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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[पाण्डव]] [[नकुल]] की माता का नाम क्या था?
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| -[[कुंती]]
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| +[[माद्री]]
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| -[[जानकी]]
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| -[[सुभद्रा]]
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| ||माद्री 'मद्रदेश' (आधुनिक [[पंजाब]]) के राजा 'ऋतायन' की पुत्री और [[शल्य]] की बहिन थीं, जो [[पांडव]] [[नकुल]] और [[सहदेव]] की माता थीं। भीष्म बहुत-सा धन देकर इस सुन्दरी को [[पाण्डु]] के लिये मांग लाये थे। माद्री पाण्डु की कुंती के बाद दूसरी पत्नी थीं। बाद के समय में माद्री ने [[कुन्ती]] को प्राप्त [[दुर्वासा]] के मन्त्र का उपयोग करके [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमारों]] से 'नकुल' और 'सहदेव' नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त किये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माद्री]]
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| {[[अर्जुन]] ने [[जयद्रथ]] को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी?
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| +सूर्यास्त से पहले
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| -सूर्योदय से पहले
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| -सांयकाल से पहले
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| -प्रातकाल से पहले
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| ||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|100px|जयद्रथ वध]]चक्रव्यूह के 7वें चरण में [[अभिमन्यु]] को [[दुर्योधन]], [[जयद्रथ]] आदि सात महारथियों ने घेर लिया और उस पर टूट पड़े। जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर ज़ोरदार प्रहार किया। वह वार इतना तीव्र था कि अभिमन्यु उसे सहन नहीं कर सका और वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर [[अर्जुन]] क्रोध से पागल हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि- 'यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर लेगा।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयद्रथ]]
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| {[[कर्ण]] को अमोघ शक्ति किसने प्रदान की थी?
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| -[[सूर्यदेव|सूर्य]]
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| -[[कृष्ण]]
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| +[[इन्द्र]]
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| -[[वरुण देवता|वरुण]]
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| ||कर्ण की दानशीलता की ख्याति सुनकर [[इन्द्र]] उनके पास 'कवच-कुण्डल' माँगने आये। कर्ण ने अपने [[पिता]] [[सूर्य देव]] के द्वारा इन्द्र की मंशा का रहस्य जानते हुए भी 'कवच-कुण्डल' दान दे दिये। इन्द्र ने इसके बदले में कर्ण को एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी। उससे किसी का भी वध निश्चित था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इन्द्र]]
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| {निम्नलिखित में से कौन [[बलराम]] की पत्नी थीं?
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| -[[रुक्मणी]]
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| +[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]]
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| -[[रम्भा]]
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| -[[सुभद्रा]]
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| ||[[चित्र:Krishna-parents.jpg|right|100px|माता-पिता से मिलते कृष्ण तथा बलराम]]'रेवती' महाराज रेवत की कन्या और [[बलराम]] की पत्नी थीं। रेवत अपने सौ भाइयों में सबसे बड़ा था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। महाराज रेवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर [[ब्रह्मा]] के पास गये। वह उसके लिए योग्य वर की खोज में थे। उस समय हाहा, हूहू नामक दो [[गंधर्व]] गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत उन्होंने ब्रह्मा से इच्छित प्रश्न पूछा। ब्रह्मा ने कहा- "यह गान, जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। तुम [[विष्णु]] के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो। वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]]
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| {[[कृष्ण]] के वंश का क्या नाम था?
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| |type="()"}
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| -[[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]]
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| -भरत
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| -[[सूर्यवंश|सूर्य]]
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| +भीमसात्वत
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| {[[महाभारत]] युद्ध में [[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] कौन था? | | {[[महाभारत]] युद्ध में [[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] कौन था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
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| {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} | | {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} |
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| {{प्रचार}}
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