"साधना": अवतरणों में अंतर
('{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=साधना|लेख का नाम=साधना (ब...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=साधना|लेख का नाम=साधना (बहुविकल्पी)}} | {{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=साधना|लेख का नाम=साधना (बहुविकल्पी)}} | ||
साधना एक [[संस्कृत]] शब्द है, अर्थात अभ्यास, (किसी उपयुक्त लक्ष्य को प्राप्त करने का माध्यम), [[हिंदू धर्म|हिंदू]] और बौद्ध तंत्रवाद का आध्यात्मिक अनुष्ठान, जिसमें ईश्वर या इष्ट देवता को स्थापित और आत्मसात करके आह्वान करता है। यह [[तिब्बत]] के तांत्रिक [[बौद्ध धर्म]] में ध्यान का आरम्भिक स्वरूप है। साधना शरीर को मुद्राओं में, [[ध्वनि]] को मंत्रों में और [[मस्तिष्क]] को पवित्र आकारों में व [[देवता|देवताओं]] के रूपों के सुस्पष्ट आंतरिक मानस दर्शन में रत रखती है। | '''साधना''' एक [[संस्कृत]] शब्द है, अर्थात अभ्यास, (किसी उपयुक्त लक्ष्य को प्राप्त करने का माध्यम), [[हिंदू धर्म|हिंदू]] और बौद्ध तंत्रवाद का आध्यात्मिक अनुष्ठान, जिसमें ईश्वर या इष्ट देवता को स्थापित और आत्मसात करके आह्वान करता है। यह [[तिब्बत]] के तांत्रिक [[बौद्ध धर्म]] में ध्यान का आरम्भिक स्वरूप है। साधना शरीर को मुद्राओं में, [[ध्वनि]] को मंत्रों में और [[मस्तिष्क]] को पवित्र आकारों में व [[देवता|देवताओं]] के रूपों के सुस्पष्ट आंतरिक मानस दर्शन में रत रखती है। | ||
प्रतिमाओं या स्वरूपों के मानस दर्शन की विधि और प्रत्येक के लिए उपयुक्त मंत्रों का विस्तृत निर्देश अधिकांश देवताओं की लिखित साधनाओं में निहित है। इसी प्रकार का एक संग्रह साधनामाला है, जिसकी रचना संभवत: पांचवी से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच हुई। लगभग 300 साधनाओं के इस संग्रह में विभिन्न प्रायोगिक निष्कर्षों और एक व्यक्ति की उसके देवता के साथ एकात्मता के विकास के लिए रची गई साधनाएं हैं। लिखित साधानाएं शिल्पकारों और चित्रकारों का भी मार्गदर्शन करती हैं। देवताओं के क्रमश: गहनतर मानस दर्शन में प्रवीणता के लिए कई वर्षों तक प्रतिदिन अनेक घंटों के अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न चेतना की स्थिति में विश्व की भ्रामक प्रकृति और परमात्मा के साथ व्यक्ति की एकात्मता, अनुभवात्मक वास्तविकता बन जाती है। | प्रतिमाओं या स्वरूपों के मानस दर्शन की विधि और प्रत्येक के लिए उपयुक्त मंत्रों का विस्तृत निर्देश अधिकांश देवताओं की लिखित साधनाओं में निहित है। इसी प्रकार का एक संग्रह साधनामाला है, जिसकी रचना संभवत: पांचवी से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच हुई। लगभग 300 साधनाओं के इस संग्रह में विभिन्न प्रायोगिक निष्कर्षों और एक व्यक्ति की उसके देवता के साथ एकात्मता के विकास के लिए रची गई साधनाएं हैं। लिखित साधानाएं शिल्पकारों और चित्रकारों का भी मार्गदर्शन करती हैं। देवताओं के क्रमश: गहनतर मानस दर्शन में प्रवीणता के लिए कई वर्षों तक प्रतिदिन अनेक घंटों के अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न चेतना की स्थिति में विश्व की भ्रामक प्रकृति और परमात्मा के साथ व्यक्ति की एकात्मता, अनुभवात्मक वास्तविकता बन जाती है। |
08:41, 29 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
साधना | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- साधना (बहुविकल्पी) |
साधना एक संस्कृत शब्द है, अर्थात अभ्यास, (किसी उपयुक्त लक्ष्य को प्राप्त करने का माध्यम), हिंदू और बौद्ध तंत्रवाद का आध्यात्मिक अनुष्ठान, जिसमें ईश्वर या इष्ट देवता को स्थापित और आत्मसात करके आह्वान करता है। यह तिब्बत के तांत्रिक बौद्ध धर्म में ध्यान का आरम्भिक स्वरूप है। साधना शरीर को मुद्राओं में, ध्वनि को मंत्रों में और मस्तिष्क को पवित्र आकारों में व देवताओं के रूपों के सुस्पष्ट आंतरिक मानस दर्शन में रत रखती है।
प्रतिमाओं या स्वरूपों के मानस दर्शन की विधि और प्रत्येक के लिए उपयुक्त मंत्रों का विस्तृत निर्देश अधिकांश देवताओं की लिखित साधनाओं में निहित है। इसी प्रकार का एक संग्रह साधनामाला है, जिसकी रचना संभवत: पांचवी से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच हुई। लगभग 300 साधनाओं के इस संग्रह में विभिन्न प्रायोगिक निष्कर्षों और एक व्यक्ति की उसके देवता के साथ एकात्मता के विकास के लिए रची गई साधनाएं हैं। लिखित साधानाएं शिल्पकारों और चित्रकारों का भी मार्गदर्शन करती हैं। देवताओं के क्रमश: गहनतर मानस दर्शन में प्रवीणता के लिए कई वर्षों तक प्रतिदिन अनेक घंटों के अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न चेतना की स्थिति में विश्व की भ्रामक प्रकृति और परमात्मा के साथ व्यक्ति की एकात्मता, अनुभवात्मक वास्तविकता बन जाती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख