"अनमोल वचन 6": अवतरणों में अंतर
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'''ठोकर''' | '''ठोकर''' | ||
* ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाटा | * ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाटा हूँ। - महात्मा गाँधी | ||
* दूसरों के अनुभव से होशियारी सीखने की मनुष्य को इच्छा नहीं होती, उसको स्वतंत्र ठोकर | * दूसरों के अनुभव से होशियारी सीखने की मनुष्य को इच्छा नहीं होती, उसको स्वतंत्र ठोकर चाहिए। - विनोबा | ||
* ठोकरें केवल धुल ही उड़ाती हैं फसलें नहीं | * ठोकरें केवल धुल ही उड़ाती हैं फसलें नहीं उगती। - टैगोर | ||
'''तर्क''' | '''तर्क''' | ||
* जो तर्क नहीं सुने वह कट्टर है, जो तर्क न कर सके वह मूर्ख है और जो तर्क करने का सके वह गुलाम | * जो तर्क नहीं सुने वह कट्टर है, जो तर्क न कर सके वह मूर्ख है और जो तर्क करने का सके वह गुलाम है। - ड्रमंड | ||
* तर्क केवल बुद्धि का विषय है ह्रदय कि सिद्धि तक बुद्धि नहीं पहुँच | * तर्क केवल बुद्धि का विषय है ह्रदय कि सिद्धि तक बुद्धि नहीं पहुँच सकती। | ||
* जिसे बुद्धि मने मगर ह्रदय ना माने वह तजने योग्य | * जिसे बुद्धि मने मगर ह्रदय ना माने वह तजने योग्य है। - महात्मा गाँधी | ||
'''त्याग''' | '''त्याग''' | ||
* प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग | * प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। - भगवान कृष्ण | ||
* त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से | * त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। - विनोबा | ||
* पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना | * पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। - संस्कृत सूक्ति | ||
* त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता | * त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। - सुफियान सौरी | ||
'''दंड''' | '''दंड''' | ||
* दंड अन्यायी के लिए न्याय | * दंड अन्यायी के लिए न्याय है। - अगस्तियन | ||
* अपराधी को दंड से नहीं रोका जा | * अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता। - रस्किन | ||
* अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी | * अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए। - वाल्टेयर | ||
'''दया''' | '''दया''' | ||
* दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में | * दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। - तुलसीदास | ||
* जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण | * जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। - हज़रत मोहम्मद | ||
* दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें | * दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं। - बाइबल | ||
* हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती | * हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। - शेक्सपियर | ||
* जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने | * जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने पड़ेंगे। - शेख सादी | ||
* दया चरित्र को सुन्दर बनती | * दया चरित्र को सुन्दर बनती है। - जेम्स एलन | ||
* आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया | * आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। - विलियम हैज़लित | ||
* सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया | * सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। - रामायण | ||
* कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता | * कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। - विलकास्य | ||
'''दर्शन''' | '''दर्शन''' | ||
* दर्शन का उद्देश्य जीवन कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना | * दर्शन का उद्देश्य जीवन कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
* जब जिन्दगी को अपने दिल के गीत सुनाने का मौका नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए दार्शनिक पैदा कर देती | * जब जिन्दगी को अपने दिल के गीत सुनाने का मौका नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए दार्शनिक पैदा कर देती है। - खलील जिब्रान | ||
* दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास, सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत करने | * दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास, सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत करने लगें। - थोरो | ||
'''दान''' | '''दान''' | ||
* सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से | * सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांटो। - अथर्ववेद | ||
* सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते | * सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते हैं। - कालिदास | ||
* जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों | * जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों काम। - कबीर | ||
* तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने | * तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने पाए। - बाइबल | ||
* दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं | * दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती। - हज़रत मोहम्मद | ||
* सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला | * सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला सके। - तालमुद | ||
'''दुर्बलता''' | '''दुर्बलता''' | ||
* स्वयं को भेंड बना लोगे तो भेड़िये आकर तुम्हे खा | * स्वयं को भेंड बना लोगे तो भेड़िये आकर तुम्हे खा जायेंगे। - जर्मन कहावत | ||
* मन कि दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप | * मन कि दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप नहीं। - विवेकानंद | ||
* दुर्बल को ना सताइए, जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो | * दुर्बल को ना सताइए, जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो जाय। - कबीर | ||
'''दुर्भावना''' | '''दुर्भावना''' | ||
* दुर्भावना को मैं मनुष्य का कलंक समझता | * दुर्भावना को मैं मनुष्य का कलंक समझता हूँ। - महात्मा गाँधी | ||
* दुर्भावना अपने विष का आधा भगा स्वयं पीती | * दुर्भावना अपने विष का आधा भगा स्वयं पीती है। - सैनेका | ||
* आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती | * आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। - चार्ल बक्सटन | ||
'''दुर्वचन''' | '''दुर्वचन''' | ||
* दुर्वचन पशुओं तक को अप्रिय होते | * दुर्वचन पशुओं तक को अप्रिय होते हैं। - बुद्ध | ||
* दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती | * दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस | ||
* दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना | * दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी | ||
'''दुःख''' | '''दुःख''' | ||
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है | * संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। - विदुरनीति | ||
* विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश | * विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। - खलील जिब्रान | ||
* एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ | * एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं। - स्वामी विवेकानंद | ||
* पाप का संचय ही दुखों का मूल | * पाप का संचय ही दुखों का मूल है। - बुद्ध | ||
'''देश''' | '''देश''' | ||
* दुरात्मा के लिए देश-भक्ति अंतिम शरण | * दुरात्मा के लिए देश-भक्ति अंतिम शरण है। - जॉन्सन | ||
* यदि देश-भक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं | * यदि देश-भक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं है। - महात्मा गाँधी | ||
'''देह''' | '''देह''' | ||
* देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र | * देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है। - महात्मा गाँधी | ||
* देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है | * देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है। - ज्ञानेश्वरी | ||
'''दोष''' | '''दोष''' | ||
* दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना | * दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। - कबीर | ||
* तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर | * तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल। - बाइबल | ||
* साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को | * साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं। - इपिक्टेतस | ||
* मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता | * मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है। - संस्कृत सूक्ति | ||
'''धर्म''' | '''धर्म''' | ||
* शांति से बढकर कोई ताप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म | * शांति से बढकर कोई ताप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य | ||
* हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना | * हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए। - गीता | ||
* धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं | * धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमता। - कार्ल मार्क्स | ||
* दो धर्मो का कभी झगड़ा नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता | * दो धर्मो का कभी झगड़ा नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता है। - विनोबा | ||
* धर्म परमेश्वर कि कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता | * धर्म परमेश्वर कि कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता है। - नरेन्द्र देव | ||
'''धीरज''' | '''धीरज''' | ||
* कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर | * कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर जाय। - कबीर | ||
* शोक में, आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना | * शोक में, आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। - वाल्मीकि | ||
* जितनी जल्दी करोगे उतनी देर | * जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी। - चर्चिल | ||
* सब्र जिन्दगी के मकसद का दरवाज़ा खोलता है क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाज़े कि कोई और चाबी नहीं | * सब्र जिन्दगी के मकसद का दरवाज़ा खोलता है क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाज़े कि कोई और चाबी नहीं है। - शेख सादी | ||
'''धोका''' | '''धोका''' | ||
* अगर कोई व्यक्ति मुझे दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत है | * अगर कोई व्यक्ति मुझे दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत है मुझपर। - कहावत | ||
* धूर्त को धोका देना धूर्तता नहीं | * धूर्त को धोका देना धूर्तता नहीं है। - कहावत | ||
* हेत प्रति से जो मिले, ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै | * हेत प्रति से जो मिले, ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै बलाय। - कबीर | ||
* सब धोकों में प्रथम और ख़राब अपने आप को धोखा देना | * सब धोकों में प्रथम और ख़राब अपने आप को धोखा देना है। - बेली | ||
* स्पष्टभाषी दोखेबाज़ नहीं | * स्पष्टभाषी दोखेबाज़ नहीं होता। - चाणक्य | ||
* मुंह में राम बगल में | * मुंह में राम बगल में छुरी। - कहावत | ||
* मुझे जितनी जहन्नुम से फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी कहता | * मुझे जितनी जहन्नुम से फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी कहता है। - होमर | ||
* ज्यादा मधुर बानी धोकेबाज़ी की | * ज्यादा मधुर बानी धोकेबाज़ी की निशानी। - कहावत | ||
'''ध्येय, लक्ष्य''' | '''ध्येय, लक्ष्य''' | ||
* ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता | * ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है। | ||
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना | * यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। - तिरुवल्लुवर | ||
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने | * अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। - बर्नार्ड शा | ||
* लक्ष्य रखना काफी नहीं है उसे प्राप्त करना | * लक्ष्य रखना काफी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए। - इतालियन कहावत | ||
* अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा | * अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो। - कार्लाइल | ||
'''नक़ल''' | '''नक़ल''' | ||
* किसी को अपना व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना | * किसी को अपना व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए। - चैनिंग | ||
* नक़ल के लिए भी कुछ अकल | * नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। - फारसी कहावत | ||
* मानव नक़ल करने वाला प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता | * मानव नक़ल करने वाला प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता है। - शिलर | ||
* उपदेश के बजाय कहीं ज्यादा हम हम करके सीखते | * उपदेश के बजाय कहीं ज्यादा हम हम करके सीखते हैं। - बर्क | ||
* जहाँ नक़ल है वहां खाली दिखावत होगी, जहाँ खाली दिखावत है वहां मूर्खता | * जहाँ नक़ल है वहां खाली दिखावत होगी, जहाँ खाली दिखावत है वहां मूर्खता होगी। - जॉन्सन | ||
'''नम्रता''' | '''नम्रता''' | ||
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा | * बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। - ईसा | ||
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और जिन्दगी मिलती | * नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और जिन्दगी मिलती है। - सुलेमान | ||
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के खिलाफ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के खिलाफ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे | * संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के खिलाफ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के खिलाफ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। - महात्मा गाँधी | ||
* मेरा विश्वास है की वास्तविक महान पुरुष की पहचान उसकी नम्रता | * मेरा विश्वास है की वास्तविक महान पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। - रस्किन | ||
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा | * नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। - विनोबा | ||
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा | * ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। - कबीर | ||
'''नरक''' | '''नरक''' | ||
* संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत ही नरक | * संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत ही नरक है। - जयशंकर प्रसाद | ||
* काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के | * काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के पंथ। - तुलसीदास | ||
* अति क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण | * अति क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण हैं। - चाणक्य नीति | ||
'''नशा''' | '''नशा''' | ||
* जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती | * जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। - तिरुवल्लुवर | ||
* नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता | * नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। - प्रेमचंद | ||
* नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता | * नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता हो। - शरतचंद्र | ||
'''नाम''' | '''नाम''' | ||
* नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही | * नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही देगा। - शेक्सपियर | ||
* अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता | * अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है। - सुकरात | ||
* अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक | * अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बनाओ। - लांग फैलो | ||
* आदि नाम परस अहै, मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन | * आदि नाम परस अहै, मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन मोह। - कबीर | ||
'''नारी''' | '''नारी''' | ||
* सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या | * सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी। - स्पेनी कहावत | ||
* पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू | * पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू नहीं। - महाभारत | ||
* यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता | * यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। - राधाकृष्णन | ||
* नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित | * नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है। - अरस्तु | ||
* बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती | * बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती है। - नित्शे | ||
* सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती | * सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती है। - शेक्सपियर | ||
* नारी को अबला कहाँ उसका अपमान | * नारी को अबला कहाँ उसका अपमान है। - महात्मा गाँधी | ||
* नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर | * नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती। - सुदर्शन | ||
* नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का | * नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का कुचलाजाना। - प्रेमचंद | ||
'''निंदा''' | '''निंदा''' | ||
* यदि तुम्हारी कोई निंदा करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने ऊपर ले रहा | * यदि तुम्हारी कोई निंदा करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने ऊपर ले रहा है। - ब्रह्मानंद सरस्वती | ||
* ऐ ईमान वालों, दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी कभी गुनाह हो जाता | * ऐ ईमान वालों, दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी कभी गुनाह हो जाता है। - कुरान | ||
* निंदक नियरे रखिये, आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना, निर्मल करे | * निंदक नियरे रखिये, आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना, निर्मल करे सुहाए। - कबीर | ||
* हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त | * हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो। - शेक्सपियर | ||
* जो तेरे सामने और की निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा | * जो तेरे सामने और की निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा करेगा। - कहावत | ||
'''तीन बातें''' | '''तीन बातें''' | ||
* तीन बातें कभी न भूलें- (1) प्रतिज्ञा करके (2) क़र्ज़ लेकर (3) विश्वास | * तीन बातें कभी न भूलें- (1) प्रतिज्ञा करके (2) क़र्ज़ लेकर (3) विश्वास देकर। - महावीर | ||
* तीन बातें करो- (1) उत्तम के साथ संगीत (2) विद्वान् के साथ वार्तालाप (3) सहृदय के साथ | * तीन बातें करो- (1) उत्तम के साथ संगीत (2) विद्वान् के साथ वार्तालाप (3) सहृदय के साथ मैत्री। - विनोबा | ||
* तीन अनमोल वचन- (1) धन गया तो कुछ नहीं गया (2) स्वास्थ्य गया तो कुछ गया (3) चरित्र गया तो सब | * तीन अनमोल वचन- (1) धन गया तो कुछ नहीं गया (2) स्वास्थ्य गया तो कुछ गया (3) चरित्र गया तो सब गया। - अंग्रेजी कहावत | ||
* तीन से घृणा न करो- (1) रोगी से (2) दुखी से (3) निम्न जाती | * तीन से घृणा न करो- (1) रोगी से (2) दुखी से (3) निम्न जाती से। - मुहम्मद साहब | ||
* तीन के आंसू पवित्र होते हैं- (1) प्रेम के (2) करुना के(3) सहानुभूति | * तीन के आंसू पवित्र होते हैं- (1) प्रेम के (2) करुना के(3) सहानुभूति के। - बुद्ध | ||
* तीन बातें सुखी जीवन के लिए- (1) अतीत की चिंता मत करो (2) भविष्य का विश्वास न करो (3) वर्तमान को व्यर्थ मत जाने | * तीन बातें सुखी जीवन के लिए- (1) अतीत की चिंता मत करो (2) भविष्य का विश्वास न करो (3) वर्तमान को व्यर्थ मत जाने दो। | ||
'''स्त्री''' | '''स्त्री''' | ||
* किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन | * किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन जायेंगे। - टॉमस मूर | ||
* औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज्यादा लम्बी होती | * औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज्यादा लम्बी होती है। - शेक्सपियर | ||
* जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती | * जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती है। - ग्रेगरी | ||
* एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री | * एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री कोषाध्यक्ष। - अज्ञात | ||
* स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना | * स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना चाहिए। - अज्ञात | ||
'''निद्रा''' | '''निद्रा''' | ||
* निद्रावस्था जागृतावस्था की स्तिथि का आईना | * निद्रावस्था जागृतावस्था की स्तिथि का आईना है। - महात्मा गाँधी | ||
* निद्रा रोगी की माता, भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी | * निद्रा रोगी की माता, भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी है। - अज्ञात | ||
* निद्रा एक ऐसा अथाह सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते | * निद्रा एक ऐसा अथाह सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते है। - प्रेमचंद | ||
* सोता साथ जगाइए, करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और | * सोता साथ जगाइए, करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और सांप। - कबीर | ||
'''निराशा''' | '''निराशा''' | ||
* निराशा दुर्बलता का चिन्ह | * निराशा दुर्बलता का चिन्ह है। - रामतीर्थ | ||
* निराशा में प्रतीक्षा अंधे की लाठी | * निराशा में प्रतीक्षा अंधे की लाठी है। - प्रेमचंद | ||
* निराशा स्वर्ग का सीलन है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की | * निराशा स्वर्ग का सीलन है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की शांति। - डाने | ||
'''नियम''' | '''नियम''' | ||
* नियम यदि एक क्षण के लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो | * नियम यदि एक क्षण के लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो जाए। - महात्मा गाँधी | ||
* जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता | * जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है। - हरिभाऊ उपाध्याय | ||
* प्रकृति का यह साधारण नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते | * प्रकृति का यह साधारण नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते रहेंगे। - दायोनीसियस | ||
'''निश्चय''' | '''निश्चय''' | ||
* अनुभव बताता है की आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता | * अनुभव बताता है की आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता है। - शेक्सपियर | ||
* जिसका निश्चय द्रिड और अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता | * जिसका निश्चय द्रिड और अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता है। - गेटे | ||
* हम अपने अच्छे से अच्छे कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा से वो किये गए | * हम अपने अच्छे से अच्छे कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा से वो किये गए हैं। - रोची | ||
* सच्ची से सच्ची और अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय | * सच्ची से सच्ची और अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय है। - नेपोलियन | ||
* जो व्यक्ति निश्चय कर सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं | * जो व्यक्ति निश्चय कर सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं है। - एमर्सन | ||
'''नीचता''' | '''नीचता''' | ||
* स्वाभाव की नीचता बर्षों में भी मालूम नहीं | * स्वाभाव की नीचता बर्षों में भी मालूम नहीं होती। - शेख सादी | ||
* कुछ कही नीच न छेडिये, भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे | * कुछ कही नीच न छेडिये, भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे अंग। - वृन्द | ||
* नीच मनुष्य के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए | * नीच मनुष्य के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए, कोयला अगर जल रहा है तो छूने से जला देता है और अगर ठंडा है तो हाथ काले कर देता है। - हितोपदेश | ||
* दाग जो काला नील का, सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न | * दाग जो काला नील का, सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न होय। - कबीर | ||
* जो उपकार करनेवाले को नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा | * जो उपकार करनेवाले को नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा नहीं। - विनोबा | ||
* शक्तियों का एक नियम है जिसके कारण चीजें समुद्र में एक खास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के समुद्र में हम जितने जहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता | * शक्तियों का एक नियम है जिसके कारण चीजें समुद्र में एक खास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के समुद्र में हम जितने जहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता है। - लाबैल | ||
* नीच को देखने और उसकी बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता | * नीच को देखने और उसकी बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता है। - कन्फ्युसियास | ||
'''नेकी''' | '''नेकी''' | ||
* नेकी कर दरिया में | * नेकी कर दरिया में डाल। - कहावत | ||
* मधुमख्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है| विचार केवल मौन में काम आते हैं | * मधुमख्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है| विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। - कार्लाइल | ||
* नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता | * नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। - हज़रत अली | ||
* जितने दिन जिन्दा हो, उसे गनीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर | * जितने दिन जिन्दा हो, उसे गनीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। - शेख सादी | ||
'''न्याय''' | '''न्याय''' | ||
* न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता | * न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता है। - जर्मन कहावत | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। - डिकेंस | ||
* जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने जमीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी | * जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने जमीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। - खलील जिब्रान | ||
* न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक | * न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक है। - सोफोक्लिज़ | ||
* न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती | * न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती है। - कहावत | ||
'''पछतावा, पश्चाताप''' | '''पछतावा, पश्चाताप''' | ||
* अब पछताए हॉट क्या जब चिड़िया चुग गयी | * अब पछताए हॉट क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। - कहावत | ||
* करता सा सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से | * करता सा सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाए। - कबीर | ||
* पछतावा ह्रदय की वेदना है और निर्मल जीवन का | * पछतावा ह्रदय की वेदना है और निर्मल जीवन का उदय। - शेक्सपियर | ||
* सुधर के बिना पश्चाताप ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज में से पानी | * सुधर के बिना पश्चाताप ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज में से पानी निकलना। - पामर | ||
* मुझे कोई पछतावा नहीं क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं | * मुझे कोई पछतावा नहीं क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं किया। - महात्मा गाँधी | ||
'''पड़ौसी''' | '''पड़ौसी''' | ||
* कोई भी इतना धनि नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला | * कोई भी इतना धनि नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके। - डेनिस कहावत | ||
* जब तुम्हारे पड़ौसी के घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी खतरा | * जब तुम्हारे पड़ौसी के घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी खतरा है। - होरेस | ||
* सच्चा पड़ौसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता | * सच्चा पड़ौसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता है। - रामतीर्थ | ||
'''पति-पत्नी''' | '''पति-पत्नी''' | ||
* योग्य पति अपनी पत्नी को सम्मान की अधिकारिणी बना देता | * योग्य पति अपनी पत्नी को सम्मान की अधिकारिणी बना देता है। - मनु | ||
* जिसे पति बनाना है उसके लिए पुरुष बनाना जरुरी | * जिसे पति बनाना है उसके लिए पुरुष बनाना जरुरी है। - टैगोर | ||
* पति को कभी कभी अँधा और कभी कभी बहरा होना | * पति को कभी कभी अँधा और कभी कभी बहरा होना चाहिए। - कहावत | ||
कार्येशु दासी ; करनेशु मंत्री; रुपेचा लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; सयानेशु रम्भा; शत धर्मयुक्त | कार्येशु दासी ; करनेशु मंत्री; रुपेचा लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; सयानेशु रम्भा; शत धर्मयुक्त कुलधर्मपतनी। - पति के किये पत्नी कार्य में मंत्री के सामान सलाह देने वाली, सेवा में दासी के सामान काम करने वाली, माता के सामान सुन्दर भोजन करने वाली शयन के समय रम्भा के सामान सुख देने वाली, धर्म के अनुकूल और क्षमादी गुण धारण करने में पृथ्वी के सामान स्थिर रहनेवाली होती है। - संस्कृत सूक्ति | ||
'''पराधीनता''' | '''पराधीनता''' | ||
* पराधीन को जिन्दा कहें को मुर्दा कौन | * पराधीन को जिन्दा कहें को मुर्दा कौन है। - हितोपदेश | ||
* कोई इमानदार आदमी हड्डी की खातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर वह ऐसा करता है तो वह इमानदार नहीं | * कोई इमानदार आदमी हड्डी की खातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर वह ऐसा करता है तो वह इमानदार नहीं है। - डेनिस कहावत | ||
* नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा | * नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है। - पुर्तगाली कहावत | ||
* पराधीनता समाज के समस्त मौलिक निमयों के विरुद्ध | * पराधीनता समाज के समस्त मौलिक निमयों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु | ||
* जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमे हेय और दीं बना देता | * जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमे हेय और दीं बना देता हैं। - टैगोर | ||
* गुलामी में रखना इंसान के शान के खिलाफ है, जिस गुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करनेवाला कभी गुलामी को बर्दास्त नहीं कर | * गुलामी में रखना इंसान के शान के खिलाफ है, जिस गुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करनेवाला कभी गुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी | ||
'''परिवर्तन''' | '''परिवर्तन''' | ||
* हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं | * हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। - अरविन्द घोस | ||
* परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना | * परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। - जयशंकर प्रसाद | ||
* स्वयं को बदल दो भाग्य बदल | * स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा। - कहावत | ||
'''परिश्रम''' | '''परिश्रम''' | ||
* परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से | * परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से नहीं। - हितोपदेश | ||
* मरते दम तक तू अपने पसीने की रोटी | * मरते दम तक तू अपने पसीने की रोटी खाना। - बाइबल | ||
* मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियाँ | * मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियाँ हैं। - राबर्ट कोलियर | ||
* मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में | * मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में है। - अज्ञात | ||
15:32, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अनमोल वचन |
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