"इतिहास सामान्य ज्ञान 13": अवतरणों में अंतर

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{जैन मत का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?
{[[जैन धर्म|जैन मत]] का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?
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-शासक वर्ग
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-[[कनिष्क]] के समय में
-[[कनिष्क]] के समय में
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
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||चंद्रगुप्त धर्म में भी रुचि रखता था। यूनानी लेखकों के अनुसार जिन चार अवसरों पर राजा महल से बाहर जाता था, उनमें एक था [[यज्ञ]] करना। कौटिल्य उसका पुरोहित तथा मुख्यमंत्री था। [[हेमचंद्र]] ने भी लिखा है कि वह ब्राह्मणों का आदर करता है। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चंद्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की पूजा के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों (ब्राह्मणों) की सभा बुलाई जाती थी, ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना चंद्रगुप्त की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चंद्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब मगध में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ा तो चंद्रगुप्त राज्य त्यागकर जैन आचार्य [[भद्रबाहु]] के साथ [[श्रवण बेल्गोला]] (मैसूर के निकट) चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया (अर्थात केवल्य प्राप्त किया)। 900 ई. के बाद के अनेक अभिलेख भद्रबाहु और चंद्रगुप्त का एक साथ उल्लेख करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|100px|चन्द्रगुप्त मौर्य]][[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चन्द्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की [[पूजा]] के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों की सभा बुलाई जाती थी, ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना [[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चन्द्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब [[मगध]] में 12 वर्ष का अकाल पड़ा तो चन्द्रगुप्त राज्य त्यागकर [[जैन]] आचार्य भद्रबाहु के साथ श्रवण बेल्गोला, [[मैसूर]] के निकट, चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]


{[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
{[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
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-जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है
-जैन धर्म में [[देवता|देवताओं]] का अस्तित्व स्वीकार किया गया है।
+वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है
+वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है।
-पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है
-पूर्व जन्म में अर्जित [[पुण्य]] और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है।
-जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: [[ब्राह्मण]] धर्म से अलग नहीं किया है
-[[जैन धर्म]] ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है।


{भारतीय असंतोष के पिता के रूप में [[बाल गंगाधर तिलक]] को किसने कहा था?
{[[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का पिता' किसने कहा था?
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-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
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||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा।
||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा।


{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व 'आज़ाद हिन्द फ़ौज़' का कमाण्डर कौन था?
{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व '[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]]' का कमाण्डर कौन था?
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-ग्यानी प्रीतम सिंह
-ग्यानी प्रीतम सिंह
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-मेजर फुजीहारा
-मेजर फुजीहारा
-कैप्टन सूरज मल
-कैप्टन सूरज मल
||आज़ाद हिन्द फ़ौज़ की स्थापना [[15 दिसम्बर]], [[1941]] में कैप्टन मोहन सिंह ने की थी। आज़ाद हिन्द फ़ौज़ का नेतृत्व [[सुभाषचन्द्र बोस]] को [[21 अक्टूबर]], [[1943]] को सौंपा गया।


{[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह आभूषण है?
{[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किस [[आभूषण]] के लिए किया गया है?
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-कान का बुन्दा
-कान का बुन्दा
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-हाथ का कंगन
-हाथ का कंगन


{[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?
{[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को [[प्रजापति]] की दो पुत्रियाँ कहा गया है?
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-पंचायत एवं ग्राम सभा
-पंचायत एवं ग्राम सभा
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-सभा एवं विश
-सभा एवं विश


{विशाखादत्त के [[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?
{[[विशाखदत्त]] के [[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम 'चन्द्रसिरी' (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?
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-[[अशोक|अशोक महान]]
-[[अशोक|अशोक महान]]
+[[चंद्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]]
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]]
-[[बिन्दुसार]]
-[[बिन्दुसार]]
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
 
||[[विशाखदत्त]] के नाटक '[[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]]' में चन्द्रगुप्त को नंदपुत्र न कहकर 'मौर्यपुत्र' कहा गया है। फिर भी उसे 'नंदवंश की सन्तान' कहा गया है, क्योंकि वह सर्वार्थसिद्धि के पुत्र 'मौर्य' का बेटा था और सर्वार्थसिद्धि नौ नंदों का [[पिता]] था और स्वंय [[नंद वंश]] की सन्तान था। इस बूढ़े राजा को भी 'नंद' कहा गया है। नाटक में दिखाया गया है कि राक्षस के परामर्श से वह पाटलिपुत्र छोड़कर वन में भाग गया था, क्योंकि [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] तथा [[चाणक्य]] ने एक-एक करके उसके सभी पुत्रों (नौ नंदों को) मरवा डाला था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]


{निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत [[मौर्य साम्राज्य]] से बाहर था?
{निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत [[मौर्य साम्राज्य]] से बाहर था?
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- [[कलिंग]]
-[[कलिंग]]
- [[सौराष्ट्र]]
-[[सौराष्ट्र]]
- [[कश्मीर]]
-[[कश्मीर]]
+ [[असम]]
+[[असम]]
||[[चित्र:View-Of-Assam.jpg|right|120px|चाय बाग़ान, असम]]प्राचीन समय में [[असम]] 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम '[[कामरूप]]' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण [[इलाहाबाद]] में [[समुद्रगुप्त]] के [[शिलालेख]] से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो [[गुप्त साम्राज्य]] के अधीन था और गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। [[चीन]] का विद्वान यात्री [[ह्वेनसांग]] लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबेरूनी की पुस्तक में भी 'कामरूप' का विवरण प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]


{'अवतारवाद' का प्रथम उल्लेख निम्न में से कहाँ मिलता है?
{'अवतारवाद' का प्रथम उल्लेख निम्न में से किसमें मिलता है?
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-[[महाभारत]]  
-[[महाभारत]]  

07:14, 24 अप्रैल 2012 का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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2 वेदों को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?

क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है।
क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है।
क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है।
उपर्युक्त में से कोई नहीं

3 राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?

सैन्धव काल में
ऋग्वैदिक काल में
उत्तरवैदिक काल में
महाकाव्य में

4 आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?

दक्षिणी रूस
मध्य एशिया में बैक्ट्रिया
भारत में सप्त सिंघव प्रदेश
मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र

5 भागवत धर्म का प्रधान ग्रंथ निम्न में से कौन-सा था?

श्रीमदभागवदगीता
रामायण
महाभारत
उपर्युक्त सभी

6 जैन मत का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?

शासक वर्ग
किसान वर्ग
व्यापारी वर्ग
शिल्पी वर्ग

7 जैन धर्म 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?

चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में
अशोक के समय में
कनिष्क के समय में
उपर्युक्त में से कोई नहीं

8 जैन धर्म के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है।
वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है।
पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है।
जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है।

9 बाल गंगाधर तिलक को 'भारतीय असंतोष का पिता' किसने कहा था?

लॉर्ड कर्ज़न
विंसेंट स्मिथ
वेलेंटाइल शिरॉल
हेनरी कॉटन

10 सुभाषचन्द्र बोस से पूर्व 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का कमाण्डर कौन था?

ग्यानी प्रीतम सिंह
कैप्टन मोहन सिंह
मेजर फुजीहारा
कैप्टन सूरज मल

11 ऋग्वेद में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किस आभूषण के लिए किया गया है?

कान का बुन्दा
माथे का टीका
गले का हार
हाथ का कंगन

12 अथर्ववेद में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?

पंचायत एवं ग्राम सभा
समिति एवं विरथ
सभा एवं समिति
सभा एवं विश

13 विशाखदत्त के मुद्राराक्षस में वर्णित नाम 'चन्द्रसिरी' (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?

अशोक महान
चन्द्रगुप्त
बिन्दुसार
इनमें से कोई नहीं

14 निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत मौर्य साम्राज्य से बाहर था?

कलिंग
सौराष्ट्र
कश्मीर
असम

15 'अवतारवाद' का प्रथम उल्लेख निम्न में से किसमें मिलता है?

महाभारत
रामायण
भगवदगीता
विष्णु पुराण

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