"जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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मत चिढ़ो, ध्यान मत दो इन छोटी बातों पर | मत चिढ़ो, ध्यान मत दो इन छोटी बातों पर | ||
कल्पना जगदगुरु की हो जिसके सिर पर, | कल्पना जगदगुरु की हो जिसके सिर पर, | ||
वह भला कहां तक ठोस | वह भला कहां तक ठोस क़दम धर सकता है? | ||
औ; गिर भी जो तुम गये किसी गहराई में, | औ; गिर भी जो तुम गये किसी गहराई में, |
14:17, 11 मई 2012 के समय का अवतरण
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सीखो नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं, |
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