"मिलन": अवतरणों में अंतर
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09:40, 6 अक्टूबर 2011 का अवतरण
हिंदी साहित्य के साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी कृत मिलन खण्डकाव्य सन 1917 ई. में प्रकाशित हुई।
- 1953 तक हिंदी मंदिर, प्रयाग से इसके नौ संस्करण निकल चुके थे।
- मिलन एक प्रेमाख्यानक खंडकाव्य है, जिसमें कवि द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म कथातंतु के माध्यम से दाम्पत्य जीवन, प्रकृति तथा देश भक्ति की भावनाओं का बड़ा सरस वर्णन किया गया है।
- इसकी भाषा सरस, प्रवाहपूर्ण खड़ीबोली है तथा कविता की दृष्टि से इसमें स्वच्छंदतावादी प्रवृत्तियों का समावेश हुआ है।
- खड़ीबोली के काव्यात्मक विकास के लिए रामनरेश त्रिपाठी की यह प्रारम्भिक कृति अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 446।