"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-वैदूर्य | -वैदूर्य | ||
-स्यमंतक | -स्यमंतक | ||
||कौस्तुभ मणि को भगवान [[विष्णु]] धारण करते हैं। माना जाता है कि यह मणि देवताओं और असुरों द्वारा किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय प्राप्त चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक थी। यह बहुत ही कांतिमान थी और जहाँ भी यह मणि होती है, वहाँ किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा नहीं होती। कहा गया है कि [[कालिय नाग]] को [[श्रीकृष्ण]] ने [[गरुड़]] के त्रास से मुक्त किया था। इस समय कालिय नाग ने अपने मस्तक से उतार कर श्रीकृष्ण को [[कौस्तुभ मणि]] दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौस्तुभ मणि | ||[[चित्र:Vishnu-1.jpg|right|80px|भगवान विष्णु]]कौस्तुभ मणि को भगवान [[विष्णु]] धारण करते हैं। माना जाता है कि यह मणि देवताओं और असुरों द्वारा किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय प्राप्त चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक थी। यह बहुत ही कांतिमान थी और जहाँ भी यह मणि होती है, वहाँ किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा नहीं होती। कहा गया है कि [[कालिय नाग]] को [[श्रीकृष्ण]] ने [[गरुड़]] के त्रास से मुक्त किया था। इस समय कालिय नाग ने अपने मस्तक से उतार कर श्रीकृष्ण को [[कौस्तुभ मणि]] दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौस्तुभ मणि]] | ||
{[[कुबेर]] को [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने जो विमान दिया था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-16 | {[[कुबेर]] को [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने जो विमान दिया था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-16 | ||
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-कश्यप सागर | -कश्यप सागर | ||
-विष्णु सागर | -विष्णु सागर | ||
{[[हनुमान]] जब [[अशोक वाटिका]] में [[सीता|सीताजी]] से मिलने गए थे, उस समय वे किस वृक्ष पर छिपे थे?(पृ.सं.-16 | |||
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+[[अशोक वृक्ष|अशोक]] | |||
-[[शमी वृक्ष|शमी]] | |||
-[[साल वृक्ष|साल]] | |||
-अश्वत्थ | |||
||[[चित्र:Ashoka-Tree-1.jpg|right|120px|अशोक का वृक्ष]]अशोक के वृक्ष को [[हिन्दू धर्म]] में काफ़ी पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथों को पूर्ण करने वाला माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- "किसी भी प्रकार का शोक न होना"। यह पवित्र वृक्ष जिस स्थान पर होता है, वहाँ पर किसी प्रकार का शोक व अशान्ति नहीं रहती। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में [[अशोक वृक्ष|अशोक]] के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव माना गया है, जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर भी उगता है, वहाँ पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते चले जाते हैं। भगवान [[श्रीराम]] ने भी स्वयं ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक वृक्ष]] | |||
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10:05, 24 मई 2013 का अवतरण
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