाग के अंतर्गत आता था।  
धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। [[मुसलमान]] प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘ज़कात’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मकतबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।
धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। [[मुसलमान]] प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘ज़कात’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मकतबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।
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13:10, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण

सद्र-उस-सुदूर पद दीवान-ए-रसालत विभाग के अंतर्गत आता था।

धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था। राज्य का प्रधान क़ाज़ी एवं सद्र-उस-सदुर प्रायः एक ही व्यक्ति को दिया जाता था। मुसलमान प्रजा से लिए जाने वाला कर ‘ज़कात’ पर इस अधिकारी का अधिकार होता था। यह मस्जिदों, मकतबों एवं मदरसों के निर्माण के लिए धन मुहैया कराता था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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