"सदस्य वार्ता:डा.राजेंद्र तेला": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(→‎पहल: नया विभाग)
(→‎मनोविकार: नया विभाग)
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
तैयार रहे
तैयार रहे
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:अनमोल_वचन]]
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:अनमोल_वचन]]
== मनोविकार ==
शरीर के विकार की
चिकित्सा दवा से होती है
मनोविकार की चिकित्सा
ध्यान,आत्म चिंतन
आत्म अन्वेषण
से होती है
29-11-2011-42
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:मनोविकार]][[Category:अनमोल_वचन]]

05:28, 10 नवम्बर 2012 का अवतरण

सीखना व्यक्ति हर दिन किसी ना किसी से कुछ सीख सकता है,व्यक्ति किसी से भी सीख सीखता है ,उम्र,पद और अनुभव ही पैमाना नहीं होता है व्यक्तित्व में सुधार की कोई सीमा नहीं होती ,जब भी कोई यह समझ लेता है,उसे सब आता है या उसे सब आ गया है,अहम् मन में घर कर जाता है ,उसके व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है और आगे बढ़ने के स्थान पर वह पीछे लौटने लगता है सीखने के लिए ह्रदय और मस्तिष्क के द्वार खुले रहने चाहिए,यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी की बात से सहमत हों सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना चाहिए . डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"

सहमती -असहमती

किसी प्रश्न के उत्तर में या विषय पर मौन रहना,सहमती माना जा सकता है असहमत हो तो,मौन ना रहे अपने विचार अवश्य प्रकट करने चाहिए वो भी इस तरह से कि जिससे आप सहमत ना हो उसे बुरा नहीं लगे डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”

पहल

टकराव को समाप्त करना हो आगे बढना हो तो सुलह के लिए खुले दिमाग से , आगे हो कर पहल करें अन्यथा टकराव और हठ से होने वाले नुक्सान को भुगतने के लिए तैयार रहे डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”

मनोविकार

शरीर के विकार की चिकित्सा दवा से होती है मनोविकार की चिकित्सा ध्यान,आत्म चिंतन आत्म अन्वेषण से होती है 29-11-2011-42 डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”