"अनमोल वचन 6": अवतरणों में अंतर

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* स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
* स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
* मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा
* मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा
'''इतिहास'''
* पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है। - महाभारत
* इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है। - विनोबा


'''इंद्रियां'''
'''इंद्रियां'''
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* उधार मांगना भीख माँगने जैसा है। - अज्ञात
* उधार मांगना भीख माँगने जैसा है। - अज्ञात
* उधार वह मेहमान है जो एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेता। - प्रेमचंद
* उधार वह मेहमान है जो एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेता। - प्रेमचंद
'''उन्नति'''
* ह्रदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। - जवाहरलाल नेहरु
* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। - महात्मा गाँधी
* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। - रामतीर्थ
* त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। - लाला लाजपत रॉय


'''उपकार'''
'''उपकार'''
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* संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति  
* संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति  
* हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत  
* हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत  
'''कला'''
* जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। - महात्मा गाँधी
* कला ईश्वर की परपौत्री है। - दांते
* प्रकृति ईश्वर का प्रकट रूप है, कला मानुषय का। - लांगफैलो
* कला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है। - गेटे
* मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है। - रस्किन
* कलाकार प्रकृति का प्रेमी होता है अर्ताथ वह उसका दास भी है और स्वामी भी। - अज्ञात


'''कवि - कविता'''
'''कवि - कविता'''
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* ख्याति की अभिलाषा वह पोषक है जिसे ज्ञानी भी सवसे अंत में उतारते हैं। - कहावत  
* ख्याति की अभिलाषा वह पोषक है जिसे ज्ञानी भी सवसे अंत में उतारते हैं। - कहावत  
* ख्याति वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती अगस्त्य ऋषि की तरह वह सागर को पीकर भी शांत नहीं होती। - प्रेमचंद  
* ख्याति वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती अगस्त्य ऋषि की तरह वह सागर को पीकर भी शांत नहीं होती। - प्रेमचंद  
'''गरीबी'''
* गरीबी लज्जा नहीं है, लेकिन गरीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। - कहावत
गरीबी मेरा अभिमान है। - हज़रत मोहम्मद
* जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। - बाइबल
* गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं मानवीय सृष्टि है। - महात्मा गाँधी
* उस मनुष्य के गरीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। - कहावत
'''गलती'''
* गलती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई गलती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर गलती न हो, मर्दानगी है। - महात्मा गाँधी
* जो मान गया कि उससे गलती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और गलती कर रहा है। - कन्फुस्यियस
* बहुत सी तथा बड़ी गलती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान नहीं बनता। - ग्लेड स्टोन
* अगर तुम गलतियों को रोकने के लिए दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। - टैगोर
* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। - टैगोर


'''गुण'''
'''गुण'''
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* दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
* दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
* दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
* दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
'''दुःख'''
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। - विदुरनीति
* विचित्र  बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। - खलील जिब्रान
* एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं। - स्वामी विवेकानंद
* पाप का संचय ही दुखों का मूल है। - बुद्ध


'''देश'''
'''देश'''

04:15, 2 अक्टूबर 2011 का अवतरण

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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत

अनमोल वचन
अज्ञान
  • अज्ञान जैसा शत्रु दूसरा नहीं। - चाणक्य
  • अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
  • अज्ञानी होना मनुष्य का असाधारण अधिकार नहीं है बल्कि स्वयं को अज्ञानी जानना ही उसका विशेषाधिकार है। - राधाकृष्णन
  • अशिक्षित रहने से पैदा ना होना अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही सब विपत्ति का मूल है।
  • अज्ञानी के लिए ख़ामोशी से बढकर कोई चीज़ नहीं और यदि उसमे यह समझाने की बुद्धि हो तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। - शेख सादी

अतिथि

  • अतिथि जिसका अन्न खता है उसके पाप धुल जाते हैं। - अथर्ववेद
  • यदि किसी को भी भूख प्यास नहीं लगती तो अतिथि सत्कार का अवसर कैसे मिलता। - विनोबा
  • आवत ही हर्षे नहीं, नयनन नहीं सनेह, तुलसी वहां ना जाइये, कंचन बरसे मेह। - तुलसीदास

अत्याचार

  • अत्याचारी से बढ़कर अभागा कोई दूसरा नहीं क्योंकि विपत्ति के समय उसका कोई मित्र नहीं होता। - शेख सादी
  • गुलामों की अपेक्षा उनपर अत्याचार करनेवाले की हालत ज़्यादा ख़राब होती है। - महात्मा गाँधी
  • अत्याचार करने वाला उतना ही दोषी होता है जितना उसे सहन करने वाला। - तिलक

अधिकार

  • ईश्वर द्वारा निर्मित जल और वायु की तरह सभी चीजों पर सबका सामान अधिकार होना चाहिए। - महात्मा गाँधी
  • अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता। - टैगोर
  • संसार में सबसे बड़ा अधिकार सेवा और त्याग से प्राप्त होता है। - प्रेमचंद

अध्ययन

  • सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है।
  • हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है।

अनुभव

  • बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अँधा है।
  • दूसरों के अनुभव से जान लेना भी मनुष्य के लिए एक अनुभव है।
  • यदि कोई केवल अनुभव से ही बुद्धिमान हो जाता तो लन्दन के अजायबघर में रखे इतने समय के बाद संसार के बड़े से बड़े बुद्धिमान से अधिक बुद्धिमान होते। - बर्नार्ड

अन्याय

  • अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा। - अरस्तु
  • अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा। - टैगोर
  • अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं। - प्रेमचंद

अपमान

  • धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। - टैगोर
  • अपमान का दर कानून के दर से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता। - प्रेमचंद
  • अपमान पूर्ण जीवन से मृत्यु अच्छी है। - कहावत

अपराध

  • दूसरों के प्रति किये गए छोटे अपराध अपने प्रति किये गए बड़े अपराध हैं जिनका फक हमें भुगतना ही होता है। - अज्ञात
  • अपराध मनुष्य के मुख पर लिखा होता है। - महात्मा गाँधी
  • अपराधी मन संदेह का अड्डा है। - शेक्सपीयर

अभिमान

  • जरा रूप को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राण को, क्रोध श्री को, काम लज्जा को हरता है पर अभिमान सब को हरता है। - विदुर नीति
  • अभिमान नरक का मूल है। - महाभारत
  • कोयल दिव्या आमरस पीकर भी अभिमान नहीं करती, लेकिन मेढक कीचर का पानी पीकर भी टर्राने लगता है। - प्रसंग रत्नावली
  • कबीरा जरब न कीजिये कबुहूँ न हासिये कोए अबहूँ नाव समुद्र में का जाने का होए। - कबीर
  • समस्त महान गलतियों की तह में अभिमान ही होता है। - रस्किन
  • किसी भी हालत में अपनी शक्ति पर अभिमान मत कर, यह बहुरुपिया आसमान हर घडी हजारों रंग बदलता है। - हाफ़िज़
  • जिसे होश है वह कभी घमंड नहीं करता। - शेख सादी

अभिलाषा

  • हमारी अभिलाष जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है। - टैगोर
  • अभिलाषा सब दुखों का मूल है। - बुद्ध
  • अभिलाषाओं से ऊपर उठ जाओ वे पूरी हो जायंगी, मांगोगे तो उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेंगी। - रामतीर्थ
  • कोई अभिलाष यहाँ अपूर्ण नहीं रहती। - खलील जिज्ञान
  • अभिलाषा ही घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता। - शेक्सपीयर

अवसर

  • अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। - कहावत
  • मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहष्य आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। - डिजरायली
  • अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। - फारसी कहावत

अहिंसा

  • उस जीवन को नष्ट करने का हमे कोई अधिकार नहीं जिसके बनाने की शक्ति हममे न हो। - महात्मा गाँधी
  • अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
  • जब को व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर पूरा उतर जाता है तो अन्य व्यक्ति स्वयं ही उसके पास आकर बैर भाव भूल जाता है। - पतंजलि
  • हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं कायरता है. अहिंसा को कायरता के साथ नहीं मिलाना चाहिए। - महात्मा गाँधी

आंसू

  • स्त्री ! तुने अपने अथाह आंसुओं से संसार के ह्रदय को ऐसे घेर रखा है जैसे समुद्र पृथ्वी को घेरे हुए है। - टैगोर
  • नारी के आंसू अपने एक एक बूँद में एक एक बाढ़ लिए होते हैं। - जयशंकर प्रसाद
  • मेरी एक प्रबल कामना है की मैं कम से कम एक आँख का आंसू पोछ दूं। - महात्मा गाँधी
  • सात सागरों में जल की अपेक्छा मानव के नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - बुद्ध

आचरण

  • जैसा देश तैसा भेष। - कहावत
  • माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। - शुक्रनीति
  • मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। - टैगोर
  • शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान है। - अज्ञात
  • रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। - हितोपदेश

आत्म विश्वास

  • आत्मविश्वास सफलता का मुख्य रहष्य है। - एमर्सन
  • यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो। - गोर्की
  • जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही। - विवेकानंद
  • आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। - टेनीसन

आत्मा

  • आत्मा को न शाश्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न जल भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है। - भगवत गीता
  • क्या तुम नहीं जानते ही तुम ही ईश्वर का मंदिर हो और ईश्वर की आत्मा तुममे रहती है। - इंजील
  • अगर मेरे पास दो रोटियां हो तो मैं एक के फूल खरीदूंगा ताकि रूह को गिज़ा मिल सके। - हजरत मोहम्मद
  • सबकी आत्मा एक जैसी है, सबकी आत्मा की शक्ति एक सामान है। कुछ की शक्ति प्रकट हो गयी है और दूसरों की प्रकट होनी बाकी है। - महात्मा गाँधी
  • आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। - उमर खैयाम
  • आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। - गेटे
  • अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरुप को आत्मा प्रकाशित करता है। - टैगोर

आनंद

  • आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। - सुकरात
  • केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है। - रामतीर्थ
  • क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता। - महात्मा गाँधी
  • हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं। - कन्फ्युशियाश
  • जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती। - प्रेमचंद
  • आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम। - टैगोर

आपत्ति

  • ईश्वर आपत्तियों का भला करे क्योंकि इन्हीं से मित्र और शत्रु की पहचान होती है। - अज्ञात
  • मनुष्य को आपत्ति का सामना करने सहायता देने के लिए मुस्कान से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। - तिरुवल्लुवर
  • आपत्ति 'मनुष्य' बनाती है और संपत्ति 'राक्षस'। - विक्टर ह्यूगो
  • धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपति काल परखिये चारी। - तुलसीदास
  • आपत्ति काल में हमारी अजीब अजीब लोगों से पहचान हो जाती है जो अन्यथा संभव नहीं। - शेक्सपीयर
  • रंज से खूगर (अभ्यस्त) हुआ इन्सान तो मिट जाता है रंज।

आशा

  • आशा एक नदी है, उसमे इच्छा रूपी जल है, तृष्णा उस नदी की तरंगे हैं, आसक्ति उसके मगर हैं, तर्क वितर्क उसकी पक्षी हैं, मोह रूपी भवरों के कारन वह सुकुमार तथा गहरी है, चिंता ही उसके ऊंचे नीचे किनारे हैं जो धैर्य के वृक्षों को नष्ट करते हैं, जो शुध्चित्त उसके पास चले जाते हैं वो बड़ा आनंद पते हैं। - कहावत
  • आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। - महात्मा गाँधी
  • आशा प्रयत्नशील मनुष्य का साथ कभी नहीं छोडती। - गेटे
  • जितनी अधिक आशा रखोगे उतनी अधिक निराशा होगी। - कहावत
  • स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
  • मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा

इंद्रियां

  • जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया है, उसे स्त्री तिनके के जान पड़ती है। - चाणक्य
  • अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं। - कठोपनिषद
  • जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है। - महाभारत
  • सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरुप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं। - भगवन कृष्ण

ईश्वर

  • मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता। - शेख सादी
  • ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद
  • ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी
  • यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना जरूरी है। - वाल्टेयर
  • ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द
  • ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर

ईर्ष्या

  • ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। - तिरुवल्लुवर
  • ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है। - वेदव्यास

उत्साह

  • उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
  • उत्साह से बढकर कोई दूसरा बल नहीं है, उत्साही मनुष्य के लिए संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। - वाल्मीकि
  • विश्व इतिहास में प्रत्येक महान और महत्त्वपूर्ण आन्दोलन उत्साह द्वारा ही सफल हो पाया है। - एमर्सन

उदारता

  • उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
  • यह मेरा है यह तेरा है ऐसा संकीर्ण हृदय वाले मानते हैं, उदार चित्त वाले तो सरे संसार को एक कुटुंब समझते हैं। - हितोपदेश
  • उदार व्यक्ति दे-देकर अमीर बनता है, लोभी जोड़ जोड़ कर गरीब होता है। - जर्मन कहावत
  • चार तरह के लोग होते हैं- (1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें, (2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें, (3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें, (4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। - अफलातून

उधार

  • ना उधार दो, ना लो क्योंकि उधार देने से अक्सर पैसा और मित्र दोनों ही खो जाते हैं। - शेक्सपीयर
  • उधार मांगना भीख माँगने जैसा है। - अज्ञात
  • उधार वह मेहमान है जो एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेता। - प्रेमचंद

उपकार

  • वृक्ष खुद गर्मी सहन कर शरण में आये राहगीर को गर्मी से बचाता है। - कालिदास
  • जो दूसरों पर उपकार जताने का इच्छुक है वह द्वार खटखटाता है। जिसके ह्रदय में प्रेम है उसके लिए द्वार खुले हैं। - टैगोर
  • उपकार के लिए अगर कुछ जाल भी करना पड़े तो उससे आत्मा की हत्या नहीं होती। - प्रेमचंद
  • उपकार करके जाताना इस बात का प्रतीक है की किया गया समर्थन या कार्य उपकार नहीं है। - अज्ञात

उपदेश

  • बिना मांगे किसी को उपदेश ना दो। - जर्मन कहावत
  • जो नसीहत नहीं सुनता उसे लानत-मलामत सुनने का शौक़ है। - शेख सादी
  • पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है। - कहावत
  • जिसने स्वयं को समझ लिया हो वह दूसरों सो समझाने नहीं जायेगा। - धम्मपद
  • लोगों की समझ शक्ति के मुताबिक उपदेश देना चाहिए। - हदीस
  • उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है। - टैगोर

उपहार

  • जिन उपहारों की बड़ी आस लगी रहती है वो भेंट नहीं किये जाते, अदा किये जाते हैं। - फ्रेंकलिन
  • शत्रु को क्षमा, विरोधी को सहनशीलता, मित्र को अपना ह्रदय, बालक को उत्तम दृष्टान्त, पिता को आदर, माता को ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व कर सके, अपने को प्रतिष्ठा और सबको उपहार। - बालफोर

उपेक्षा

  • प्रेम सब कुछ सह लेता है लेकिन उपेक्षा नहीं सह सकता। - अज्ञात
  • रोग, सर्प, आग और शत्रु को तुच्छ समझा कर कभी उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। - सुभाषित

एकता

  • एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती। - महात्मा गाँधी
  • यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। - शेख सादी

एकाग्रता

  • जब तक आशा लगी है तब तक एकाग्रता नहीं हो सकती। - रामतीर्थ
  • झूठ, कपट, चोरी, व्यभिचार आदि दुराचारों की वृत्तियों के नष्ट हुए बिना एकाग्र होना कठिन है और चाट एकाग्र हुए बिना ध्यान और समाधी नहीं हो सकती। - मनु
  • मन की एकाग्रता मनुष्य की विजय शक्ति है, यह मनुष्य जीवन की समस्त शक्तियों को समेटकर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। - अज्ञात

एकांत

  • जो एकांत में खुश रहता है वो या तो पशु है या देवता। - अज्ञात
  • एकांत मूर्ख के लिए कैदखाना है और ज्ञानी के लिए स्वर्ग। - अज्ञात
  • मुझे एकांत से बढकर योग्य साथी कभी नहीं मिला। - थोरो
  • एकांतवास शोक-ज्वाला के लिए समीर के सामान हैं। - प्रेमचंद

ऐश्वर्य

  • कदम पीछे ना हटाने वाला ही ऐश्वर्य को जीतता है। - ऋग्वेद
  • स्वयं को हीन मानने वाले को उत्तम प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त नहीं होते। - महाभारत
  • धन ना भी हो तो आरोग्य, विद्वता सज्जन-मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं। - अज्ञात
  • ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है की हम उसके योग्य हैं। - अरस्तु

कर्त्तव्य

  • मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! - अथर्ववेद
  • फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता
  • कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत
  • कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा
  • मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस
  • मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन
  • हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। - शेक्सपियर
  • अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर
  • सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर

कल्पना

  • मन जिस रूप की कल्पना करता है वैसा हो जाता है, आज जैसा वह है वैसे उसने कल कल्पना की थी। - योगवशिष्ठ
  • कल्पना विश्व पर शासन करती है। - नेपोलियन
  • पागल, प्रेमी और कवि की कल्पनाएँ एक सी होती हैं। - शेक्सपियर

कंजूसी

  • कंजूसी मैं तुझे जनता हूँ! तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है। - अथर्ववेद
  • संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति
  • हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत

कवि - कविता

  • कवि लिखने के लिए तब तक तैयार नहीं होता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों से सराबोर नहीं हो जाती। - शेक्सपियर
  • इतिहास की अपेक्षा कविता सत्य के अधिक निकट होती है। - प्लेटो
  • कवि वह सपेरा है जिसकी पिटारी में सापों के स्थान पर ह्रदय बंद होते हैं। - प्रेमचंद

कष्ट

  • आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। - अज्ञात
  • ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ करतें हैं। - इंजील
  • हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। - हज़रत मोहम्मद

काम

  • काम से शोक उत्पन्न होता है। - धम्मपद
  • काम क्रोध और लोभ ये तीनो नरक के द्वार हैं। - गीता
  • सहकामी दीपक दसा, सोखे तेल निवास, कबीरा हीरा संतजन, सहजे सदा प्रकास। - कबीर

कार्य

  • दौड़ना काफी नहीं है समय पर चल पड़ना चाहिए। - फ़्रांसिसी कहावत
  • जिसने निश्चय कर लिया उसके लिए बस करना बाकि रह जाता है। - इटैलियन कहावत
  • वाही काम करना ठीक है जिसके लिए बाद में पछताना ना पड़े, और जिसके फल को प्रसन्ना मन से भोग सके। - बुद्ध
  • यदि कोई काम नहीं करता तो उसे खाना भी नहीं चाहिए। - बाइबल
  • किसी भी काम को ख़ूबसूरती से करने के लिए उसे मन से करना चाहिए। - नेपोलियन
  • बिना काम के सिधांत दिमागी एय्याशी है, बिना सिधांत के कार्य अंधे की टटोल हैं। - जवाहरलाल नेहरु

कायरता

  • अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। - अज्ञात
  • घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। - अज्ञात
  • मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। - महात्मा गाँधी

कुरूपता

  • मेरे दोस्त किसी चीज़ को कुरूप ना कहो सिवाय उस भय के जिसकी मारी कोई आत्मा स्वयं अपनी स्मृतियों से डरने लगे। - खलील जिब्रान
  • कुरूपता मनुष्य की सौंदर्य विद्या है। - चाणक्य

क्रोध

  • क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और भ्द्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है। - कृष्ण
  • क्रोध यमराज है। - चाणक्य
  • क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है। - महात्मा गाँधी
  • क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं। - मीनेंदर
  • जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है। - वेदव्यास
  • सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। - जेम्स एलन
  • क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। - जेफरसन

ख्याति

  • ख्याति की अभिलाषा वह पोषक है जिसे ज्ञानी भी सवसे अंत में उतारते हैं। - कहावत
  • ख्याति वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती अगस्त्य ऋषि की तरह वह सागर को पीकर भी शांत नहीं होती। - प्रेमचंद

गुण

  • गुणों से ही मनुष्य महान होता है, ऊँचे आसन पर बैठने से नहीं, महल के ऊँचे शिखर पर बैठने मात्र से कौवा गरुड़ नहीं हो सकता। - चाणक्य
  • सद्गुनशील, मुंसिफ मिजाज़ और अक्लमंद आदमी तब तक नहीं बोलता जब तक ख़ामोशी नहीं हो जाती। - शेख सादी
  • कस्तूरी को अपनी मौजूदगी कसम खाकर सिद्ध नहीं करनी पड़ती; गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं। - अज्ञात
  • रूप कि पहुँच आँखों तक है, गुण आत्मा को जीतते हैं। - पोप
  • बड़े बड़ाई न करें, बड़े न बोलें बोल, रहिमन हीरा कब कहैं, लाख टका मेरो मोल। - रहीम

गुरु

  • शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है, बाकी के लिए शिष्य स्वावलंबी है। - विनोबा
  • सच्चा गुरु अनुभव है। - स्वामी विवेकानंद
  • कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु को मानत और हरी रुठै गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर। - कबीर

घृणा

  • घृणा पाप से करो पापी से नहीं। - महात्मा गाँधी
  • जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। - नेपोलियन
  • घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। - कहावत
  • घृणा ह्रदय का पागलपन है। - बायरन
  • घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। - बुद्ध

क्षमा

  • क्षमा ब्रम्ह है, क्षमा सत्य है, क्षमा भूत है, क्षमा भविष्य है, क्षमा तप है, क्षमा पवित्रता है, कहमा में ही संपूर्ण जगत को धारण कर रखा है। - वेदव्यास
  • वृक्ष अपने काटने वाले को भी छाया देता है। - चैतन्य
  • क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। - हज़रत अली
  • दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना, यह क्षमा का गुण पृथ्वी से सीखना और पृथ्वी पर सदा परोपकार रत रहने वाले पर्वत और वृक्षों से परोपकार की दक्षता लेना। - कृष्ण
  • मागने से पूर्व अपने आप गले पड़कर क्षमा करने का मतलब है मनुष्य का अपमान करना। - शरतचंद्र

चतुराई

  • चतुराई दरबारियों के लिए गुण है, साधुओं के लिए दोष। - शेख सादी
  • सब से बड़ी चतुराई ये है कि कोई चतुराई न की जाये। - फ़्रांसिसी कहावत

चरित्र

  • चरित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा उसकी छाया। - अब्राहम लिंकन
  • चरित्र के बिना ज्ञान बुराई की ताकत बन जाता है, जैसे कि दुनिया के कितने ही 'चालाक चोरों' और 'भले मानुष बदमाशों' के उदाहरण से स्पष्ट है। - महात्मा गाँधी
  • दुर्बल चरित्र का व्यक्ति उस सरकंडे जैसा है जो हवा के हर झौंके पर झुक जाता है। - माघ
  • चरित्र मनुष्य के अन्दर रहता है, यश उसके बाहर। - अज्ञात
  • स्वास की क्रिया के सामन हमारे चरित्र में एक ऐसी सहज क्षमता होनी चाहिए जिसके बल पर जो कुछ प्राप्य है वह अनायास ग्रहण कर लें और जो त्याज्य है वह बिना क्षोभ के त्याग सकें। - टैगोर
  • समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र
  • कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात

चापलूसी

  • चापलूस आपको हनी पहुंचा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। - हरिऔध
  • चापलूसी तीन घृणित दुर्गुणों से बही है, असत्य , दासत्व और विश्वासघात। - अज्ञात
  • चापलूस आपकी चापलूसी इसीलिए करता है क्योंकि वह खुद को अयोग्य समझता है, लेकिन आप उसके मुंह से अपनी प्रशंसा सुनकर फूले नहीं समाते। - टालस्टाय
  • रहिमन जो रहिबो चहै कहै वाही के दांव, जो वासर को निसी कहै तो कचपची दिखाव। - रहीम

चिंता

  • चिंता चिता सामान है। - अज्ञात
  • निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है। - अरबी कहावत
  • अगर इंसान सुख दुःख कि चिंताओं से ऊपर उठ जाये तो आसमान कि उंचाई भी उसके पैरों टेल आ जाये। - शेख सादी
  • कुटुंब कि चिंता से परेशां व्यक्ति कि कुलीनता, शील और गुण कच्चे घड़े में रखे पानी की तरह है। - संस्कृत सूक्ति
  • चिंता वहां तक तो वांछनीय है जहाँ तक वह रचनात्मक ध्येय की पूर्ति के लिए विविध उपायों का मनन करने तक सीमित हो, परन्तु जब चिंता इतनी बढ़ जाये कि वह शरीर को खाने लगे तो वह अवांछनीय हो जाती है क्योंकि फिर तो वह अपने ध्येय को ही हरा बैठती है। - महात्मा गाँधी

चेहरा

  • चेहरा मस्तिष्क का प्रतिबिम्ब है और आँखें बिना कहे दिल के राज़ खोल देती हैं। - सैंट जेरोमे
  • भोली भाली सूरत वाले होते हैं जल्लाद भी। - उर्दू कहावत
  • सुन्दर चेहरा सबसे अच्छा प्रशंसापात्र है। - रानी एलिज़ाबेथ

चिकित्सा

  • संयम और परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं, परिश्रम के भूख तेज़ होती है और संयम अतिभोग से रोकता है। - रूसो
  • समय सबसे बड़ा चिकित्सक है, वक़्त हर घाव का मरहम है। - कहावत
  • मन की प्रशन्नता से समस्त मानसिक और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं। - रामदास

चोरी

  • आवश्यकता से अधिक एकत्र करने वाला प्रत्येक व्यक्ति चोर है। - भगवत गीता
  • ईश्वर ने आदमी को मेहनत करके खाने के लिए बनाया है और कहा है कि जो मेहनत किये बगैर खाते हैं बे चोर हैं। - महात्मा गाँधी
  • जो मेरा धन चुराता है वह मेरी सबसे तुच्छ वस्तु ले जाता है। - शेक्सपियर

जनता

  • जनता कि आवाज़ ईश्वर की आवाज़ है। - कहावत
  • राजमहलों की चालबाजियां, सभाभवानों की राजनीती, समझौते और लेन-देन का जमाना उसी दिन खत्म हो जाता है जब जनता राजनीति में प्रवेश करती है। - जवाहरलाल नेहरु

जीविका

  • व्यवसाय समय का यन्त्र है। - नेपोलियन
  • व्यस्त मनुष्य को आंसू बहाने का अवकाश नहीं। - बायरन
  • वह जीविका श्रेष्ठ है जिसमे ओने धर्म कि नहीं नहीं और वाही देश उत्तम है जिससे कुटुंब का पालन हो। - शुक्रनीति

जीवन

  • जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देने पर भी नहीं मिलता। - चाणक्य
  • मूर्ति के सामन मनुष्य का जीवन सभी ओर से सुन्दर होना चाहिए। - सुकरात
  • यदि तुम्हारे पास दो पैसे हों तो एक से रोटी और दुसरे से फूल, रोटी तुम्हे जीवन देगी और फूल तुम्हे जीवल जीने कि कला सिखाएगा। - चीनी कहावत
  • जियो और जीने दो। - स्काच कहावत
  • जो अच्छी तरह जीता है वह दो बार जीता है। - लैटिन कहावत
  • मैं ही आग हूँ, मैं ही कूड़ा करकट, अगर मेरी आग कूड़ा करकट जलाकर भस्म करदे तो मैं अच्छा जीवन पाउँगा। - खलील जिब्रान
  • अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है। - स्वामी विवेकानंद
  • जीवन किसी तो स्थायी संपत्ति के रूप में नहीं मिला है वह तो केवल प्रयोग के लिए है। - लुकीटस
  • मनुष्य जीवन अनुभव का शास्त्र है। - विनोबा
  • जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु। - ह्यूगो

झगड़ा

  • लोग फल के बजाये छिलके पर अधिक झगड़ते हैं।
  • झगड़े में शामिल दोनों पक्ष गलत होते हैं।

झूठ

  • थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। - महात्मा गाँधी
  • झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। - शेक्सपियर
  • दो अर्थोंवाले शब्द बोलकर, किसी विशेष शब्द पर जोर देकर, या आँख के इशारे से भी झूठ बोला जाता है, इस प्रकार का झूठ स्पष्ट शब्दों में बोले गए झूठ से कही बुरा है। - रस्किन
  • एक झूठ को छिपाने के लिए अनेक झूठ बोलने पड़ते हैं। - कहावत
  • यदि झूठ बोलने से किसी कि जान बचाती है तो बह झूठ पाप नहीं पुण्य है। - प्रेमचंद

ठोकर

  • ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाटा हूँ। - महात्मा गाँधी
  • दूसरों के अनुभव से होशियारी सीखने की मनुष्य को इच्छा नहीं होती, उसको स्वतंत्र ठोकर चाहिए। - विनोबा
  • ठोकरें केवल धुल ही उड़ाती हैं फसलें नहीं उगती। - टैगोर

तर्क

  • जो तर्क नहीं सुने वह कट्टर है, जो तर्क न कर सके वह मूर्ख है और जो तर्क करने का सके वह गुलाम है। - ड्रमंड
  • तर्क केवल बुद्धि का विषय है ह्रदय कि सिद्धि तक बुद्धि नहीं पहुँच सकती।
  • जिसे बुद्धि मने मगर ह्रदय ना माने वह तजने योग्य है। - महात्मा गाँधी

त्याग

  • प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। - भगवान कृष्ण
  • त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। - विनोबा
  • पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। - संस्कृत सूक्ति
  • त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। - सुफियान सौरी

दंड

  • दंड अन्यायी के लिए न्याय है। - अगस्तियन
  • अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता। - रस्किन
  • अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए। - वाल्टेयर

दया

  • दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। - तुलसीदास
  • जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। - हज़रत मोहम्मद
  • दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं। - बाइबल
  • हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। - शेक्सपियर
  • जो निर्बलों पर दया नहीं करता उसे बलवानों के अत्याचार सहने पड़ेंगे। - शेख सादी
  • दया चरित्र को सुन्दर बनती है। - जेम्स एलन
  • आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। - विलियम हैज़लित
  • सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। - रामायण
  • कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। - विलकास्य

दर्शन

  • दर्शन का उद्देश्य जीवन कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • जब जिन्दगी को अपने दिल के गीत सुनाने का मौका नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए दार्शनिक पैदा कर देती है। - खलील जिब्रान
  • दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास, सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत करने लगें। - थोरो

दान

  • सैकड़ों हाथो से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांटो। - अथर्ववेद
  • सज्जनों कि रीति यह है कि कोई अगर उनसे कुछ मांगे तो वे मुख से कुछ न कहकर, काम पूरा करके ही उत्तर देते हैं। - कालिदास
  • जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम, दोउ हाथ उलीचिये, यही सयानों काम। - कबीर
  • तुम्हारा बायाँ हाथ जो देता है उसे दायाँ हाथ ना जानने पाए। - बाइबल
  • दान देकर तुम्हे खुश होना चाहिए क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती। - हज़रत मोहम्मद
  • सबसे उत्तम दान यह है कि आदमी को इतना योग्य बना दो कि वह बिना दान के काम चला सके। - तालमुद

दुर्बलता

  • स्वयं को भेंड बना लोगे तो भेड़िये आकर तुम्हे खा जायेंगे। - जर्मन कहावत
  • मन कि दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप नहीं। - विवेकानंद
  • दुर्बल को ना सताइए, जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो जाय। - कबीर

दुर्भावना

  • दुर्भावना को मैं मनुष्य का कलंक समझता हूँ। - महात्मा गाँधी
  • दुर्भावना अपने विष का आधा भगा स्वयं पीती है। - सैनेका
  • आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। - चार्ल बक्सटन

दुर्वचन

  • दुर्वचन पशुओं तक को अप्रिय होते हैं। - बुद्ध
  • दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
  • दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी

देश

  • दुरात्मा के लिए देश-भक्ति अंतिम शरण है। - जॉन्सन
  • यदि देश-भक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं है। - महात्मा गाँधी

देह

  • देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है। - महात्मा गाँधी
  • देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है। - ज्ञानेश्वरी

दोष

  • दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। - कबीर
  • तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल। - बाइबल
  • साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं। - इपिक्टेतस
  • मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है। - संस्कृत सूक्ति

धर्म

  • शांति से बढकर कोई ताप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
  • हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए। - गीता
  • धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमता। - कार्ल मार्क्स
  • दो धर्मो का कभी झगड़ा नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता है। - विनोबा
  • धर्म परमेश्वर कि कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता है। - नरेन्द्र देव

धीरज

  • कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर जाय। - कबीर
  • शोक में, आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। - वाल्मीकि
  • जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी। - चर्चिल
  • सब्र जिन्दगी के मकसद का दरवाज़ा खोलता है क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाज़े कि कोई और चाबी नहीं है। - शेख सादी

धोका

  • अगर कोई व्यक्ति मुझे दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत है मुझपर। - कहावत
  • धूर्त को धोका देना धूर्तता नहीं है। - कहावत
  • हेत प्रति से जो मिले, ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै बलाय। - कबीर
  • सब धोकों में प्रथम और ख़राब अपने आप को धोखा देना है। - बेली
  • स्पष्टभाषी दोखेबाज़ नहीं होता। - चाणक्य
  • मुंह में राम बगल में छुरी। - कहावत
  • मुझे जितनी जहन्नुम से फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी कहता है। - होमर
  • ज़्यादा मधुर बानी धोकेबाज़ी की निशानी। - कहावत

ध्येय, लक्ष्य

  • ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।
  • यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। - तिरुवल्लुवर
  • अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। - बर्नार्ड शा
  • लक्ष्य रखना काफी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए। - इतालियन कहावत
  • अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो। - कार्लाइल

नक़ल

  • किसी को अपना व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए। - चैनिंग
  • नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। - फारसी कहावत
  • मानव नक़ल करने वाला प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता है। - शिलर
  • उपदेश के बजाय कहीं ज़्यादा हम हम करके सीखते हैं। - बर्क
  • जहाँ नक़ल है वहां खाली दिखावत होगी, जहाँ खाली दिखावत है वहां मूर्खता होगी। - जॉन्सन

नम्रता

  • बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। - ईसा
  • नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और जिन्दगी मिलती है। - सुलेमान
  • संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के खिलाफ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के खिलाफ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। - महात्मा गाँधी
  • मेरा विश्वास है की वास्तविक महान पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। - रस्किन
  • नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। - विनोबा
  • ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। - कबीर

नरक

  • संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत ही नरक है। - जयशंकर प्रसाद
  • काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के पंथ। - तुलसीदास
  • अति क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण हैं। - चाणक्य नीति

नशा

  • जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। - तिरुवल्लुवर
  • नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। - प्रेमचंद
  • नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता हो। - शरतचंद्र

नाम

  • नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही देगा। - शेक्सपियर
  • अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है। - सुकरात
  • अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बनाओ। - लांग फैलो
  • आदि नाम परस अहै, मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन मोह। - कबीर

नारी

  • सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी। - स्पेनी कहावत
  • पुरुष का नारी के सामान कोई बंधू नहीं। - महाभारत
  • यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। - राधाकृष्णन
  • नारी की उन्नति पर ही रास्ट्र की उन्नति या अवनति निर्धारित है। - अरस्तु
  • बदला लेने और प्रेम करने में नारी पुरुष से आगे होती है। - नित्शे
  • सौन्दर्य से नारी अभिमानी बनती है, उत्तम गुणों से उसकी प्रशंसा होती है और लज्जाशील होकर वह देवी बन जाती है। - शेक्सपियर
  • नारी को अबला कहाँ उसका अपमान है। - महात्मा गाँधी
  • नारी सब कुछ सह सकती है पर अपने इच्छा के विरुद्ध प्रेम नहीं कर सकती। - सुदर्शन
  • नारी सब कुछ सह सकती है, दारुण से दारुण दुःख, बड़े से बड़ा संकट, नहीं सह सकती तो अपनी उमंगो का कुचलाजाना। - प्रेमचंद

निंदा

  • यदि तुम्हारी कोई निंदा करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने ऊपर ले रहा है। - ब्रह्मानंद सरस्वती
  • ऐ ईमान वालों, दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी कभी गुनाह हो जाता है। - कुरान
  • निंदक नियरे रखिये, आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना, निर्मल करे सुहाए। - कबीर
  • हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो। - शेक्सपियर
  • जो तेरे सामने और की निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा करेगा। - कहावत

स्त्री

  • किसी स्त्री के सलाह लीजिये और जो कुछ भी वह कहे उसका उल्टा कीजिये निश्चित रूप से आप बुद्धिमान बन जायेंगे। - टॉमस मूर
  • औरत के बाल आमतौर पर लम्बे होते हैं पर उसकी जुबान और भी ज़्यादा लम्बी होती है। - शेक्सपियर
  • जब लड़की शरमाना बंद कर देती है तो वह अपनी सुन्दरता का सबसे शक्तिशाली आकर्षण खो देती है। - ग्रेगरी
  • एक आकर्षक स्त्री रत्नजडित आभूषण है एवं एक अच्छी स्त्री कोषाध्यक्ष। - अज्ञात
  • स्त्री अवं संगीत को कभी समय से सम्बंधित नहीं करना चाहिए। - अज्ञात

निद्रा

  • निद्रावस्था जागृतावस्था की स्तिथि का आईना है। - महात्मा गाँधी
  • निद्रा रोगी की माता, भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी है। - अज्ञात
  • निद्रा एक ऐसा अथाह सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते है। - प्रेमचंद
  • सोता साथ जगाइए, करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और सांप। - कबीर

निराशा

  • निराशा दुर्बलता का चिन्ह है। - रामतीर्थ
  • निराशा में प्रतीक्षा अंधे की लाठी है। - प्रेमचंद
  • निराशा स्वर्ग का सीलन है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की शांति। - डाने

नियम

  • नियम यदि एक क्षण के लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो जाए। - महात्मा गाँधी
  • जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है। - हरिभाऊ उपाध्याय
  • प्रकृति का यह साधारण नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते रहेंगे। - दायोनीसियस

निश्चय

  • अनुभव बताता है की आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता है। - शेक्सपियर
  • जिसका निश्चय द्रिड और अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता है। - गेटे
  • हम अपने अच्छे से अच्छे कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा से वो किये गए हैं। - रोची
  • सच्ची से सच्ची और अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय है। - नेपोलियन
  • जो व्यक्ति निश्चय कर सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं है। - एमर्सन

नीचता

  • स्वाभाव की नीचता बर्षों में भी मालूम नहीं होती। - शेख सादी
  • कुछ कही नीच न छेडिये, भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे अंग। - वृन्द
  • नीच मनुष्य के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए, कोयला अगर जल रहा है तो छूने से जला देता है और अगर ठंडा है तो हाथ काले कर देता है। - हितोपदेश
  • दाग जो काला नील का, सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न होय। - कबीर
  • जो उपकार करनेवाले को नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा नहीं। - विनोबा
  • शक्तियों का एक नियम है जिसके कारण चीजें समुद्र में एक खास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के समुद्र में हम जितने जहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता है। - लाबैल
  • नीच को देखने और उसकी बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता है। - कन्फ्युसियास

नेकी

  • नेकी कर दरिया में डाल। - कहावत
  • मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। - कार्लाइल
  • नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। - हज़रत अली
  • जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। - शेख़ सादी

न्याय

  • न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता है। - जर्मन कहावत
  • मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। - डिकेंस
  • जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। - खलील जिब्रान
  • न्याय की बात कहने के लिए हर समय ठीक है। - सोफोक्लिज़
  • न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है, ईश्वर की चक्की धीरे चलती है पर बारीक पीसती है। - कहावत

पछतावा, पश्चाताप

  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। - कहावत
  • करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाए। - कबीर
  • पछतावा ह्रदय की वेदना है और निर्मल जीवन का उदय। - शेक्सपियर
  • सुधार के बिना पश्चाताप ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज में से पानी निकलना। - पामर
  • मुझे कोई पछतावा नहीं क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं किया। - महात्मा गाँधी

पड़ौसी

  • कोई भी इतना धनी नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके। - डेनिस कहावत
  • जब तुम्हारे पड़ौसी के घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी खतरा है। - होरेस
  • सच्चा पड़ौसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता है। - रामतीर्थ

पति-पत्नी

  • योग्य पति अपनी पत्नी को सम्मान की अधिकारिणी बना देता है। - मनु
  • जिसे पति बनाना है उसके लिए पुरुष बनाना ज़रूरी है। - टैगोर
  • पति को कभी-कभी अँधा और कभी-कभी बहरा होना चाहिए। - कहावत
  • कर्मेशु मंत्री; कार्येशु दासी ; रुपेशु लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; शयनेशु रम्भा; सत्कर्म नारी कुलधर्मपत्नी। - पति के किये कार्य में मंत्री के समान सलाह देने वाली, सेवा में दासी के सामान काम करने वाली, माता के समान स्वादिष्ट भोजन करने वाली, शयन के समय रम्भा के सामान सुख देने वाली, धर्म के अनुकूल और क्षमादी गुण धारण करने में पृथ्वी के सामान स्थिर रहनेवाली होती है। - संस्कृत सूक्ति

पराधीनता

  • पराधीन को ज़िन्दा कहें तो मुर्दा कौन है? - हितोपदेश
  • कोई ईमानदार आदमी हड्डी की ख़ातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर वह ऐसा करता है तो वह ईमानदार नहीं है। - डेनिस कहावत
  • नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है। - पुर्तग़ाली कहावत
  • पराधीनता समाज के समस्त मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु
  • जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर
  • गुलामी में रखना इंसान के शान के खिलाफ है, जिस गुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करनेवाला कभी गुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी

परिवर्तन

  • हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। - अरविन्द घोस
  • परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। - जयशंकर प्रसाद
  • स्वयं को बदल दो भाग्य बदल जायेगा। - कहावत

परिश्रम

  • परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से नहीं। - हितोपदेश
  • मरते दम तक तू अपने पसीने की कमाई की रोटी खाना। - बाइबल
  • मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियाँ हैं। - राबर्ट कोलियर
  • मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में है। - अज्ञात




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