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अरसात सवैया 24 वर्णों का [[छन्द]] 7 भगणों और रगण के योग से बनता है। [[देव (कवि)|देव]] और [[भिखारीदास|दास]] ने इस छन्द का प्रयोग किया है।  
'''अरसात सवैया 24 वर्णों का [[छन्द]]''' 7 भगणों और रगण के योग से बनता है। [[देव (कवि)|देव]] और [[भिखारीदास|दास]] ने इस छन्द का प्रयोग किया है।  
*"राधिका की रसरंग की दीपति, संग सहेली हँसी हहराइकै।" <ref>[[देव (कवि)|देव ]] : शब्द रसायन, पृष्ठ 38, हास्य</ref>  
*"राधिका की रसरंग की दीपति, संग सहेली हँसी हहराइकै।" <ref>[[देव (कवि)|देव ]] : शब्द रसायन, पृष्ठ 38, हास्य</ref>  
*"सात घरीहुँ नहीं बिलगात, लजात ओ बात गुने मुसकात है।"<ref> [[भिखारीदास]] ग्र., पृष्ठ 247</ref>
*"सात घरीहुँ नहीं बिलगात, लजात ओ बात गुने मुसकात है।"<ref> [[भिखारीदास]] ग्र., पृष्ठ 247</ref>

09:16, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण

अरसात सवैया 24 वर्णों का छन्द 7 भगणों और रगण के योग से बनता है। देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है।

  • "राधिका की रसरंग की दीपति, संग सहेली हँसी हहराइकै।" [1]
  • "सात घरीहुँ नहीं बिलगात, लजात ओ बात गुने मुसकात है।"[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देव  : शब्द रसायन, पृष्ठ 38, हास्य
  2. भिखारीदास ग्र., पृष्ठ 247

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।

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