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*नरवर [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[ग्वालियर]] के समीप स्थित एक ऐतिहासिक नगर है।
'''नरवर''' मध्य भारत के [[मध्य प्रदेश]] राज्य में [[ग्वालियर]] के समीप सिंध नदी के ठीक पूर्व में स्थित है।
*[[महाभारत]] में वर्णित यह नगर राजा [[नल]] की राजधानी बताया गया है।  
*यहां स्थित क़िला, जो [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतश्रेणी]] की एक खड़ी चट्टान पर स्थित है, [[मध्यकाल|मध्यकालीन]] [[भारतीय इतिहास]] में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता था।
*12वीं शताब्दी तक इस नगर को 'नलपुर' कहा जाता था।  
*[[महाभारत]] में वर्णित यह नगर राजा [[नल]] की राजधानी बताया गया है। 12वीं शताब्दी तक इस नगर को 'नलपुर' कहा जाता था।  
*नरवर में स्थित क़िला जो [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतश्रेणी]] की एक खड़ी चट्टान पर स्थित है, [[मध्यकाल|मध्यकालीन]] [[भारतीय इतिहास]] में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।  
*नरवर में स्थित क़िला जो [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतश्रेणी]] की एक खड़ी चट्टान पर स्थित है, [[मध्यकाल|मध्यकालीन]] [[भारतीय इतिहास]] में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।  
*12वीं शताब्दी के बाद नरवर पर क्रमशः कछवाहा, परिहास और [[तोमर]] राजपूतों का शासन रहा।  
*12वीं शताब्दी के बाद नरवर पर क्रमशः कछवाहा, परिहास और [[तोमर]] राजपूतों का शासन रहा।  
*मानसिंह तोमर (1486-1516 ई.) और मृगनयनी की प्रसिद्ध प्रेम कथा से नरवर का सम्बन्ध बताया जाता है।  
*मानसिंह तोमर (1486-1516 ई.) और मृगनयनी की प्रसिद्ध प्रेम कथा से नरवर का सम्बन्ध बताया जाता है।  
*[[राजस्थान]] की प्रसिद्ध प्रेम कथा ढोला-मारु का नायक ढोला नरवर नरेश का पुत्र बताया गया है।  
*[[राजस्थान]] की प्रसिद्ध प्रेम कथा ढोला-मारु का नायक ढोला नरवर नरेश का पुत्र बताया गया है।  
*12वीं शताब्दी के बाद नरवर पर क्रमश: कुछवाहा, परिहार और [[तोमर]] राजपूतों का अधिकार रहा, जिसके बाद 16वीं शताब्दी में [[मुग़ल|मुग़लों]] ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया।
*नरवर परवर्ती काल में [[मालवा]] के सुल्तानों के कब्जे में रहा और 18वीं शताब्दी में [[मराठा|मराठों]] के आधिपत्य में चला गया।  
*नरवर परवर्ती काल में [[मालवा]] के सुल्तानों के कब्जे में रहा और 18वीं शताब्दी में [[मराठा|मराठों]] के आधिपत्य में चला गया।  
*[[मराठा]] सरदार सिंधिया ने जीत लिया।  
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07:30, 29 मार्च 2012 का अवतरण

नरवर मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य में ग्वालियर के समीप सिंध नदी के ठीक पूर्व में स्थित है।

  • यहां स्थित क़िला, जो विंध्य पर्वतश्रेणी की एक खड़ी चट्टान पर स्थित है, मध्यकालीन भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता था।
  • महाभारत में वर्णित यह नगर राजा नल की राजधानी बताया गया है। 12वीं शताब्दी तक इस नगर को 'नलपुर' कहा जाता था।
  • नरवर में स्थित क़िला जो विंध्य पर्वतश्रेणी की एक खड़ी चट्टान पर स्थित है, मध्यकालीन भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • 12वीं शताब्दी के बाद नरवर पर क्रमशः कछवाहा, परिहास और तोमर राजपूतों का शासन रहा।
  • मानसिंह तोमर (1486-1516 ई.) और मृगनयनी की प्रसिद्ध प्रेम कथा से नरवर का सम्बन्ध बताया जाता है।
  • राजस्थान की प्रसिद्ध प्रेम कथा ढोला-मारु का नायक ढोला नरवर नरेश का पुत्र बताया गया है।
  • 12वीं शताब्दी के बाद नरवर पर क्रमश: कुछवाहा, परिहार और तोमर राजपूतों का अधिकार रहा, जिसके बाद 16वीं शताब्दी में मुग़लों ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया।
  • नरवर परवर्ती काल में मालवा के सुल्तानों के कब्जे में रहा और 18वीं शताब्दी में मराठों के आधिपत्य में चला गया।
  • 19वीं शताब्दी के आरंभ में मराठा सरदार सिंधिया ने इसे जीत लिया। परकोटे से घिरे इस नगर के बाहर तोमर सरदारों के स्मारक स्तंभ खड़े हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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