"अखिल भारतीय मज़दूर संघ कांग्रेस": अवतरणों में अंतर
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'''अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस''' (ए.आई.टी.यू.सी.) [[भारत]] में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संघ कांग्रेस (आई.एन.टी.यू.सी., इंटक) के बाद दूसरा सबसे बड़ा मजदूर संघ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा [[1920]] में लीग | '''अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस''' (ए.आई.टी.यू.सी.) [[भारत]] में 'भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संघ कांग्रेस' (आई.एन.टी.यू.सी., इंटक) के बाद दूसरा सबसे बड़ा मजदूर संघ है। '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' द्वारा [[1920]] में लीग ऑफ़ नेशन्स के 'इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन' (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संघठन) में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व करने के लिए ए.आई.टी.यू.सी. का गठन किया गया था। | ||
* 1920 के दशक में ब्रिटिश साम्यवादियों ने मजदूर संघों के गठन के प्रयास में अधिकांश महासंघ पर नियंत्रण पा लिया था, कई विरोधी दल बाद में इससे अलग हो गए। | |||
* द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साम्यवादियों का इस पर पूर्ण नियंत्रण हो गया, लेकिन सोवियत संघ के युद्ध में शामिल होने के बाद ब्रिटेन के युद्ध प्रयासों को समर्थन देन के कारण इनकी लोकप्रियता कुछ कम हो गई। तब से ए.आई.टी.यू.सी. दो दलों | *1920 के दशक में ब्रिटिश साम्यवादियों ने मजदूर संघों के गठन के प्रयास में अधिकांश महासंघ पर नियंत्रण पा लिया था, कई विरोधी दल बाद में इससे अलग हो गए। | ||
* ए.आई.टी.यू.सी. वर्ल्ड | *द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साम्यवादियों का इस पर पूर्ण नियंत्रण हो गया, लेकिन सोवियत संघ के युद्ध में शामिल होने के बाद [[ब्रिटेन]] के युद्ध प्रयासों को समर्थन देन के कारण इनकी लोकप्रियता कुछ कम हो गई। तब से ए.आई.टी.यू.सी. दो दलों- 'सुधारवादी' और 'क्रांति समर्थक' में बंट गया। | ||
*ए.आई.टी.यू.सी. 'वर्ल्ड फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स' (विश्व मजदूर महासंघ) से संबद्ध है। | |||
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अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस (ए.आई.टी.यू.सी.) भारत में 'भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संघ कांग्रेस' (आई.एन.टी.यू.सी., इंटक) के बाद दूसरा सबसे बड़ा मजदूर संघ है। 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' द्वारा 1920 में लीग ऑफ़ नेशन्स के 'इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन' (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संघठन) में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए ए.आई.टी.यू.सी. का गठन किया गया था।
- 1920 के दशक में ब्रिटिश साम्यवादियों ने मजदूर संघों के गठन के प्रयास में अधिकांश महासंघ पर नियंत्रण पा लिया था, कई विरोधी दल बाद में इससे अलग हो गए।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साम्यवादियों का इस पर पूर्ण नियंत्रण हो गया, लेकिन सोवियत संघ के युद्ध में शामिल होने के बाद ब्रिटेन के युद्ध प्रयासों को समर्थन देन के कारण इनकी लोकप्रियता कुछ कम हो गई। तब से ए.आई.टी.यू.सी. दो दलों- 'सुधारवादी' और 'क्रांति समर्थक' में बंट गया।
- ए.आई.टी.यू.सी. 'वर्ल्ड फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स' (विश्व मजदूर महासंघ) से संबद्ध है।
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