"वे आँखें -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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उन आँखों से डरता है मन, | उन आँखों से डरता है मन, | ||
भरा दूर तक उनमें दारुण | भरा दूर तक उनमें दारुण | ||
दैन्य | दैन्य दु:ख का नीरव रोदन! | ||
अह, अथाह नैराश्य, विवशता का | अह, अथाह नैराश्य, विवशता का | ||
उनमें भीषण सूनापन, | उनमें भीषण सूनापन, | ||
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रहती तब आँखों में उस क्षण! | रहती तब आँखों में उस क्षण! | ||
हर्ष, शोक, अपमान, ग्लानि, | हर्ष, शोक, अपमान, ग्लानि, | ||
दु:ख दैन्य न जीवन का आकर्षण! | |||
उस अवचेतन क्षण में मानो | उस अवचेतन क्षण में मानो |
14:05, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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अंधकार की गुहा सरीखी |
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