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==जीवन परिचय==
 
पंडित मुखराम शर्मा का जन्म 30 मई, 1909 में [[मेरठ]] के क़िला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के एक गाँव पूठी में हुआ था। उन्होंने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत [[हिन्दी]] और [[संस्कृत]] के शिक्षक के रूप में की थी। मुखरामजी मेरठ में ही शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे, लेकिन शिक्षण कार्य से प्यार करने के बावजूद भी वे अपने भीतर एक कमी महसूस करते थे। उन्होनें महसूस किया कि शिक्षण उनका असली व्यवसाय नहीं था। वे फ़िल्में देखना बहुत पसंद करते थे और "प्रभात फ़िल्म कंपनी" और "न्यू थियेटर" द्वारा बनाई गई फ़िल्मों के बड़े शौकीन तथा प्रशंसक थे। पत्रिकाओं के लिए लघु कहानियाँ और कविताएँ लिखने वाले मुखराम शर्मा ने निश्चय किया कि अब वे फ़िल्मों के लिए लिखना चाहते हैं। वह मेरठ में अपने एक मित्र के पास गए, जो [[हिन्दी]] फ़िल्म उद्योग के साथ जुड़ा था। उन्होंने उसे अपनी एक कहानी सुनाई। दोस्त उनसे इतना प्रभावित हुआ कि उसने मुखरामजी से अपने साथ मुम्बई आने को कहा। इस प्रकार वर्ष [[1939]] में मुखराम शर्मा सपनों के शहर मुम्बई आ गये।


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13:09, 2 मार्च 2013 का अवतरण

पण्डित मुखराम शर्मा (जन्म- 30 मई, 1909, मेरठ, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 25 अप्रैल, 2000) 'भारतीय सिनेमा' में अपने समय के ख्यातिप्राप्त पटकथा लेखक थे। वे मेरठ से साधारण शख्स के तौर पर मायानगरी मुंबई पहुँचे थे और फ़िल्मी दुनिया में कथा, पटकथा और संवाद लेखक के तौर पर एक महान हस्ति का दर्जा पाया था। पूरे भारत से फ़िल्म वितरक मुखराम शर्मा को फ़ोन करके पूछा करते थे कि उनकी अगली फ़िल्म कौन-सी है और किसके साथ है। उस समय मुखरामजी का जवाब किसी फ़िल्म के सभी अधिकार रातों-रात बिकवाने की गारंटी हुआ करता था। वे जो लिख रहे होते थे, उसका ट्रैक रखने के लिए वितरक और निर्माता उनके घर के नियमित चक्कर लगाते रहते थे। उनके पास अपनी पसंद के निर्माता और निर्देशकों को अपनी कहानियाँ को बेचने का विशेष अधिकार प्राप्त था।

जीवन परिचय

पंडित मुखराम शर्मा का जन्म 30 मई, 1909 में मेरठ के क़िला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के एक गाँव पूठी में हुआ था। उन्होंने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत हिन्दी और संस्कृत के शिक्षक के रूप में की थी। मुखरामजी मेरठ में ही शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे, लेकिन शिक्षण कार्य से प्यार करने के बावजूद भी वे अपने भीतर एक कमी महसूस करते थे। उन्होनें महसूस किया कि शिक्षण उनका असली व्यवसाय नहीं था। वे फ़िल्में देखना बहुत पसंद करते थे और "प्रभात फ़िल्म कंपनी" और "न्यू थियेटर" द्वारा बनाई गई फ़िल्मों के बड़े शौकीन तथा प्रशंसक थे। पत्रिकाओं के लिए लघु कहानियाँ और कविताएँ लिखने वाले मुखराम शर्मा ने निश्चय किया कि अब वे फ़िल्मों के लिए लिखना चाहते हैं। वह मेरठ में अपने एक मित्र के पास गए, जो हिन्दी फ़िल्म उद्योग के साथ जुड़ा था। उन्होंने उसे अपनी एक कहानी सुनाई। दोस्त उनसे इतना प्रभावित हुआ कि उसने मुखरामजी से अपने साथ मुम्बई आने को कहा। इस प्रकार वर्ष 1939 में मुखराम शर्मा सपनों के शहर मुम्बई आ गये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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