"प्रयोग:गोविन्द": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|एक महान डाकू की शोक सभा]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|एक महान डाकू की शोक सभा]]
       ओ'नील नाम का एक अंग्रेज़ अध्यापक था। उसने एक ऐसा स्कूल खोला था जिसमें ज़्यादातर उन बच्चों को दाख़िला दिलाया जाता था जो बेहद शैतान होते थे और पढ़ना नहीं चाहते थे। फ़ीस भी भरपूर वसूल की जाती थी। एक बहुत शैतान लड़का भी इसके स्कूल में लाया गया। इस लड़के ने पहले दिन ही पत्थर मारकर प्रधानाचार्य (ओ'नील) के कमरे का काँच तोड़ दिया।
       ओ'नील नाम का एक अंग्रेज़ अध्यापक था। उसने एक ऐसा स्कूल खोला था जिसमें ज़्यादातर उन बच्चों को दाख़िला दिलाया जाता था जो बेहद शैतान होते थे और पढ़ना नहीं चाहते थे। फ़ीस भी भरपूर वसूल की जाती थी। एक बहुत शैतान लड़का भी इसके स्कूल में लाया गया। इस लड़के ने पहले दिन ही पत्थर मारकर प्रधानाचार्य (ओ'नील) के कमरे का काँच तोड़ दिया।
काँच बदलवा दिया गया। लड़के ने रोज़ाना काँच तोड़ा और रोज़ाना बिना किसी चर्चा के काँच बदला गया। जब पाँच दिन हो गये तो  [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|पूरा पढ़ें]]
काँच बदलवा दिया गया। लड़के ने रोज़ाना काँच तोड़ा और रोज़ाना बिना किसी चर्चा के काँच बदला गया। जब पाँच दिन हो गये तो  [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|...पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>

14:23, 21 अप्रैल 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

एक महान डाकू की शोक सभा
      ओ'नील नाम का एक अंग्रेज़ अध्यापक था। उसने एक ऐसा स्कूल खोला था जिसमें ज़्यादातर उन बच्चों को दाख़िला दिलाया जाता था जो बेहद शैतान होते थे और पढ़ना नहीं चाहते थे। फ़ीस भी भरपूर वसूल की जाती थी। एक बहुत शैतान लड़का भी इसके स्कूल में लाया गया। इस लड़के ने पहले दिन ही पत्थर मारकर प्रधानाचार्य (ओ'नील) के कमरे का काँच तोड़ दिया।
काँच बदलवा दिया गया। लड़के ने रोज़ाना काँच तोड़ा और रोज़ाना बिना किसी चर्चा के काँच बदला गया। जब पाँच दिन हो गये तो ...पूरा पढ़ें

पिछले लेख एक महान डाकू की शोक सभा · सत्ता का रंग