"अनमोल वचन 7": अवतरणों में अंतर
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* जिन्दगी हमारे साथ खेल खेलती है, जो इसे खेल नहीं मानते, वे ही एक दूसरे की शिकायत व आलोचना करते हैं। - जैनेंद्र कुमार | * जिन्दगी हमारे साथ खेल खेलती है, जो इसे खेल नहीं मानते, वे ही एक दूसरे की शिकायत व आलोचना करते हैं। - जैनेंद्र कुमार | ||
* जितनी हम दूसरों की भलाई करते हैं, उतना ही हमारा ह़दय शुद्ध होता है और उसमें ईश्वर निवास करता है। - विवेकानन्द | * जितनी हम दूसरों की भलाई करते हैं, उतना ही हमारा ह़दय शुद्ध होता है और उसमें ईश्वर निवास करता है। - विवेकानन्द | ||
* संतोष का वृक्ष कड़वा है, लेकिन इस पर लगने वाला फल मीठा होता है। - स्वामी शिवानन्द | * संतोष का वृक्ष कड़वा है, लेकिन इस पर लगने वाला फल मीठा होता है। - स्वामी शिवानन्द | ||
* अच्छे कार्य करने के लिये किसी शुभ, अवसर की राह मत देखो, बल्कि छोटे- छोटे अवसरों से ही लाभ उठाओ......। - रिशर | * अच्छे कार्य करने के लिये किसी शुभ, अवसर की राह मत देखो, बल्कि छोटे- छोटे अवसरों से ही लाभ उठाओ......। - रिशर | ||
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* कठिनाईयां भगवान का संदेश होती हैं, उनका सामना करते समय हमें भगवान के विश्वास के रूप में, भगवान से अभिनंदन के रूप में उनका सम्मान करना चाहिये । - हेनरी वार्ड बीचर | * कठिनाईयां भगवान का संदेश होती हैं, उनका सामना करते समय हमें भगवान के विश्वास के रूप में, भगवान से अभिनंदन के रूप में उनका सम्मान करना चाहिये । - हेनरी वार्ड बीचर | ||
* आलस्य मृत्यु के समान है, और केवल उद्यम ही आपका जीवन है । - स्वामी रामतीर्थ | * आलस्य मृत्यु के समान है, और केवल उद्यम ही आपका जीवन है । - स्वामी रामतीर्थ | ||
* प्रेम करने वाला व्यक्ति कभी भी उद्दंड, अत्याचारी और स्वार्थी नहीं होता। - महात्मा गांधी | |||
* अवसर आने पर मनुष्य यदि कौड़ी (दाम) देने में चूक जाये जो तो फिर लाख रूपया देने से क्या होता है ? द्वितीया के चंद्रमा को न देखा जाए फिर पक्ष भर चंद्रमा उदय रहे, उससे क्या होगा? - तुलसीदास | |||
* ज्ञान बढ़ने के साथ ही अहंकार घटना चाहिए, और नम्रता में वृद्धि होनी चाहिए!!! - हंसराज सुज्ञ | |||
* जो वर्तमान में कमाया हुआ धन जोड़ता नहीं, उसे भविष्य में पछताना पड़ता है। - चाणक्य | |||
* छोटी-छोटी बातों का आनंद उठाइए क्योंकि हो सकता है कि किसी दिन आप मुड़ कर देखें तो आपको अनुभव हो कि ये तो बड़ी बातें थीं - राबर्ट ब्राइट | |||
* जीवन की दुर्घटनाओं में अक्सर बड़े महत्व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं!!! - प्रेमचंद | |||
* कर्म को सचेत होकर और सोच समझकर विवेक द्वारा करना चाहिए अन्यथा हानि होती है!!! - महात्मा गांधी | |||
* हिंदी हमारी मातृभाषा है, हमारा गर्व है क्या करें - दूर के ढोल सुहाने लगते हैं और उस ढोल पर चाल (स्टाइल) बदल जाती है!!! - रश्मि प्रभा | |||
* तर्क से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, मूर्ख लोग तर्क करते हैं, जबकि बुद्धिमान विचार करते हैं। - श्री परमहंस योगानंद | |||
* कोई तुम्हारे काँधे पर हाथ रखता है तो तुम्हारा हौसला बढ़ता है पर जब किसी का हाथ काँधे पर नहीं होता तुम अपनी शक्ति खुद बन जाते हो और वही शक्ति ईश्वर है!!!! - रश्मि प्रभा | |||
* विनयहीन ज्ञानी वस्तुत: ज्ञानी ही नहीं है!!! - हंसराज सुज्ञ | |||
* वाणी मधुर हो तो सब कुछ वश में हो जाता है, अन्यथा सब शत्रु बन जाते हैं। - शेख सादी | |||
* केवल ज्ञान की कथनी से क्या होता है, आचरण में, स्थिरता नहीं है, जैसे कागज का महल देखते ही गिर पड़ता है, वैसे आचरण रहित मनुष्य शीघ्र पतित होता है। - कबीर | |||
* लोभी को धन से, अभिमानी को विनम्रता से, मूर्ख को मनोरथ पूरा कर के और पंडित को सच बोलकर वश में किया जाता है। - हितोपदेश | |||
* जिस तरह फूल पौधों के उचित विकास के लिए समय समय पर काट छांट ज़रूरी है ठीक उसी तरह बच्चों को उचित बात सिखाने के लिए समय समय पर डांट ज़रूरी है!!!! - रश्मि प्रभा | |||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते - भगवान बुद्ध | |||
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। - प्रेमचंद | |||
* विनय धर्म का मूल है अत: विनय आने पर, अन्य गुणों की सहज ही प्राप्ति हो जाती है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* यह मत मानिए की जीत ही सब कुछ है अधिक महत्व इस बात का है कि आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हों, यदि आप किसी आदर्श पर डट नहीं सकते तो जीतेंगे क्या? - लेन कर्कलैंड | |||
* तुम स्वतंत्र होना चाहते तो हो पर स्वतंत्रता देना नहीं चाहते!!! - रश्मि प्रभा | |||
* देह शुद्धि से अधिक, विचारों की शुद्धि आवश्यक है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* वही पुत्र है जो पितृभक्त है, वही पिता है जो ठीक से पालन करता है, वही मित्र है जिस पर भरोसा किया जा सके और वही देश है जहां जीविका हो। - चाणक्य | |||
* जीवन का रहस्य भोग में स्थित नहीं है, यह केवल अनुभव द्वारा निरंतर सीखने से ही प्राप्त होता है। - विवेकानन्द | |||
* यदि कोई हमारा एक बार अपमान करे,हम दुबारा उसकी शरण में नहीं जाते। और यह मान (ईगो) प्रलोभन हमारा बार बार अपमान करवाता है। हम अभिमान का आश्रय त्याग क्यों नहीं देते? - हंसराज सुज्ञ | |||
* निरंतर सफलता हमें संसार का केवल एक ही पहलू दिखाती है, विपत्ति हमें तस्वीर का दूसरा पहलू भी दिखाती है। - कोल्टन | |||
* जीवन में दो मूल विकल्प होते हैं, स्थितियों को उसी रूप में स्वीकार करना जैसी वे हैं या उन्हें, बदलने का उत्तरदायित्व स्वीकार करना। - डेनिस वेटले | |||
* यदि कोई एक बार हमारे साथ धोखा करे हम उससे मुँह मोड़ लेते है। और हमारा यह लोभ हमें बार बार धोखा देता है, हम अपने लोभ का मुख नोच क्यों नहीं लेते? - हंसराज सुज्ञ | |||
* आप कुछ देखते हैं तो कहते हैं 'क्यों' लेकिन मैं असंभव से सपने देखता हूं और कहता हूं 'क्यों नहीं' - जॉर्ज बर्नाड शॉ | |||
* जीवन एक कहानी है, महत्व इस बात का नहीं, यह कहानी कितनी लम्बी है, महत्व इस बात का है, कि कहानी कितनी सार्थक है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* यह सच है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहने वाले नहीं, मगर किनारे पर खड़े रहने वाले कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभ भाई पटेल | |||
* शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के सन्दर्भ में आंसू का है। - अज्ञात | |||
* दूसरों के दोष देखने और ढूंढने की तीव्रेच्छा, इतनी गाढ़ हो जाती है कि अपने दोष देखने का वक्त ही नहीं मिलता - हंसराज सुज्ञ | |||
* प्रकृति का तमाशा भी खूब है, सृजन में समय लगता है जबकि विनाश कुछ ही पलों में हो जाता है। - जकिया जुबैरी | |||
* बेहतर जिंदगी का रास्ता बेहतर किताबों से होकर जाता है।। - शिल्पायन | |||
* सच्चा सुधारक वही है जो पहले अपना सुधार करता है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* अच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं। - प्रेमचंद | |||
* पतन का मार्ग ढलान का मार्ग है, ढलान में ही हमें रूकना सम्हलना होता है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* लिखना तब काफी आसान हो जाता है, यदि आपके पास कहने के लिये बहुत कुछ हो। - शोलम आस्च | |||
* अच्छी किताब एक जादुई कालीन की तरह है, जो आहिस्ते से हमें उस दुनिया की सैर कराती है जहां दूसरी किसी चीज के जरिए प्रवेश संभव नहीं है। - कैरोलीन गार्डोन | |||
* परिस्थिति प्रतिकूल देखकर अपना अच्छा भला स्वभाव बदल देना तो स्वेच्छा बरबाद हो जाने के समान है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* किताबें समय के महासागर में, जलदीप की तरह रास्ता दिखाती हैं - अज्ञात | |||
* उत्तम वस्तु को पचाने की क्षमता भी उत्तम चाहिए। - हंसराज सुज्ञ | |||
* बीता कल आज की याद है, और आने वाला कल आज का स्वप्न। - खलील जिब्रान | |||
* खेत और बीज उत्तम हो तो भी, किसानों के बोने में मुट्ठी के अंतर से बीज कहीं ज्यादा कहीं कम पड़ते हैं, इसी प्रकार शिष्य उत्तम होने पर भी गुरूओं की भिन्न-भिन्न शैली होने पर भी शिष्यों को कम ज्ञान हुआ तो इसमें शिष्यों का क्या दोष। - संत कबीर | |||
* जो समय गया सो गया, उसके लिए पश्चाताप करने की अपेक्षा वर्तमान को सार्थक करने की जरूरत है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* अगर सफलता का कोई राज है तो वह दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और चीजों को उसके दृष्टिकोण जितने अच्छे से देख पाने की क्षमता में निहित है। - हेनरी फोर्ड | |||
* प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें - डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर" | |||
* साधारण मानव परिवेश अनुसार ढलता है, असाधारण मानव परिवेश को ही ढालता है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* प्रसिद्ध होने का यह एक दंड है कि मनुष्य को निरंतर उन्नतिशील बने रहना पड़ता है। - अज्ञात | |||
* दूसरों का दिल जीतने के लिए फटकार नहीं मधुर व्यवहार चाहिए। - हंसराज सुज्ञ | |||
* विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है. बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार असंभव हो जाता है. लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है. धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है - डा.राजेंद्र तेला," निरंतर '' | |||
* अपने देश की भाषा और संस्कृति के समुचित ज्ञान के बिना देशप्रेम की बातें करने वाले केवल स्वार्थी होते हैं। - मुक्ता | |||
* मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है. क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते. नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे. अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी - राजेंद्र तेला | |||
* यदि हमारे विचार सकारात्मक होंगे तो सब कुछ सकारात्मक हो जायेगा। - हंसराज सुज्ञ | |||
* समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला | |||
* चतुराई और चालबाजी दो चीजें हैं, एक में ईश्वर की प्रेरणा होती है और दूसरा हमारी फितरत से पैदा होता है - सुमन सिन्हा | |||
* शब्दों से सबसे ज्यादा भय उन्हें लगना चाहिए जो उनका भार नहीं पहचानते हैं, लेखक, कवि और वे जिनके लिए शब्द ही यथार्थ हैं। - अन्ना कामीएन्स्का | |||
* सपने पूरे होंगे लेकिन आप सपने देखना शुरू तो करें - अब्दुल कलाम | |||
* अच्छे विचार और अच्छी सोच से आचरण भी अच्छा बनता है। - हंसराज सुज्ञ | |||
* जहाँ सारे तर्क ख़त्म हो जाते हैं, वहाँ से आध्यात्म शुरू होता है। - रश्मि प्रभा | |||
* पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। - स्वामी विवेकानन्द | |||
* सम्बोधन अच्छे होंगे तभी सम्बंध अच्छे बनेंगे। - हंसराज सुज्ञ | |||
* विश्व एक सुन्दर पुस्तक के समान शिक्षापूर्ण है, किन्तु उसके लिए इसका रंच-मात्र भी उपयोग नहीं जो इसको पढ़ नहीं सकता। - गोल्डोनी | |||
* आदमी को अज्ञान में रखना संभव है लेकिन उसे अज्ञानी नहीं बनाया जा सकता। - टामस पेन | |||
* पिता की सेवा करना जिस प्रकार कल्याणकारी माना गया है वैसा प्रबल साधन न सत्य है न दान है और न यज्ञ है। - वाल्मीकि | |||
* आंतरिक सौन्दर्य का आह्वान करना कठिन काम है, सौन्दर्य की अपनी भाषा होती है, ऐसी भाषा जिसमें न शब्द होते हैं न आवाज।। - अज्ञात | |||
* अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि, एक दीपक जलाया जाए।। - उपनिषद | |||
* बैर के कारण उत्पन्न होने वाली आग एक पक्ष को स्वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती। - वेदव्यास | |||
* जो अपने को बुद्धिमान समझता है, सामान्यत: सबसे बड़ा मूर्ख होता है।। - सुदर्शन | |||
* अगर मनुष्य कुछ सीखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ न कुछ शिक्षा जरूर दे सकती है। - डकेन्स | |||
* वह लेखक सबसे अच्छा लिखता है जो अपने पाठकों का सबसे कम समय लेकर उन्हें सबसे अधिक ज्ञान देता है। - सिडनी स्मिथ | |||
* जो बीत गया है, उसकी परवाह न करें, जो आने वाला है उसके सपने न देखें, अपना ध्यान वर्तमान पर लगाएं। - महात्मा बुद्ध | |||
* बुद्धि का अर्जन हम तीन तरीकों से कर सकते हैं, पहला चिंतन से, जो कि उत्तम है, दूसरा, दूसरों से सीखकर जो सबसे आसान है और तीसरा, अनुभव से, जो सबसे कठिन है। - कन्फ्यूशियस | |||
* ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है, व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं। - हितोपदेश | |||
* मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं क्योंकि ये हमारे मित्रों के रूप में नहीं शत्रुओं के रूप में आते हैं। - भगवतीचरण वर्मा | |||
* यदि तुम्हें अपने चुने हुए रास्ते पर विश्वास है, यदि इस पर चलने का साहस है, यदि इसकी कठिनाईयों को जीत लेने की शक्ति है, तो रास्ता तुम्हारा अनुगमन करता है। - धीरूभाई अंबानी | |||
* श्रेष्ठतम मार्ग खोजने की प्रतीक्षा के बजाय हम गलत रास्ते से बचते रहें और बेहतर रास्ते को अपनाते रहें!! - जवाहर लाल नेहरू | |||
* जो व्यक्ति इंसान की बनाई मूर्ति की पूजा करता है, लेकिन भगवान की बनाई मूर्ति (इंसान) से नफरत करता है, वह भगवान को कभी प्रिय नहीं हो सकता। - स्वामी ज्योतिनंद | |||
* ईश्वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्त होता है।। - गोस्वामी तुलसीदास | |||
* एक शब्द और लगभग सही शब्द में ठीक उतना ही अंतर है जितना कि रोशनी और जुगनू में। - मार्क ट्वेन | |||
* सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सर में, बिच्छूं की पूंछ में, किन्तु दुर्जनों के पूरे शरीर में विष रहता है।। - अज्ञात | |||
* सफल होने के लिये असफलता आवश्यक है, ताकि आपको यह पता चल सके कि अगली बार क्या नहीं करना है। - एंथनी जे. डिएंजेलो | |||
* फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति रहकर भी सज्जन झुक जाते हैं, परोपकारी का यही स्वभाव होता है। - अज्ञात | |||
* समझौता एक अच्छा छाता भले बन सकता है लेकिन अच्छी छत नहीं। - अज्ञात | |||
* किसी के गुणों की प्रशंसा करने में, अपना समय मत बरबाद मत करो, उसके गुणों को अपनाने का प्रयास करो। - कार्ल मार्क्स | |||
* बिना ग्रंथ के ईश्वर मौन है, न्याय निद्रित है, विज्ञान स्तब्ध है और सभी वस्तुएं पूर्ण अंधकार में हैं।। - मुक्ता | |||
* हंसमुख व्यक्ति वह फुहार है, जिसके छींटे सबके मन को ठंडा करते हैं।। - अज्ञात | |||
* आशावादी व्यक्ति हर आपदा में एक अवसर देखता है, निराशावादी व्यक्ति हर अवसर में एक आपदा देखता है। - विन्सटन चर्चिल | |||
* सपना वो नहीं जो नींद में आए, सपने वे हैं जिसे पूरा किए बिना नींद न आए। - अज्ञात | |||
* जब हर मनुष्य अपने आप पर व एक - दूसरे पर विश्वास करने लगेगा, आस्थावान बन जाएगा तो यह धरती ही स्वर्ग बन जाएगी।। - स्वामी विवेकानन्द | |||
* ज्ञान की बातें सुनकर जो उन पर अमल करता है उसी के हृदय में ज्ञान की ज्योति प्रकट होती है। - अबू उस्मान | |||
* आशा अमर है, उसकी आराधना कभी निष्फल नही होती!! - महात्मा गांधी | |||
* अच्छे कार्यों को सोचते ही न रहिए, उन्हें सारे दिन कीजिए ताकि जीवन एक भव्य मधुर गीत बन जाए।। - चार्ल्स किंग्सले | |||
* वह आदमी वास्तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता।। - शेख सादी | |||
* प्रसिद्ध होने का यह एक दण्ड है कि मनुष्य को निरंतर उन्नतिशील बने रहना पड़ता है।। - अज्ञात | |||
* श्रद्धा का अर्थ अंधविश्वास नहीं है। किसी ग्रंथ में कुछ लिखा हुआ या किसी व्यक्ति का कुछ कहा हुआ अपने अनुभव बिना सच मानना श्रद्धा नहीं है। - स्वामी विवेकानन्द | |||
* ज्ञान की बातें सुनकर जो उन पर अमल करता है, उसी के हृदय में ज्ञान की ज्योति प्रकट होती है।। - अबू उसमान | |||
* अकेलापन कई बार अपने आप से सार्थक बातें करता है, वैसी सार्थकता भीड़ में या भीड़ के चिंतन में नहीं मिलती। - महात्मा गांधी | |||
* असंभव और संभव के बीच में अंतर व्यक्ति के दृढ़ निश्चय पर निर्भर करता है।। - टॉर्मी लासोर्डा | |||
* जब तक आप न चाहें तब तक आपको, कोई भी ईर्ष्यालु, क्रोधी प्रतिशोधी या लालची नहीं बना सकता।। - नेपोलियन हिल | |||
* सच्चा पड़ोसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ, उसी मकान में रहता है, बल्िक वह है जो तुम्हारे साथ उसी विचार स्तर पर रहता है। - स्वामी रामतीर्थ | |||
* धन तो वापस किया जा सकता है परन्तु सहानुभूति के शब्द वे ऋण हैं जिसे चुकाना मनुष्य की शक्ति के बाहर है। - सुदर्शन | |||
* अवसर तो सभी को जिन्दगी में मिलते हैं, किंतु उनका सही वक्त पर सही तरीके से इस्तेमाल कुछ ही कर पाते हैं। - श्रीराम शर्मा | |||
* प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नई कोंपले फूटते रहना, नई कल्पना, नया उत्साह, नई खोज और नई स्फूर्ति प्रतिभा के लक्षण हैं। - विनोबा | |||
* कलियुग में रहना है या सतयुग में, यह तुम स्वयं चुनो तुम्हारा युग तुम्हारे पास है। - विनोबा | |||
* यशस्वियों का कर्तव्य है कि जो अपने से होड़ करे उससे अपने यश की रक्षा भी करें। - कालिदास | |||
* बच्चे कोरे कपड़े की तरह होते हैं, जैसा चाहो वैसा रंग लो उन्हें निश्चित रंग में केवल डुबो देना पर्याप्त है। - सत्यसाईं बाबा | |||
* हताश न होना सफलता का मूल है और, यही परम सुख है, उत्साह मनुष्य को कर्मों के लिये प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनाता है। - वाल्मीकि | |||
* वृक्ष अपने सिर पर गरमी सहता है पर अपनी, छाया में दूसरों का ताप दूर करता है। - तुलसीदास | |||
* आप हमेशा परिस्थितियों को नियंत्रित, नहीं कर सकते, लेकिन आप खुद को जरूर नियंत्रित कर सकते हैं। - एंथनी रोबिन्स | |||
* झूठ सबसे बड़ा पाप है, झूठ की थैली में अन्य सभी पाप समा सकते हैं, झूठ को छोड़ दो तो तुम्हारे अन्य पाप कर्म धीरे-धीरे स्वत: ही छूट जाएंगे। - गौतम बुद्ध | |||
* उदय होते समय सूर्य लाल होता है, और अस्त होते समय भी, इसी प्रकार सम्पत्ति और विपत्ति के समय महान पुरूषों में एकरूपता होती है। - कालिदास | |||
* पृथ्वी पर तीन रत्न हैं। जल, अन्न और सुभाषित लेकिन अज्ञानी पत्थर के टुकड़े को ही रत्न कहते हैं। - कालिदास | |||
* गलत को गलत कहना हमें आसान नहीं लगता, सही इतना कमजोर होता है इतना अकेला कि, उसके खिलाफ ही जंग का ऐलान आसान लगता है। - रश्मि प्रभा | |||
* जिस काम की तुम कल्पना करते हो, उसमें जुट जाओ, साहस में प्रतिभा, शक्ति और जादू है, साहस से काम शुरू करो पूरा अवश्य होगा। - अज्ञात | |||
* धन उत्तम कर्मों से उत्पन्न होता है, साहस, योग्यता व दृढ़ निश्चय से बढ़ता है, चतुराई से फलता फूलता है और संयम से सुरक्षित होता है। - विदुर | |||
* पराजय से सत्याग्रही को निराशा नहीं होती, बल्कि कार्यक्षमता और लगन बढ़ती है। - महात्मा गांधी | |||
* दूसरों पर किये गये व्यंग्य पर हम, हंसते हैं पर अपने ऊपर किये गये व्यंग्य पर रोना तक भूल जाते हैं। - रामचन्द्र शुक्ल | |||
* आलसी की कोई भी अच्छी इच्छा, कभी पूर्ण नहीं हुई। - सर्वेन्टीज | |||
* आप ईश्वर में तब तक विश्वास नहीं, कर पाएंगे जब तक आप अपने आप में विश्वास नहीं करते। - स्वामी विवेकानन्द | |||
* सफलता की खुशियां मनाना ठीक है, लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है। - बिल गेट्स | |||
* हमारे व्यक्तित्व की उत्पत्ति हमारे विचारों में है, इसलिए ध्यान रखें कि आप क्या विचारते हैं, शब्द गौण हैं, विचार मुख्य हैं और उनका, असर दूर तक होता है। - स्वामी विवेकानन्द | |||
* प्रेम एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी स्वयं की खुशी के लिये दूसरे व्यक्ति की खुशी अनिवार्य होती है। - राबर्ट हेन्लेन | |||
* प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, परन्तु उससे लाभ उठाने के लिये अनुभव आवश्यक है। - हरिऔध | |||
* जीवन ताश के खेल के समान है, आप को जो पत्ते मिलते हैं वह नियति है, आप कैसे खेलते हैं वह आपकी स्वेच्छा है। - पं. जवाहर लाल नेहरू | |||
* जिसने अकेले रहकर अकेलेपन को जीता उसने सब कुछ जीता। - विवेकानन्द | |||
* जिस मनुष्य में आत्मविश्वास नहीं है, वह शक्तिमान होकर भी कायर है और पंडित होकर भी मूर्ख है। - रामप्रताप | |||
* वही काम करना ठीक है, जिसे करने के बाद पछताना न पड़े और जिसके फल को प्रसन्न मन से भोग सकें। - गौतम बुद्ध | |||
* जब तक व्यक्ति असत्य को ही सत्य समझता रहता है, तब तक उसके मन में सत्य को जानने की जिज्ञासा उत्पन्न नहीं होती है। - पं. श्रीराम शर्मा | |||
* जब भगवान आपकी समस्याएं हल करते हैं, तब आपको उन पर विश्वास रहता है और जब, भगवान आपकी समस्याएं हल नहीं करते तब, उन्हें आप पर विश्वास रहता है। - अज्ञात | |||
14:29, 4 अक्टूबर 2011 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, अनमोल वचन 5, अनमोल वचन 6, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अनमोल वचन |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ