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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{[[हिन्दी]] के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है? | |||
{[[हिन्दी]] के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम है? | |||
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-सम्मेलन पत्रिका | -सम्मेलन पत्रिका | ||
-सरस्वती | -सरस्वती | ||
+उत्तण्ड मार्तण्ड | +उत्तण्ड मार्तण्ड | ||
-नागरी प्रचारिणी पत्रिका | -नागरी प्रचारिणी पत्रिका | ||
{[[भूषण]] किस [[रस]] के [[कवि]] थे? | {[[भूषण]] किस [[रस]] के [[कवि]] थे? | ||
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-[[रौद्र रस]] | -[[रौद्र रस]] | ||
-[[करुण रस]] | -[[करुण रस]] | ||
+[[वीर रस]] | +[[वीर रस]] | ||
-श्रृंगार रस | -श्रृंगार रस | ||
||भक्तिकाल एवं रीतिकाल में परिस्थितियों के परिवर्तन के कारण वीर रस की धारा सूखती-सी प्रतीत होती है। तथापि, [[केशवदास | ||[[भक्तिकाल]] एवं रीतिकाल में परिस्थितियों के परिवर्तन के कारण [[वीर रस]] की धारा सूखती-सी प्रतीत होती है। तथापि, [[केशवदास]] का ‘वीरसिंहदेव चरित’, मान का ‘राजविलास’, [[भूषण]] का ‘शिवराजभूषण’, [[लाल कवि|लाल]] का ‘[[छत्रप्रकाश -लाल कवि|छत्रप्रकाश]]’ इत्यादि [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] में वीर रस का प्रवाह प्रवहमान है। ‘[[रामचरितमानस]]’ यों तो [[शान्त रस]] प्रधान रचना है, तो भी [[राम]]-[[रावण]] युद्ध के प्रसंग में प्रचुर वीर रस की निष्पत्ति हुई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीर रस]] | ||
{'[[निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी|निराला]]' को कैसा [[कवि]] माना जाता है? | {'[[निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी|निराला]]' को कैसा [[कवि]] माना जाता है? | ||
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+कांतिकारी | +कांतिकारी | ||
-पलायनवादी | -पलायनवादी | ||
-भाग्यवादी | -भाग्यवादी | ||
{[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? | {[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? | ||
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-सिनेमा | -सिनेमा | ||
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-[[सेनापति]] को | -[[सेनापति]] को | ||
-[[चिंतामणि त्रिपाठी|चिंतामणि]] को | -[[चिंतामणि त्रिपाठी|चिंतामणि]] को | ||
-[[मतिराम]] को | -[[मतिराम]] को | ||
+[[केशवदास]] को | +[[केशवदास]] को | ||
||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|right]] | ||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|right]][[हिन्दी]] में सर्वप्रथम केशवदास जी ने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। यह ठीक है कि उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें 'कठिन काव्य के प्रेत' कह कर पुकारा जाता है, किंतु उनका महत्त्व बिल्कुल समाप्त नहीं हो जाता। भाव और [[रस]] कवित्व की [[आत्मा]] है। केशव अपने रचना-चमत्कार द्वारा श्रोता और पाठकों को चमत्कृत करने के प्रयास में रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशवदास]] | ||
{[[हिन्दी]] में स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले अक्षर क्या कहलाते हैं? | {[[हिन्दी]] में स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले अक्षर क्या कहलाते हैं? | ||
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-स्वतंत्र ध्वनि | -स्वतंत्र ध्वनि | ||
{[[हिन्दी भाषा]] में वे | {[[हिन्दी भाषा]] में वे ध्वनियाँ कौन सी हैं, जो दूसरी ध्वनियों की सहायता से बोली या लिखी जाती हैं? | ||
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-[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] | -[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] | ||
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-यमगाथा | -यमगाथा | ||
-निबन्ध संग्रह | -निबन्ध संग्रह | ||
+हिन्दी साहित्य का इतिहास | +हिन्दी साहित्य का इतिहास | ||
-कविता के प्रतिमान | -कविता के प्रतिमान | ||
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+उत्साह | +उत्साह | ||
-हास्य | -हास्य | ||
-परिहास | -परिहास | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा पश्च | {निम्नलिखित में से कौन-सा पश्च स्वर है? | ||
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+आ | +आ | ||
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-[[ब्रज भाषा|ब्रज]] | -[[ब्रज भाषा|ब्रज]] | ||
-[[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] | -[[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] | ||
+[[अवधी भाषा|अवधी]] | +[[अवधी भाषा|अवधी]] | ||
-मागधी | -मागधी | ||
||[[भारत]] में [[अवध]] क्षेत्र में बोली जाने वाली [[भाषा]] 'अवधी' कहलाती है, जो [[हिन्दी]] की एक उपभाषा है। अवधी का प्राचीन [[साहित्य]] बड़ा संपन्न है। इसमें भक्तिकाव्य और प्रेमाख्यान काव्य दोनों का विकास हुआ है। भक्तिकाव्य का शिरोमणि [[ग्रंथ]] [[गोस्वामी तुलसीदास]] कृत ‘[[रामचरितमानस]]’ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अवधी भाषा|अवधी]] | |||
{जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ व्यक्त किए हों तो वह कौन-सा [[अलंकार]] होता है? | {जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ व्यक्त किए हों, तो वह कौन-सा [[अलंकार]] होता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रूपक अलंकार|रूपक]] | -[[रूपक अलंकार|रूपक]] | ||
-[[यमक अलंकार|यमक]] | -[[यमक अलंकार|यमक]] | ||
+[[श्लेष अलंकार|श्लेष]] | +[[श्लेष अलंकार|श्लेष]] | ||
-[[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा | -[[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा]] | ||
{आदिकाल में किस [[कवि]] ने अवहट्ट भाषा में रचना की? | {आदिकाल में किस [[कवि]] ने अवहट्ट भाषा में रचना की? | ||
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-[[अमीर खुसरो]] | -[[अमीर खुसरो]] | ||
+अब्दुल रहमान | +अब्दुल रहमान | ||
-कुतुबन | -[[कुतुबन]] | ||
-[[मंझन]] | -[[मंझन]] | ||
{[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है? | {[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय [[महाकाव्य]] का नाम क्या है? | ||
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-[[पद्मावत]] | -[[पद्मावत]] | ||
-[[मधुमालती]] | -[[मधुमालती]] | ||
-[[मृगावती]] | -[[मृगावती]] | ||
+[[रामचरित मानस]] | +[[रामचरित मानस]] | ||
||[[चित्र:Tulsidas-Ramacharitamanasa.jpg|right| | ||[[चित्र:Tulsidas-Ramacharitamanasa.jpg|right|120px|रामचरितमानस]]'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संवत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] ([[वाराणसी]]) में भी निर्मित हुआ था। यह रचना [[अवधी]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य [[छन्द]] [[चौपाई]] और [[दोहा]] हैं,बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरित मानस]] | ||
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07:26, 6 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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