"संगीत रत्नाकर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) (''''संगीत रत्नाकर''' शारंगदेव रचित, ऐतिहासिक दृष्टि से...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''संगीत रत्नाकर''' [[शारंगदेव]] रचित, ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। | '''संगीत रत्नाकर''' [[शारंगदेव]] रचित, ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। बारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध में लिखे गये सात अध्यायों वाले इस ग्रंथ में [[संगीत]] व [[नृत्य]] का विस्तार से वर्णन है। | ||
* संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में अब बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था। | |||
* 1000वीं सदी के अंत तक, उस समय प्रचलित संगीत के स्वरूप को प्रबंध कहा जाने लगा। प्रबंध दो प्रकार के हुआ करते थे- | |||
# निबद्ध प्रबंध | |||
# अनिबद्ध प्रबंध। | |||
* निबद्ध प्रबंध को ताल की परिधि में रह कर गाया जाता था जबकि अनिबद्व प्रबंध बिना किसी ताल बंधन के, मुक्त रूप में गाया जाता था। | |||
* प्रबंध का एक अच्छा उदाहरण है [[जयदेव]] रचित गीत गोविंद। | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 11: | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/sanskriti/shastriya_sangeet.htm शास्त्रीय संगीत] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category: | [[Category:शास्त्रीय संगीत]][[Category:संगीत कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:01, 11 अक्टूबर 2012 का अवतरण
संगीत रत्नाकर शारंगदेव रचित, ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। बारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध में लिखे गये सात अध्यायों वाले इस ग्रंथ में संगीत व नृत्य का विस्तार से वर्णन है।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में अब बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था।
- 1000वीं सदी के अंत तक, उस समय प्रचलित संगीत के स्वरूप को प्रबंध कहा जाने लगा। प्रबंध दो प्रकार के हुआ करते थे-
- निबद्ध प्रबंध
- अनिबद्ध प्रबंध।
- निबद्ध प्रबंध को ताल की परिधि में रह कर गाया जाता था जबकि अनिबद्व प्रबंध बिना किसी ताल बंधन के, मुक्त रूप में गाया जाता था।
- प्रबंध का एक अच्छा उदाहरण है जयदेव रचित गीत गोविंद।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख