"धूतपाप": अवतरणों में अंतर
(''''धूतपाप''' अथवा 'धोपाप' सुल्तानपुर ज़िला, वाराणसी, [[...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "कौवा" to "कौआ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''धूतपाप''' अथवा 'धोपाप' [[सुल्तानपुर ज़िला]], [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित है। यह एक प्राचीन [[हिन्दू]] [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[धूतपापा नदी]] ([[गोमती नदी|गोमती]] की उपनदी) के तट पर स्थित है। कभी यहाँ 'कुशभावन' या सुल्तानपुर के भार नरेशों का राज्य हुआ करता था। इस स्थान का संबंध [[रामचंद्र|श्रीरामचंद्र]] के [[रावण]] वध का प्रायश्चित करने से जोड़ा जाता है। यहाँ का क़िला शेरगढ़ नदी के तट पर बना हुआ है। | '''धूतपाप''' अथवा 'धोपाप' [[सुल्तानपुर ज़िला]], [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित है। यह एक प्राचीन [[हिन्दू]] [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[धूतपापा नदी]] ([[गोमती नदी|गोमती]] की उपनदी) के तट पर स्थित है। कभी यहाँ 'कुशभावन' या सुल्तानपुर के भार नरेशों का राज्य हुआ करता था। इस स्थान का संबंध [[रामचंद्र|श्रीरामचंद्र]] के [[रावण]] वध का प्रायश्चित करने से जोड़ा जाता है। यहाँ का क़िला शेरगढ़ नदी के तट पर बना हुआ है। | ||
====कथा==== | ====कथा==== | ||
[[त्रेता युग]] में श्रीराम [[लंका]] के राजा रावण का वध करके जब [[अवध]] नगरी लौट रहे थे तो उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर के 'धोपाप' स्थान पर [[स्नान]] करके उन्होंने स्वयं को बह्महत्या के पाप से मुक्त किया था। मान्यताओं के अनुसार इस बात की प्रमाणिकता उस समय सबसे पहले एक कौवे को स्नान कराकर सिद्ध की गई थी, जिसमें काला | [[त्रेता युग]] में श्रीराम [[लंका]] के राजा रावण का वध करके जब [[अवध]] नगरी लौट रहे थे तो उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर के 'धोपाप' स्थान पर [[स्नान]] करके उन्होंने स्वयं को बह्महत्या के पाप से मुक्त किया था। मान्यताओं के अनुसार इस बात की प्रमाणिकता उस समय सबसे पहले एक कौवे को स्नान कराकर सिद्ध की गई थी, जिसमें काला [[कौआ]] स्नान के बाद [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] हो गया था। [[गंगा दशहरा]] पर्व पर स्नान के लिए लाखों लोग दूर-दराज से यहाँ स्नान करने आते हैं। | ||
कहा जाता है कि इस घाट पर स्नान करने से तमाम दोषों से मुक्ति मिलती है तथा कई तीर्थों के पुण्य का लाभ मिलता है। [[लखनऊ]]-[[वाराणसी]] राजमार्ग पर लम्भुआ बाज़ार से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पौराणिक स्थल पर पहुँचकर आदि [[गंगा]] गोमती वर्गाकार हो गई है। [[विष्णुपुराण]], [[ब्रह्मपुराण]], [[स्कन्दपुराण]] व [[मार्कण्डेय पुराण]] में [[गोमती नदी]] को 'धूतपापा' कहा गया है। गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ राज्य के ही नही बल्कि [[भारत]] के अन्य प्रांतो से भी लोग आते हैं और गंगा में डुबकी लगाने के बाद पूजन-अर्चन करते है। | कहा जाता है कि इस घाट पर स्नान करने से तमाम दोषों से मुक्ति मिलती है तथा कई तीर्थों के पुण्य का लाभ मिलता है। [[लखनऊ]]-[[वाराणसी]] राजमार्ग पर लम्भुआ बाज़ार से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पौराणिक स्थल पर पहुँचकर आदि [[गंगा]] गोमती वर्गाकार हो गई है। [[विष्णुपुराण]], [[ब्रह्मपुराण]], [[स्कन्दपुराण]] व [[मार्कण्डेय पुराण]] में [[गोमती नदी]] को 'धूतपापा' कहा गया है। गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ राज्य के ही नही बल्कि [[भारत]] के अन्य प्रांतो से भी लोग आते हैं और गंगा में डुबकी लगाने के बाद पूजन-अर्चन करते है। |
14:22, 11 अप्रैल 2013 का अवतरण
धूतपाप अथवा 'धोपाप' सुल्तानपुर ज़िला, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन हिन्दू तीर्थ स्थान है, जो धूतपापा नदी (गोमती की उपनदी) के तट पर स्थित है। कभी यहाँ 'कुशभावन' या सुल्तानपुर के भार नरेशों का राज्य हुआ करता था। इस स्थान का संबंध श्रीरामचंद्र के रावण वध का प्रायश्चित करने से जोड़ा जाता है। यहाँ का क़िला शेरगढ़ नदी के तट पर बना हुआ है।
कथा
त्रेता युग में श्रीराम लंका के राजा रावण का वध करके जब अवध नगरी लौट रहे थे तो उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर के 'धोपाप' स्थान पर स्नान करके उन्होंने स्वयं को बह्महत्या के पाप से मुक्त किया था। मान्यताओं के अनुसार इस बात की प्रमाणिकता उस समय सबसे पहले एक कौवे को स्नान कराकर सिद्ध की गई थी, जिसमें काला कौआ स्नान के बाद सफ़ेद हो गया था। गंगा दशहरा पर्व पर स्नान के लिए लाखों लोग दूर-दराज से यहाँ स्नान करने आते हैं।
कहा जाता है कि इस घाट पर स्नान करने से तमाम दोषों से मुक्ति मिलती है तथा कई तीर्थों के पुण्य का लाभ मिलता है। लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर लम्भुआ बाज़ार से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पौराणिक स्थल पर पहुँचकर आदि गंगा गोमती वर्गाकार हो गई है। विष्णुपुराण, ब्रह्मपुराण, स्कन्दपुराण व मार्कण्डेय पुराण में गोमती नदी को 'धूतपापा' कहा गया है। गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ राज्य के ही नही बल्कि भारत के अन्य प्रांतो से भी लोग आते हैं और गंगा में डुबकी लगाने के बाद पूजन-अर्चन करते है।
|
|
|
|
|