"इंसाफ़ की डगर पे": अवतरणों में अंतर
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अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय | अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय | ||
देखों | देखों क़दम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए | ||
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के | रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के | ||
इंसाफ़ की डगर पे... | इंसाफ़ की डगर पे... |
14:15, 11 मई 2012 का अवतरण
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इंसाफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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