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'''बरुआ''' [[आसाम]] के [[अहोम]] राजाओं के पदाधिकारी को कहा जाता था। उनका स्थान फूकन के बाद होता था। मूलरूप में ऐसे लगभग बीस अधिकारी होते थे, जो उच्च अहोम परिवारों से चुने जाते थे। वे प्रशासन के विभिन्न विभागों के प्रधान होते थे। बाद में अहोमों से इतर प्रजा से भी इनकी नियुक्ति होने लगी। कालान्तर में धर्म अथवा जाति का ध्यान किये बिना इस पद पर आसीन सभी व्यक्तियों को 'बरुआ' कहा जाने लगा। यह पदनाम उन सभी लोगों ने ग्रहण कर लिया, जिनके पूर्वज कभी इस पद पर रहे थे। आसाम के कुछ [[मुसलमान]] परिवारों की भी उपाधि 'बरुआ' है।
'''बरुआ''' [[आसाम]] के [[अहोम]] राजाओं के पदाधिकारियों को कहा जाता था। उनका स्थान फूकन के बाद होता था, जो राज्य के उच्च अधिकारी होते थे।
 
*मूलरूप में ऐसे लगभग बीस अधिकारी होते थे, जो उच्च अहोम परिवारों से चुने जाते थे।
*बरुआ प्रशासन के विभिन्न विभागों के प्रधान होते थे, लेकिन बाद में अहोमों से इतर प्रजा से भी इनकी नियुक्ति होने लगी।
*कालान्तर में [[धर्म]] अथवा जाति का ध्यान किये बिना इस पद पर आसीन सभी व्यक्तियों को 'बरुआ' कहा जाने लगा।
*यह पदनाम उन सभी लोगों ने ग्रहण कर लिया, जिनके पूर्वज कभी इस पद पर रहे थे।
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10:25, 22 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

बरुआ आसाम के अहोम राजाओं के पदाधिकारियों को कहा जाता था। उनका स्थान फूकन के बाद होता था, जो राज्य के उच्च अधिकारी होते थे।

  • मूलरूप में ऐसे लगभग बीस अधिकारी होते थे, जो उच्च अहोम परिवारों से चुने जाते थे।
  • बरुआ प्रशासन के विभिन्न विभागों के प्रधान होते थे, लेकिन बाद में अहोमों से इतर प्रजा से भी इनकी नियुक्ति होने लगी।
  • कालान्तर में धर्म अथवा जाति का ध्यान किये बिना इस पद पर आसीन सभी व्यक्तियों को 'बरुआ' कहा जाने लगा।
  • यह पदनाम उन सभी लोगों ने ग्रहण कर लिया, जिनके पूर्वज कभी इस पद पर रहे थे।
  • आसाम के कुछ मुसलमान परिवारों की भी उपाधि 'बरुआ' थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 273 |


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