"कालाशोक": अवतरणों में अंतर
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'''कालाशोक''' '[[शिशुनाग वंश]]' की स्थापना करने वाले [[शिशुनाग]] (लगभग 412 ई.पू.) का पुत्र था। इसे 'काकवर्ण' के नाम से भी जाना जाता था। कालाशोक अपनी राजधानी को [[गिरिव्रज]] से उठाकर [[पाटलिपुत्र]] ले आया था। इसने 28 वर्षों तक शासन किया। | '''कालाशोक''' (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) '[[शिशुनाग वंश]]' की स्थापना करने वाले [[शिशुनाग]] (लगभग 412 ई.पू.) का पुत्र था। इसे 'काकवर्ण' के नाम से भी जाना जाता था। कालाशोक अपनी राजधानी को [[गिरिव्रज]] से उठाकर [[पाटलिपुत्र]] ले आया था। इसने 28 वर्षों तक शासन किया। | ||
*पारम्परिक स्रोतों के अनुसार यह माना जाता है कि कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=91|url=}}</ref> | *पारम्परिक स्रोतों के अनुसार यह माना जाता है कि कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=91|url=}}</ref> |
09:11, 4 मई 2016 के समय का अवतरण
कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) 'शिशुनाग वंश' की स्थापना करने वाले शिशुनाग (लगभग 412 ई.पू.) का पुत्र था। इसे 'काकवर्ण' के नाम से भी जाना जाता था। कालाशोक अपनी राजधानी को गिरिव्रज से उठाकर पाटलिपुत्र ले आया था। इसने 28 वर्षों तक शासन किया।
- पारम्परिक स्रोतों के अनुसार यह माना जाता है कि कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।[1]
- शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है-
- वैशाली में 'द्वितीय बौद्ध संगीति' का आयोजन
- पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।
- बौद्ध ग्रंथ महावंश में कालाशोक को 'काकवर्ण' कहा गया है।[2]
- 'शिशुनाग वंश' के पतन का इतिहास भी मगध के 'मौर्य वंश' से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
- बाणभट्ट रचित 'हर्षचरित' के अनुसार राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय नन्द वंश के महापद्मनन्द ने चाकू मारकर कालाशोक की हत्या कर दी थी।
- कालाशोक की हत्या के साथ ही 'शिशुनाग वंश' का भी अंत हो गया।
इन्हें भी देखें: शिशुनाग वंश एवं शिशुनाग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 91 |
- ↑ शिशुनाग वंश (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 अप्रैल, 2013।