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भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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| दीन-ए-इलाही धर्म की घोषणा, सूर्य पूजा व अग्नि पूजा का प्रचलन कराया <ref>{{cite book | last =सेंगर| first =शैलेंद्र | title = भारतीय इतिहास|| edition = | publisher =पर्व प्रकाशन, काश्मीरी गेट, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =1117| chapter =2}}</ref> | | दीन-ए-इलाही धर्म की घोषणा, सूर्य पूजा व अग्नि पूजा का प्रचलन कराया <ref>{{cite book | last =सेंगर| first =शैलेंद्र | title = भारतीय इतिहास|| edition = | publisher =पर्व प्रकाशन, काश्मीरी गेट, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =1117| chapter =2}}</ref> | ||
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* महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया। | |||
* रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने 'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है। | |||
* कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है। | |||
* अकबर ने बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है। | |||
* नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी। | |||
* मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था। | |||
* मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था। | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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15:38, 26 मई 2012 का अवतरण
क्रमांक | ईस्वी | कार्य |
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1. | 1562 | युद्ध बंदी को दास बनाना बंद |
2. | 1563 | तीर्थयात्रा कर समाप्त |
3. | 1564 | जजिया कर समाप्त |
4. | 1565 | धर्म परिवर्तन पर पाबंदी |
5. | 1575 | इबादत खाना का निर्माण |
6. | 1579 | महजर की घोषणा |
7. | 1582 | दीन-ए-इलाही धर्म की घोषणा, सूर्य पूजा व अग्नि पूजा का प्रचलन कराया [2] |
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पेज - 117
- महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के काल में हुआ जिसे 'रज्मनामा' के नाम से जाना गया।
- रामचरितमानस को ग्रियर्सन ने 'करोड़ों लोगों की बाइबिल' कहा है।
- कॉबेल ने मुकुंद राम को ' बंगाल का क्रेव' कहा है।
- अकबर ने बीरबल को 'कविप्रिय' कहा है।
- नरहरि को 'महापात्र' की उपाधि दी गयी थी।
- मीर सैयद अली व ख्वाजा अब्दुस्समद कोप 'सिरिकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
- मुहम्मद हुसैन को 'जरींकलम' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 मई, 2012।
- ↑ सेंगर, शैलेंद्र “2”, भारतीय इतिहास (हिंदी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: पर्व प्रकाशन, काश्मीरी गेट, दिल्ली, 1117।