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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{[[हिन्दी साहित्य]] इतिहास के सर्वप्रथम लेखक का नाम क्या है? | {[[हिन्दी साहित्य]] के इतिहास के सर्वप्रथम लेखक का नाम क्या है? | ||
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-[[ | -[[जॉर्ज ग्रियर्सन]] | ||
-शिवसिंह सेंगर | -शिवसिंह सेंगर | ||
-[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | -[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
+गार्सा द तासी | +गार्सा द तासी | ||
{'प्रेमसागर' के लेखक कौन हैं। | {'प्रेमसागर' के लेखक कौन हैं। | ||
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-[[इंशा अल्ला खाँ]] | -[[इंशा अल्ला खाँ]] | ||
-[[मुंशी प्रेमचन्द]] | -[[मुंशी प्रेमचन्द]] | ||
+[[लल्लू लालजी|लल्लू लाल]] | +[[लल्लू लालजी|लल्लू लाल]] | ||
-मुंशीं सदासुख लाल | -मुंशीं सदासुख लाल | ||
||साहित्यकार के रूप में लल्लूजी किस पायदान पर हैं, इसका मूल्यांकन करना तो आलोचकों का काम है, लेकिन यह सब मानते हैं कि [[हिन्दी]] के विकास में उनका योगदान है। 1804 से 1810 के बीच लिखी गई कृति 'प्रेमसागर' [[कृष्ण]] की लीलाओं व [[भागवत पुराण]] के दसवें अध्याय पर आधारित थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लल्लू लालजी|लल्लू लाल]] | ||साहित्यकार के रूप में [[लल्लू लालजी|लल्लूजी]] किस पायदान पर हैं, इसका मूल्यांकन करना तो आलोचकों का काम है, लेकिन यह सब मानते हैं कि [[हिन्दी]] के विकास में उनका योगदान है। 1804 ई. से 1810 ई. के बीच लिखी गई उनकी कृति 'प्रेमसागर' [[कृष्ण]] की लीलाओं व [[भागवत पुराण]] के दसवें अध्याय पर आधारित थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लल्लू लालजी|लल्लू लाल]] | ||
{'चरण-कमल बन्दौ हरि राई' में कौन-सा [[अलंकार]] है? | |||
{चरण-कमल बन्दौ हरि राई में कौन-सा [[अलंकार]] है? | |||
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-[[श्लेष अलंकार]] | -[[श्लेष अलंकार]] | ||
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-[[अतिशयोक्ति अलंकार]] | -[[अतिशयोक्ति अलंकार]] | ||
{जिन शब्दों के अंत में 'अ' आता है, उन्हें क्या कहते हैं? | {जिन शब्दों के अंत में 'अ' आता है, उन्हें क्या कहते हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अनुस्वार | -अनुस्वार | ||
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+अकारांत | +अकारांत | ||
{[[ | {[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] की कविता 'जूही की कली' किसका उदाहरण है? | ||
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-वर्णिक छंद का | -वर्णिक छंद का | ||
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-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{[[वल्लभाचार्य]] किस सम्प्रदाय के संस्थापक | {[[वल्लभाचार्य]] किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अद्वैत | -अद्वैत | ||
+शुद्धाद्वैत | +[[शुद्धाद्वैतवाद|शुद्धाद्वैत]] | ||
-द्वैताद्वैत | -द्वैताद्वैत | ||
-विशिष्टाद्वैत | -विशिष्टाद्वैत | ||
||वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया, कि जो [[भक्त]] साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शुद्धाद्वैतवाद]] | |||
{निम्न में से किस पुस्तक में भ्रमरगीत का प्रसंग है? | {निम्न में से किस पुस्तक में 'भ्रमरगीत' का प्रसंग है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रामचरितमानस]] | -[[रामचरितमानस]] | ||
-[[विनय पत्रिका]] | -[[विनय पत्रिका]] | ||
+[[सूरसागर]] | +[[सूरसागर]] | ||
-[[पद्मावत]] | -[[पद्मावत]] | ||
||[[चित्र:Surdas.jpg|सूरदास|100px|right]]सूरसागर [[सूरदास]] जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग '[[कृष्ण]] की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरसागर]] | ||[[चित्र:Surdas.jpg|सूरदास|100px|right]]'सूरसागर'[[सूरदास]] जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें [[भक्ति]] की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग '[[कृष्ण]] की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरसागर]] | ||
{'गागर में सागर' मुहावरे का अर्थ क्या है? | {'गागर में सागर' मुहावरे का अर्थ क्या है? | ||
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-रिक्शा | -रिक्शा | ||
-कमरा | -कमरा | ||
+कैंची | +कैंची | ||
{2007 ई.का आठवां विश्व | {2007 ई. का आठवां 'विश्व हिन्दी सम्मेलन' कहाँ आयोजित हुआ था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[दिल्ली]] | -[[दिल्ली]] | ||
-[[लंदन]] | -[[लंदन]] | ||
- | -मॉरिशम | ||
+ | +न्यूयॉर्क | ||
{हिन्दी गद्य | {[[हिन्दी]] के गद्य विकाश के लिए आरंभिक प्रयास करने वाली संस्था का नाम क्या है? | ||
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+ | +फ़ोर्ट विलियम कॉलेज, कोलकाता | ||
-नागरी प्रचारिणी सभा, काशी | -[[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]] | ||
-हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग | -हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग | ||
-दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई | -दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई | ||
{चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती है? | {चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती है? | ||
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-तेरह | -तेरह | ||
-सत्रह | -सत्रह | ||
-चौदह | -चौदह | ||
+सोलह | +सोलह | ||
{[[अपभ्रंश]] शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? | {[[अपभ्रंश]] शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? | ||
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- | -भरत | ||
+[[पतंजलि]] | +[[पतंजलि]] | ||
-[[राजशेखर]] | -[[राजशेखर]] | ||
-भामह | -भामह | ||
{[[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] के अनुसार [[हिन्दी]] नयी चाल में कब ढली? | {[[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] के अनुसार [[हिन्दी]] नयी चाल में कब ढली? | ||
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-1880 | -1880 ई. | ||
-1857 | -1857 ई. | ||
+1873 | +1873 ई. | ||
-1860 | -1860 ई. | ||
{'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है? | {'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है? | ||
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-आदर्शवादी | -आदर्शवादी | ||
{शोभित कर नवनीत लिए घुटरुनि चलत रेनु तन मण्डित मुख दधि लेप किए | {'शोभित कर नवनीत लिए, घुटरुनि चलत रेनु तन मण्डित मुख दधि लेप किए'। इन पंक्तियों में कौन-सा [[रस]] है? | ||
इन पंक्तियों में कौन-सा [[रस]] है? | |||
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-श्रृंगार रस | -श्रृंगार रस | ||
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+वत्सल रस | +वत्सल रस | ||
{रीतिकाल का वह कौन-सा कवि है, जो अपनी मात्र एक कृति से [[हिन्दी साहित्य]] में अमर हो गया? | {रीतिकाल का वह कौन-सा कवि है, जो अपनी मात्र एक कृति से [[हिन्दी साहित्य]] में अमर हो गया? | ||
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-[[रहीम]] | -[[रहीम]] | ||
-[[मतिराम]] | -[[मतिराम]] | ||
+[[बिहारी]] | +[[बिहारी]] | ||
-[[देव]] | -[[देव]] | ||
||[[चित्र:Bihari-Lal.jpg|बिहारी|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के | ||[[चित्र:Bihari-Lal.jpg|बिहारी|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के रीतिकाल के कवियों में [[बिहारीलाल]] का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके [[पिता]] का नाम केशवराय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहारी]] | ||
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07:54, 29 अक्टूबर 2011 का अवतरण
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