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'''आर''' स्थान से एक [[अभिलेख]] प्राप्त हुआ था जिससे सूचित होता है कि [[शकसंवत]] 41 या 118 ई. में इस स्थान पर [[कनिष्क द्वितीय]] का राज था।<ref>यह अभिलेख [[लाहौर]] संग्रहालय में है।</ref> इस कनिष्क को प्रोफ़ेसर लूडर्स ने [[कनिष्क|कनिष्क प्रथम]] का पौत्र माना है। अभिलेख में कनिष्क (द्वितीय) की उपाधि कैसरस (कैसर या सीजर) लिखी है। | '''आर''' स्थान से एक [[अभिलेख]] प्राप्त हुआ था जिससे सूचित होता है कि [[शकसंवत]] 41 या 118 ई. में इस स्थान पर [[कनिष्क द्वितीय]] का राज था।<ref>यह अभिलेख [[लाहौर]] संग्रहालय में है।</ref> इस कनिष्क को प्रोफ़ेसर लूडर्स ने [[कनिष्क|कनिष्क प्रथम]] का पौत्र माना है। अभिलेख में कनिष्क (द्वितीय) की उपाधि कैसरस (कैसर या सीजर) लिखी है। | ||
06:39, 12 अप्रैल 2013 का अवतरण
आर स्थान से एक अभिलेख प्राप्त हुआ था जिससे सूचित होता है कि शकसंवत 41 या 118 ई. में इस स्थान पर कनिष्क द्वितीय का राज था।[1] इस कनिष्क को प्रोफ़ेसर लूडर्स ने कनिष्क प्रथम का पौत्र माना है। अभिलेख में कनिष्क (द्वितीय) की उपाधि कैसरस (कैसर या सीजर) लिखी है।