"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/अभ्यास": अवतरणों में अंतर
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||उत्तर वैदिक काल में [[आर्य|आर्यो]] ने [[यमुना]], [[गंगा]] एवं [[गण्डक नदी|गण्डक]] नदियों के मैदानों को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया। दक्षिण में आर्यो का फैलाव [[विदर्भ]] तक हुआ। उत्तर वैदिक कालीन सभ्यता का मुख्य केन्द्र '[[मध्य प्रदेश]]' था, जिसका प्रसार [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] से लेकर गंगा दोआब तक था। यहीं से आर्य [[संस्कृति]] | ||उत्तर वैदिक काल में [[आर्य|आर्यो]] ने [[यमुना]], [[गंगा]] एवं [[गण्डक नदी|गण्डक]] नदियों के मैदानों को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया। दक्षिण में आर्यो का फैलाव [[विदर्भ]] तक हुआ। उत्तर वैदिक कालीन सभ्यता का मुख्य केन्द्र '[[मध्य प्रदेश]]' था, जिसका प्रसार [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] से लेकर गंगा दोआब तक था। यहीं से आर्य [[संस्कृति]] पूर्वी ओर प्रस्थान कर [[कोशल]], [[काशी]] एवं [[विदेह]] तक फैली। गोत्र व्यवस्था का प्रचलन भी उत्तर वैदिक काल से ही प्रारम्भ हुआ माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर वैदिक काल]] | ||
{[[मलिक काफ़ूर]] को हज़ार दीनारी कहा गया था, क्योंकि- | {[[मलिक काफ़ूर]] को हज़ार दीनारी कहा गया था, क्योंकि- |
09:42, 12 जनवरी 2012 का अवतरण
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