"आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर | वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है; | ||
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर | थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नहीं है। | ||
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से; | चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से; | ||
चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिह्न जगमग से। | चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिह्न जगमग से। | ||
बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर | बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है; | ||
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर | थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नहीं है। | ||
अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का; | अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का; |
12:47, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण
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वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है; |
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