"पथिक (खण्डकाव्य) -रामनरेश त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर

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*[[हिन्दी]] के साहित्यकार [[रामनरेश त्रिपाठी]] के प्रेमाख्यानक खण्डकाव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से 'पथिक' उनकी दूसरी कृति है।
'''पथिक''' [[भारत]] के प्रसिद्ध साहित्यकार [[रामनरेश त्रिपाठी]] द्वारा रचित [[खण्ड काव्य]] है। प्रसिद्ध [[हिन्दी]] साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी के प्रेमाख्यानक खण्ड काव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से 'पथिक' उनकी महत्त्वपूर्ण दूसरी कृति है।
*यह 1920 ई. में प्रकाशित हुई थी।
*पथिक की लोकप्रियता का कुछ अनुमान इस बात से किया जा सकता है कि 1954 ई. तक हिन्दी मन्दिर, प्रयाग से इसके इकतीस (31) संस्करण निकल चुके थे।
*इस आख्यानक कृति का कथानक सूक्ष्म और मौलिक है।
*कालांतर में परिस्थितियोंवश उसकी यह प्रेम भावना प्रकृति के प्रांगण से गुजराती हुई स्वराष्ट्र-प्रेम की ओर उन्मुख हो जाती है।
*मनोरम प्रकृति-चित्रण तथा राष्ट्र-प्रेम की उदात्त भावनाओं का समावेश इस [[खण्ड काव्य]] की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।
*पथिक की [[भाषा]] सधी - मँजी [[खड़ीबोली]] है।


*रामनरेश त्रिपाठी की यह रचना [[वर्ष]] [[1920]] ई. में प्रकाशित हुई थी।
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*मनोरम प्रकृति-चित्रण तथा राष्ट्र-प्रेम की उदात्त भावनाओं का समावेश इस [[खण्ड काव्य]] की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।
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07:25, 9 अप्रैल 2013 का अवतरण

पथिक भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित खण्ड काव्य है। प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी के प्रेमाख्यानक खण्ड काव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से 'पथिक' उनकी महत्त्वपूर्ण दूसरी कृति है।

  • रामनरेश त्रिपाठी की यह रचना वर्ष 1920 ई. में प्रकाशित हुई थी।
  • 'पथिक' की लोकप्रियता का कुछ अनुमान इस बात से भी किया जा सकता है कि 1954 ई. तक 'हिन्दी मन्दिर', प्रयाग से इसके 31 संस्करण निकल चुके थे।
  • इस आख्यानक कृति का कथानक सूक्ष्म और मौलिक है।
  • कालांतर में परिस्थितियोंवश उसकी यह प्रेम भावना प्रकृति के प्रांगण से गुजराती हुई स्वराष्ट्र-प्रेम की ओर उन्मुख हो जाती है।
  • मनोरम प्रकृति-चित्रण तथा राष्ट्र-प्रेम की उदात्त भावनाओं का समावेश इस खण्ड काव्य की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।
  • 'पथिक' की भाषा सधी-मँजी खड़ीबोली है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 312।

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