"भानु अथैया": अवतरणों में अंतर

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'''भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय''' (जन्म- [[28 अप्रैल]], [[1929]], [[कोल्हापुर]], [[महाराष्ट्र]]) [[भारतीय सिनेमा]] में मशहूर ड्रेस डिज़ाइनर के रूप में जानी जाती हैं। वह ऐसी पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें 'ऑस्कर अवार्ड' से नवाजा गया है। भानु अथैया साढ़े पाँच दशक से [[हिन्दी]] सिनेमा में सक्रिय हैं और इस दौरान उन्होंने ड्रेस डिज़ाइनिंग को नित नये आयाम दिये हैं। उन्हें प्रसिद्ध फ़िल्म निर्मात-निर्देशक रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म "गाँधी" के लिए सर्वेश्रेष्ठ ड्रेस डिज़ाइनर का 'ऑस्कर' मिला था। भानु अथैया 100 से भी अधिक फ़िल्मों के लिए डिज़ाइनिंग कर रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। फ़िल्म जगत में अपने खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग और फ़ैशन में आए बदलावों को उन्होंने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "भानु राजोपाध्ये अथैया-द आर्ट ऑफ़ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन" में समेटने की कोशिश की है।
'''भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय''' (जन्म- [[28 अप्रैल]], [[1929]], [[कोल्हापुर]], [[महाराष्ट्र]]) [[भारतीय सिनेमा]] में मशहूर ड्रेस डिज़ाइनर के रूप में जानी जाती हैं। वह ऐसी पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें 'ऑस्कर अवार्ड' से नवाजा गया है। भानु अथैया साढ़े पाँच दशक से [[हिन्दी]] सिनेमा में सक्रिय हैं और इस दौरान उन्होंने ड्रेस डिज़ाइनिंग को नित नये आयाम दिये हैं। उन्हें प्रसिद्ध फ़िल्म निर्मात-निर्देशक रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म "गाँधी" के लिए सर्वेश्रेष्ठ ड्रेस डिज़ाइनर का 'ऑस्कर' मिला था। भानु अथैया 100 से भी अधिक फ़िल्मों के लिए डिज़ाइनिंग कर रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। फ़िल्म जगत में अपने खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग और फ़ैशन में आए बदलावों को उन्होंने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "भानु राजोपाध्ये अथैया-द आर्ट ऑफ़ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन" में समेटने की कोशिश की है।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
भानु अथैया का जन्म 28 अप्रैल, 1929 को महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर में हुआ था। इनका पूरा नाम 'भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय' रखा गया था। इनके पिता का नाम अन्नासाहेब और माता शांताबाई राजोपाध्येय थीं। अपने [[माता]]-[[पिता]] की सात संतानों में भानु अथैया तीसरे स्थान पर थीं। भाने अथैया ने 'जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट', [[बंबई]] से अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। यहाँ उन्होंने गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया था। इसके बाद वे 'प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप' की सदस्य के लिये भी नामित हुईं।
भानु अथैया का जन्म 28 अप्रैल, 1929 को महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर में हुआ था। इनका पूरा नाम 'भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय' रखा गया था। इनके पिता का नाम अन्नासाहेब और माता शांताबाई राजोपाध्येय थीं। अपने [[माता]]-[[पिता]] की सात संतानों में भानु अथैया तीसरे स्थान पर थीं। भाने अथैया ने 'जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट', [[बंबई]] से अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। यहाँ उन्होंने गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया था। इसके बाद वे 'प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप' की सदस्य के लिये भी नामित हुईं।<ref name="ab">{{cite web |url=http://srijangatha.com/SheshVishesh-6Aug2011#.UR8xlPJy30q |title=भानु अथैया|accessmonthday= 16 फ़रवरी|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref>
====विवाह====
हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने गीतकार और एक [[कवि]] के रूप में पहचाने जाने वाले सत्येन्द्र अथैया के साथ भानु अथैया का [[विवाह]] सम्पन्न हुआ था। अथैया दम्पत्ति का यह रिश्ता अधिक दिनों तक नहीं चल सका। भानु अथैया ने दूसरा विवाह भी नहीं किया। इनकी एक बेटी भी हुई, जो अब अपने परिवार के साथ [[कोलकाता]] में रहती है।
==फ़िल्मों के डिज़ाइनिंग का कार्य==
भानु अथैया ने वर्ष [[1953]] में ड्रेस डिजाइनिंग शुरू की और अगले 56 वर्षों में उन्होंने हिन्दू सिनेमा में ड्रेस डिजाइन के सौंदर्यशास्त्र को परिभाषित करने वाली एक असाधारण कार्य पद्धति का विकास किया। महिला पत्रिकाओं के लिये एक फ़ैशन विशेषज्ञ के रूप में स्वतंत्र कार्य करने के बाद भानु अथैया ने फ़िल्मों के लिये भी परिधान-डिजाइन करना आरंभ किया। फ़िल्म 'श्री 420' में अभिनेत्री [[नादिरा]] के लिये "मुड़-मुड़ के ना देख..." गाने के लिये तैयार किये गए गाउन ने उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई। यह गाना काफ़ी हिट हुआ और नादिरा हिन्दी सिनेमा की सर्वोत्कृष्ट अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। अभिनेत्रा [[साधना (अभिनेत्री)|साधना]] की कसावदार सलवार-कमीज को भी भानु अथैया ने ही डिज़ाइन किया था, जिसका जादू [[1970]] के दशक तक फ़ैशन के रूप में छाया रहा।<ref name="ab"/>


ड्रेस डिजाइनर फ़िल्मों की कहानियों के अनुरूप ही परिधान-वस्त्र-अंलकार तैयार करते हैं और सिनेमा के प्रिय पात्र इन्हें पहन कर व ओढक़र अपनी ख़ास छवियाँ छोड़ जाते हैं। भानु अथैया ऐसी ही ड्रेस डिजाइनर हैं, जिनके परिधान चरित्रों में जान डाल देते हैं। भानु अथैया [[1982]] में प्रख्यात फ़िल्मकार रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म 'गाँधी' में ऑस्कर अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय हैं। उनके उत्कृष्ट डिजाइनों और अपने काम के प्रति लगन ने भारतीय सिनेमा को कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नई उपलब्धियाँ दीं। भानु अथैया ने 100 से भी अधिक फ़िल्मों में जाने-माने फिल्मकारों, जैसे- [[गुरुदत्त]], [[यश चोपड़ा]], [[राज कपूर]], आशुतोष गोवारिकर, कॉनरेड रूक्स और रिचर्ड एटेनबरो आदि के साथ काम किया। 'सी.आई.डी.' ([[1956]]), 'प्यासा' ([[1959]]), 'चौदहवी का चाँद' ([[1960]]) और 'साहब बीबी और गुलाम' ([[1964]]) जैसी सफल फ़िल्मों ने भानु अथैया को एक विशिष्ट पहचान दिलाई।<ref name="ab"/>


भानु अथैया चरित्र और फिल्म के कथानक को ध्यान में रखकर परिधान डिजाइन करती हैं और मनमोहक छवियां चरित्रों में ढाल देती हैं। इन्हीं सफलतम कोशिशों के फलस्वरूप, साहिब बीबी और गुलाम, रेशमा और शेरा, तथा ‘गांधी’ के लिये प्रशंसा बटोरी। गुलजार की फिल्म ‘लेकिन’ के लिये भानू को 1990 का सर्वोच्च कॉस्ट्यूम डिजाइनर अवार्ड मिला।


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==संबंधित लेख==
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07:32, 16 फ़रवरी 2013 का अवतरण

भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय (जन्म- 28 अप्रैल, 1929, कोल्हापुर, महाराष्ट्र) भारतीय सिनेमा में मशहूर ड्रेस डिज़ाइनर के रूप में जानी जाती हैं। वह ऐसी पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें 'ऑस्कर अवार्ड' से नवाजा गया है। भानु अथैया साढ़े पाँच दशक से हिन्दी सिनेमा में सक्रिय हैं और इस दौरान उन्होंने ड्रेस डिज़ाइनिंग को नित नये आयाम दिये हैं। उन्हें प्रसिद्ध फ़िल्म निर्मात-निर्देशक रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म "गाँधी" के लिए सर्वेश्रेष्ठ ड्रेस डिज़ाइनर का 'ऑस्कर' मिला था। भानु अथैया 100 से भी अधिक फ़िल्मों के लिए डिज़ाइनिंग कर रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। फ़िल्म जगत में अपने खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग और फ़ैशन में आए बदलावों को उन्होंने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "भानु राजोपाध्ये अथैया-द आर्ट ऑफ़ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन" में समेटने की कोशिश की है।

जन्म तथा शिक्षा

भानु अथैया का जन्म 28 अप्रैल, 1929 को महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर में हुआ था। इनका पूरा नाम 'भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्येय' रखा गया था। इनके पिता का नाम अन्नासाहेब और माता शांताबाई राजोपाध्येय थीं। अपने माता-पिता की सात संतानों में भानु अथैया तीसरे स्थान पर थीं। भाने अथैया ने 'जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट', बंबई से अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। यहाँ उन्होंने गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया था। इसके बाद वे 'प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप' की सदस्य के लिये भी नामित हुईं।[1]

विवाह

हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने गीतकार और एक कवि के रूप में पहचाने जाने वाले सत्येन्द्र अथैया के साथ भानु अथैया का विवाह सम्पन्न हुआ था। अथैया दम्पत्ति का यह रिश्ता अधिक दिनों तक नहीं चल सका। भानु अथैया ने दूसरा विवाह भी नहीं किया। इनकी एक बेटी भी हुई, जो अब अपने परिवार के साथ कोलकाता में रहती है।

फ़िल्मों के डिज़ाइनिंग का कार्य

भानु अथैया ने वर्ष 1953 में ड्रेस डिजाइनिंग शुरू की और अगले 56 वर्षों में उन्होंने हिन्दू सिनेमा में ड्रेस डिजाइन के सौंदर्यशास्त्र को परिभाषित करने वाली एक असाधारण कार्य पद्धति का विकास किया। महिला पत्रिकाओं के लिये एक फ़ैशन विशेषज्ञ के रूप में स्वतंत्र कार्य करने के बाद भानु अथैया ने फ़िल्मों के लिये भी परिधान-डिजाइन करना आरंभ किया। फ़िल्म 'श्री 420' में अभिनेत्री नादिरा के लिये "मुड़-मुड़ के ना देख..." गाने के लिये तैयार किये गए गाउन ने उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई। यह गाना काफ़ी हिट हुआ और नादिरा हिन्दी सिनेमा की सर्वोत्कृष्ट अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। अभिनेत्रा साधना की कसावदार सलवार-कमीज को भी भानु अथैया ने ही डिज़ाइन किया था, जिसका जादू 1970 के दशक तक फ़ैशन के रूप में छाया रहा।[1]

ड्रेस डिजाइनर फ़िल्मों की कहानियों के अनुरूप ही परिधान-वस्त्र-अंलकार तैयार करते हैं और सिनेमा के प्रिय पात्र इन्हें पहन कर व ओढक़र अपनी ख़ास छवियाँ छोड़ जाते हैं। भानु अथैया ऐसी ही ड्रेस डिजाइनर हैं, जिनके परिधान चरित्रों में जान डाल देते हैं। भानु अथैया 1982 में प्रख्यात फ़िल्मकार रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म 'गाँधी' में ऑस्कर अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय हैं। उनके उत्कृष्ट डिजाइनों और अपने काम के प्रति लगन ने भारतीय सिनेमा को कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नई उपलब्धियाँ दीं। भानु अथैया ने 100 से भी अधिक फ़िल्मों में जाने-माने फिल्मकारों, जैसे- गुरुदत्त, यश चोपड़ा, राज कपूर, आशुतोष गोवारिकर, कॉनरेड रूक्स और रिचर्ड एटेनबरो आदि के साथ काम किया। 'सी.आई.डी.' (1956), 'प्यासा' (1959), 'चौदहवी का चाँद' (1960) और 'साहब बीबी और गुलाम' (1964) जैसी सफल फ़िल्मों ने भानु अथैया को एक विशिष्ट पहचान दिलाई।[1]

भानु अथैया चरित्र और फिल्म के कथानक को ध्यान में रखकर परिधान डिजाइन करती हैं और मनमोहक छवियां चरित्रों में ढाल देती हैं। इन्हीं सफलतम कोशिशों के फलस्वरूप, साहिब बीबी और गुलाम, रेशमा और शेरा, तथा ‘गांधी’ के लिये प्रशंसा बटोरी। गुलजार की फिल्म ‘लेकिन’ के लिये भानू को 1990 का सर्वोच्च कॉस्ट्यूम डिजाइनर अवार्ड मिला।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 भानु अथैया (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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