"ब्रह्मर्षि": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (श्रेणी:वायु पुराण (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
*आकाश में सप्तऋषियों का एक तारामण्डल माना गया है। जो [[ध्रुव]] की परिक्रमा करता है। | *आकाश में सप्तऋषियों का एक तारामण्डल माना गया है। जो [[ध्रुव]] की परिक्रमा करता है। | ||
;एकल ब्रह्मर्षि निम्न प्रकार हैं- | ;एकल ब्रह्मर्षि निम्न प्रकार हैं- | ||
अर्वावसु, [[कश्यप]], [[दधीचि |दधीचि]], [[भारद्वाज]], [[भृगु]], कृप, अष्टावक, [[गौतम]], [[दमन]], मनंकनक, | अर्वावसु, [[कश्यप]], [[दधीचि |दधीचि]], [[भारद्वाज]], [[भृगु]], कृप, अष्टावक, [[गौतम]], [[दमन]], मनंकनक, [[मार्कण्डेय]], [[अत्रि]], [[च्यवन]], देवशर्मण, रुचीक, लिखित, [[शुक्र]], और्व, जाजलि, [[नारद]], लोमश, [[वशिष्ठ]], [[व्यास]], [[पुलस्त्य]], [[विश्वामित्र]], वैराम्पाथन। | ||
;शतपथ ब्राह्मण के सप्तऋर्षि- | ;शतपथ ब्राह्मण के सप्तऋर्षि- | ||
गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, [[जमदग्नि]], वशिष्ठ, कश्यप और अत्रि। | गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, [[जमदग्नि]], वशिष्ठ, कश्यप और अत्रि। | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
[[मरीचि]], अत्रि, [[अंगिरा]], पुलह, पुलस्त्य, ऋतु और वशिष्ठ। [[वायु पुराण]] इस सूची में भृगु का नाम जोड़कर इनकी संख्या आठ कर देता है।<ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 107 आदि।</ref> | [[मरीचि]], अत्रि, [[अंगिरा]], पुलह, पुलस्त्य, ऋतु और वशिष्ठ। [[वायु पुराण]] इस सूची में भृगु का नाम जोड़कर इनकी संख्या आठ कर देता है।<ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 107 आदि।</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{लेख प्रगति|आधार= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category:पुराण]] | [[Category:पुराण]][[Category:महाभारत]][[Category:विष्णु पुराण]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:धर्मशास्त्रीय_ग्रन्थ]] | ||
[[Category:महाभारत]] | |||
[[Category:विष्णु पुराण]] | |||
[[Category:पौराणिक कोश]] | |||
[[Category:धर्मशास्त्रीय_ग्रन्थ]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:55, 28 मई 2013 का अवतरण
- ब्राह्मण कुलों के ऋषि, जिनके गौत्र चले। जो ब्रह्मज्ञानी थे।
- जिनका वास ब्रह्मलोक में हुआ।
- वेद के मन्त्रदृष्टा ऋषि कहलाते थे।
- धर्म का साक्षात्कार कराने वाले भी ऋषि कहे गये.....ऋषय:साक्षात्कृतधर्माण।
- वे प्रेरणावान ओजस्विता, ऋजुता से परिपूर्ण कवि थे। उनकी पूर्व में संख्या सात थी। इससे सप्तऋषि कहे गये।
- शतपथ ब्राह्मण में इनके नाम आते हैं।
- महाभारत में इसका स्थान-स्थान पर प्रचुर प्रयोग मिलता है। नामों में भी भिन्नता आ गई।
- विष्णुपुराण ने भी कुछ नाम जोड़ दिये।
- आकाश में सप्तऋषियों का एक तारामण्डल माना गया है। जो ध्रुव की परिक्रमा करता है।
- एकल ब्रह्मर्षि निम्न प्रकार हैं-
अर्वावसु, कश्यप, दधीचि, भारद्वाज, भृगु, कृप, अष्टावक, गौतम, दमन, मनंकनक, मार्कण्डेय, अत्रि, च्यवन, देवशर्मण, रुचीक, लिखित, शुक्र, और्व, जाजलि, नारद, लोमश, वशिष्ठ, व्यास, पुलस्त्य, विश्वामित्र, वैराम्पाथन।
- शतपथ ब्राह्मण के सप्तऋर्षि-
गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, वशिष्ठ, कश्यप और अत्रि।
- महाभारत के सप्तऋर्षि-
मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलह, पुलस्त्य, ऋतु और वशिष्ठ। वायु पुराण इस सूची में भृगु का नाम जोड़कर इनकी संख्या आठ कर देता है।[1]
|
|
|
|
|