"दिल्ली (कविता) -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में? | कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में? | ||
मरघट में तू साज रही दिल्ली कैसे | मरघट में तू साज रही दिल्ली कैसे श्रृंगार? | ||
यह बहार का स्वांग अरी इस उजड़े चमन में! | यह बहार का स्वांग अरी इस उजड़े चमन में! | ||
07:54, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
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यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, |
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