"याद -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण) |
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नव असाढ़ की संध्या में, मेघों के तम में कोमल, | नव असाढ़ की संध्या में, मेघों के तम में कोमल, | ||
पीड़ित एकाकी शय्या पर, शत भावों से विह्वल, | पीड़ित एकाकी शय्या पर, शत भावों से विह्वल, | ||
एक मधुरतम स्मृति पल भर विद्युत सी जल कर | एक मधुरतम स्मृति पल भर विद्युत सी जल कर उज्ज्वल | ||
याद दिलाती मुझे हृदय में रहती जो तुम निश्चल! | याद दिलाती मुझे हृदय में रहती जो तुम निश्चल! | ||
14:16, 17 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
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विदा हो गई साँझ, विनत मुख पर झीना आँचल धर, |
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