"तिरुक्कलिकुंदरम": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Vedagiriswarar-Temple-Tirukalukundram.jpg|thumb|250px|वेदागिरिस्वरार मंदिर, तिरुक्कलिकुंदरम]]
[[चित्र:Bhaktavatsaleshavra-Temple.jpg|thumb|भक्तवत्सलेश्वर मंदिर, तिरुक्कलिकुंदरम]]
'''तिरुक्कलिकुंदरम''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[कांचीपुरम ज़िला|कांचीपुरम ज़िले]] में स्थित एक नगर है।
'''तिरुक्कलिकुंदरम''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[कांचीपुरम ज़िला|कांचीपुरम ज़िले]] में स्थित एक नगर है।
*तिरुक्कलिकुंदरम को 'पक्षितीर्थ' भी कहा जाता है।  यह एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है।
*तिरुक्कलिकुंदरम को 'पक्षितीर्थ' भी कहा जाता है।  यह एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है।
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
*इन पक्षियों के विषय में अनेक कपोल कल्पित कथाएँ प्रचलित हैं।
*इन पक्षियों के विषय में अनेक कपोल कल्पित कथाएँ प्रचलित हैं।
*यह स्थल कम से कम 18वीं शती में भी इसी प्रकार से प्रख्यात था, क्योंकि तत्कालीन उल्लेखों से यह बात प्रमाणित होती है।
*यह स्थल कम से कम 18वीं शती में भी इसी प्रकार से प्रख्यात था, क्योंकि तत्कालीन उल्लेखों से यह बात प्रमाणित होती है।
 
[[चित्र:Vedagiriswarar-Temple-Tirukalukundram.jpg|thumb|left|वेदागिरिस्वरार मंदिर, तिरुक्कलिकुंदरम]]
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

13:13, 1 अप्रैल 2013 का अवतरण

भक्तवत्सलेश्वर मंदिर, तिरुक्कलिकुंदरम

तिरुक्कलिकुंदरम तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम ज़िले में स्थित एक नगर है।

  • तिरुक्कलिकुंदरम को 'पक्षितीर्थ' भी कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।
  • 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर बने मंदिर में प्राचीन काल से दो पक्षी (क्षेमकरी) नित्य भोजनार्थ निश्चित समय पर यहाँ आते हैं।
  • इन पक्षियों के विषय में अनेक कपोल कल्पित कथाएँ प्रचलित हैं।
  • यह स्थल कम से कम 18वीं शती में भी इसी प्रकार से प्रख्यात था, क्योंकि तत्कालीन उल्लेखों से यह बात प्रमाणित होती है।
वेदागिरिस्वरार मंदिर, तिरुक्कलिकुंदरम
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 401 |


संबंधित लेख